CM योगी ने लिया फैसला...अब UP सरकार नहीं भरेगी मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के वेतन पर आयकर

योगी सरकार ने पिछले लगभग चार दशकों से जारी मुख्यमंत्री मंत्री को वेतन-भत्ते पर आयकर की सरकारी खजाने से अदायगी की व्यवस्था को खत्म करने का फैसला किया है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Fri, 13 Sep 2019 10:15 PM (IST) Updated:Sun, 15 Sep 2019 08:02 AM (IST)
CM योगी ने लिया फैसला...अब UP सरकार नहीं भरेगी मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के वेतन पर आयकर
CM योगी ने लिया फैसला...अब UP सरकार नहीं भरेगी मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के वेतन पर आयकर

लखनऊ, जेएनएन। क्या आप जानते हैं कि मुख्यमंत्री समेत पूरे मंत्रिमंडल को मंत्री के तौर पर दिए जाने वाले वेतन-भत्ते पर आयकर की अदायगी राज्य सरकार 38 वर्षों से साल-दर-साल अपने खजाने से वहन करती आ रही है। 'राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है' जैसे नारे के नायक रहे विश्वनाथ प्रताप सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते 1981 में इस व्यवस्था का सूत्रपात किया था। हालांकि मीडिया में यह तथ्य उजागर होने पर योगी सरकार ने लगभग चार दशकों से जारी इस व्यवस्था को खत्म करने का फैसला किया है। वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि मुख्यमंत्री ने निर्णय किया है कि सरकार द्वारा आयकर अदा करने संबंधी व्यवस्था को खत्म किया जाएगा। ऐसे में अब मुख्यमंत्री और मंत्रियों को अपने वेतन-भत्ते पर लागू आयकर खुद अदा करना होगा।

प्रदेश में यह व्यवस्था 'उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स सैलरीज, एलाउएंसेज एंड मिसलेनियस एक्ट, 1981' के तहत लागू है। तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने इस कानून को बनाए जाने के दौरान इसकी वकालत करते हुए कहा था किसरकार के ज्यादातर मंत्री कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि के हैं और उनकी आमदनी बहुत कम है। लिहाजा उन्हें मंत्री के तौर पर मिलने वाले वेतन-भत्ते पर पडऩे वाले आयकर के बोझ को राज्य सरकार वहन करे। संबंधित एक्ट में यह प्रावधान है कि मंत्रियों को मिलने वाला वेतन आयकर से मुक्त रहेगा। वेतन पर आयकर की अदायगी राज्य सरकार करेगी।

विश्वनाथ प्रताप सिंह के मुख्यमंत्री रहने से अब तक प्रदेश ने 19 मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल देखे हैं। इनमें कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी, श्रीपति मिश्र और वीर बहादुर सिंह, समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी की मायावती और भाजपा के कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ की सरकारें और उनमें शिरकत करने वाले विभिन्न दलों के तकरीबन 1000 मंत्री शामिल हैं। वित्तीय वर्ष 2018-19 में मंत्रिमंडल के आयकर का बिल लगभग 86 लाख रुपये था जिसे सरकारी खजाने से अदा किया गया। 

मुख्यमंत्री-मंत्रियों का मासिक वेतन 1.64 लाख रुपये
मुख्यमंत्री और मंत्रियों को प्रतिमाह एक लाख 64 हजार रुपये मिलते हैं। यह धनराशि मूल वेतन और भत्तों को मिलाकर है। इसमें 40 हजार रुपये मूल वेतन, 50 हजार रुपये निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, 30 हजार रुपये चिकित्सा प्रतिकर भत्ता, 20 हजार रुपये सचिवालय भत्ता और 800 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 24 हजार रुपये दैनिक भत्ता दिये जाते हैं। मुख्यमंत्री और मंत्रियों का मूल वेतन पहले 12 हजार रुपये प्रतिमाह था जिसे अखिलेश यादव की सरकार में बढ़ाकर 40 हजार रुपये किया गया। इसके पहले वर्ष 1981 में मुख्यमंत्री का वेतन बढ़ाया गया था।

योगी सरकार में वेतन न लेने वाले मंत्री भी
योगी सरकार में एक ऐसे भी मंत्री हैं जो वेतन नहीं लेते। स्टांप व पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल ने पिछले दिनों हुए मंत्रिमंडल विस्तार में शपथ ली थी। मंत्री पद की शपथ के बाद ही उन्होंने घोषणा कर दी कि वह अपना मूल वेतन नहीं लेंगे। 

मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों के मौजूदा वेतन-भत्ते

मूल वेतन               40,000 रुपये प्रतिमाह

निर्वाचन क्षेत्र भत्ता    50,000 रुपये प्रतिमाह

चिकित्सीय भत्ता       30,000 रुपये प्रतिमाह

सचिवालय भत्ता       20,000 रुपये प्रतिमाह

दैनिक भत्ता            800 रुपये प्रतिदिन

(इनमें से निर्वाचन क्षेत्र और दैनिक भत्ता आयकर के दायरे से बाहर है।)

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