Coronavirus Fighters: लॉकडाउन में मसीहा बने पड़ोसी, घर को बनाया सामुदायिक रसोई घर

लखनऊ में आसपास कोई भूखा न रह जाए पडोसियों व स्‍वयं के आर्थिक योगदान के साथ कर रहे हैं श्रमदान।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sun, 29 Mar 2020 01:22 PM (IST) Updated:Sun, 29 Mar 2020 01:22 PM (IST)
Coronavirus Fighters: लॉकडाउन में मसीहा बने पड़ोसी, घर को बनाया सामुदायिक रसोई घर
Coronavirus Fighters: लॉकडाउन में मसीहा बने पड़ोसी, घर को बनाया सामुदायिक रसोई घर

लखनऊ, जेएनएन। जरूरतमंदों को दो वक्‍त की रोटी मुहैया कराने का काम विश्‍वास खंड व विवेक खंड दो के लोग बाखूबी कर रहे हैं। साधारण भोजन खिलाकर भूखा नहीं सोने देते, खुद पैसा खर्च करते हैं और सुबह भोग लगाकर शुरू होता है कुछ पडोसियों के साथ श्रमदान करने की प्रकिया। खाना बनने के बाद उन जरूरमंदों को वितरित किया जा रहा है, जो दिहाडी के मजदूर थी, लेकिन काम न मिलने से खाने पीने के लाले पडे हैं। ऐसे लोग आजकल खुद ही इनके घर आने लगे हैं लेकिन अमित शर्मा जैसे शख्‍स इनकी झुग्‍गा झोपडियों तक खाना पहुंचाने के साथ ही एक निर्धारित दूरी बनाकर पूडी सब्‍जी वितरित करवा रहे हैं। यह क्रम पिछले तीन दिन से चल रहा है।

गोमती नगर के 3/315 विश्‍वास खंड निवासी अमित कहते हैं कि जहां जरूरत होती है, वहां खुद खाना पहुंचाते हैं और नगर आयुक्‍त के जरिए भी भोजन मैं उपलब्‍ध करवा रहा हूं।यही नहीं विवेक खंड के भवन संख्‍या 2/451 व  2/524 के घरों को भी सामुदायिक किचन बना दिया है। विवेक खंड दो निवासी योगेश कुमार जैसे शख्‍स भी अपनी कार सी दो किलो आटा, आलू व आचार के पैकेट अपनी कार की डिक्‍की में भर लेते हैं और जरूरतमंदों के पास पहुंच जाते हैं, यह प्रकिया नियमित रूप से कर रहे हैं। उनके इस सराहनीय कार्य की पडोसी जहां प्रशंसा कर रहे हैं, वहीं गोमती जनकल्‍याण  महासमिति के पदाधिकारियों ने ऐसे शख्‍सों से सीख लेकर समाजसेवा में हाथ बटाने की लोगों से अपील की है।

यहां महिलाएं नहीं पुरुष ही करते हैं काम

सामुदायिक किचन में पुरुष का योगदान नब्‍बे फीसद रहता है। सब्‍जी में मसाले की मात्रा को लेकर नाप जोख सही रहे, इसको लेकर जरूर घर की महिलाएं मदद कर देती हैं, लेकिन वरिष्‍ठ नागरिक भी कंधे से कंधा मिला रहे हैं। तीन से चार घंटे का श्रमदान करने के लिए लोग हाथ बंटा रहे हैं।

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