उत्तर प्रदेश में भाजपा के दलित एजेंडे को विस्तार देगा पासी समाज

भाजपा इस गर्व की अनुभूति के साथ पासी समाज का मान बढ़ाने में जुटी है। पासी समाज ने भी भाजपा के दलित एजेंडे को विस्तार देने का संकल्प लिया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Tue, 01 Jan 2019 04:35 PM (IST) Updated:Tue, 01 Jan 2019 05:21 PM (IST)
उत्तर प्रदेश में भाजपा के दलित एजेंडे को विस्तार देगा पासी समाज
उत्तर प्रदेश में भाजपा के दलित एजेंडे को विस्तार देगा पासी समाज

लखनऊ [आनन्द राय]। विदेशी आक्रांताओं, मुगलों और अंग्रेजों से बहादुरी से लडऩे वाली पासी कौम की वीरांगना ऊदा देवी, महाराजा बिजली पासी, लाखन पासी, सातन पासी, वीरा पासी और मसूरियादीन पासी जैसे कई योद्धा इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हैं। पासी समाज को अपने इन पूर्वजों पर गर्व है। भाजपा इस गर्व की अनुभूति के साथ पासी समाज का मान बढ़ाने में जुटी है। पासी समाज ने भी भाजपा के दलित एजेंडे को विस्तार देने का संकल्प लिया है।

सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलन के नाम पर भाजपा ने जातियों को साधने की मुहिम शुरू की है। भाजपा खेमे में पासी समाज को मिल रहे महत्व से साफ है लोकसभा चुनाव में इनके कंधे पर अहम जिम्मेदारी होगी। भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद कौशल किशोर इसी समाज के हैं। कौशल ने पासी सम्मेलन में संकल्प के साथ अपने समाज को दलित वर्ग की सभी जातियों को जोडऩे की जिम्मेदारी सौंपी और बिरादरी के सहयोग से ऊदा देवी की लोहे की 100 मीटर ऊंची प्रतिमा बनवाने की घोषणा की। उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने भी लाखन पासी, बिजली पासी, ऊदा देवी और मसूरियादीन पासी की स्मृतियों को बड़ा मुकाम देने का एलान किया।

35 जिलों में प्रभावी है पासी समाज

पासी समाज प्रदेश भर में फैला है लेकिन, 35 जिलों में ये प्रभावी हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 17 आरक्षित सीटों में पासी समाज से छह सांसद बने, जबकि 2017 के विधानसभा में पासी जाति के 23 विधायक चुनाव जीते। पासियों को मार्शल कौम कहा जाता है।

अंग्रेजों ने इन्हें लुटेरा और चोर बताकर इन पर नियंत्रण के लिए जरायम एक्ट लागू किया था, जिसे 1952 में मसूरियादीन पासी के प्रयासों से समाप्त किया गया। पासी समाज का सिर्फ अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर ही नहीं बल्कि सामान्य सीट पर भी नेतृत्व का इतिहास रहा है। गोरखपुर की मानीराम विधानसभा सीट पर 1989, 1991 और 1993 में ओमप्रकाश पासवान चुने गए और हर बार उनकी जीत का अंतर बढ़ा।

25 मार्च 1996 को पासवान की एक जनसभा में हत्या कर दी गई। उसके बाद उपचुनाव में उनके छोटे भाई चंद्रेश पासवान , 1996 के आम चुनाव में उनकी पत्नी सुभावती पासवान और 2002 में उनके पुत्र कमलेश पासवान इस सीट से चुने गए। आज भी कमलेश पासवान बांसगांव के सांसद और उनके छोटे भाई विमलेश पासवान विधायक हैं।

गैर जाटव दलितों पर भी निगाहें

भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा का राष्ट्रीय नेतृत्व कौशांबी के सांसद विनोद सोनकर के हाथों में हैं। भाजपा ने गैर जाटवों को ज्यादा महत्व दिया है। सोनकर समाज के अलावा कोरी, धोबी, खरवार, वाल्मीकि और अन्य दलित उप जातियों को भी साधने के लिए पिछले दिनों सम्मेलन आयोजित किये गए थे। अब भाजपा अनुसूचित मोर्चा प्रदेश के सभी छह क्षेत्रों में प्रबुद्ध वर्ग का सम्मेलन हो रहे हैं और 80 लोकसभा क्षेत्रों में अनुसूचित मोर्चा के सम्मेलन आयोजित होंगे। 

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