UP Weather : दिखने लगा जलवायु परिवर्तन का असर, नवंबर तक बारिश और होली बाद तक सर्दी

30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहना चाहिए तापमान ताकि गेहूं की फसल तैयार हो सके। 26.5 डिग्री सेल्सियस रहा लखनऊ का अधिकतम तापमान सोमवार को जबकि न्यूनतम तापमान 15.4 डिसे. रहा।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Tue, 17 Mar 2020 09:20 AM (IST) Updated:Tue, 17 Mar 2020 01:48 PM (IST)
UP Weather : दिखने लगा जलवायु परिवर्तन का असर, नवंबर तक बारिश और होली बाद तक सर्दी
UP Weather : दिखने लगा जलवायु परिवर्तन का असर, नवंबर तक बारिश और होली बाद तक सर्दी

लखनऊ [रूमा सिन्हा]। मानसून की नवंबर में विदाई। फिर जनवरी में रिकॉर्ड बारिश और ठंडक। मार्च में झमाझम बारिश, ओलावृष्टि से कृषि को भारी नुकसान। होली के सप्ताह भर बाद भी गर्म कपड़े व रजाई न छूट पाना.। यह निश्चित ही जलवायु परिवर्तन का असर है।

मौसम का चक्र इस बार कुछ बिगड़ा नजर आ रहा है। पहले तो मानसून की नवंबर तक वापसी हुई और फिर जाड़े में रिकॉर्ड बारिश और अब मार्च में झमाझम बारिश। होली गुजरे सप्ताह बीत चुका है लेकिन गर्म कपड़े व रजाई नहीं छूट पा रही है। सोमवार को राजधानी में तापमान सामान्य के मुकाबले 5.1 डिग्री कम रिकॉर्ड हुआ। वहीं हमीरपुर में 7.6, झांसी में 6.2, कानपुर में छह डिग्री सेल्सियस कम दर्ज किया गया। यानी सामान्य तौर पर इस समय तापमान 30 -31 डिग्री तक पहुंच जाना चाहिए था। आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक जेपी गुप्ता कहते हैं कि मौसम के चक्र में बदलाव का कारण जलवायु परिवर्तन है। इस वर्ष पश्चिमी विक्षोभ जल्दी-जल्दी आने के कारण जहां पहाड़ों पर जबर्दस्त बर्फबारी हुई वहीं मैदानी इलाकों में बारिश भी कुछ ज्यादा हुई।

मार्च में इस बार बीते वर्षों के मुकाबले कहीं अधिक बारिश हुई है। राजधानी में अब तक 40.7 मिमी. बारिश हुई जो सामान्य से 1073.4 फीसद अधिक रही। वहीं पूरे प्रदेश में सामान्य 4.6 मिमी. के मुकाबले कहीं अधिक 37.1 मिमी. यानी 804.9 फीसद बारिश अधिक रिकॉर्ड हुई। यही नहीं जाड़े में भी बारिश ने रिकार्ड तोड़ा। जनवरी में राजधानी में 98.4 मिमी. बारिश रिकॉर्ड हुई। मार्च में भी तापमान सामान्य के मुकाबले पांच-छह डिग्री कम रहने से गर्म कपड़े व रजाई नहीं छूट पा रहे हैं। यहां तक कि दो दिन पहले कोहरा भी देखा गया।

क्‍या कहते हैं अफसर ?

आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक जेपी गुप्ता के मुताबिक, हम सबको इसे (जलवायु परिवर्तन) गंभीरता से लेने की जरूरत है। कोशिश करें कि हर व्यक्ति पौधरोपण के साथ हरियाली के संरक्षण में अपना सहयोग दे। कम से कम कटान हो जिससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।

45 जिलों में 11.92 लाख हेक्टेयर पर फसलें प्रभावित

पिछले 15 दिनों के दौरान हुई बेमौसम बारिश और ओले गिरने से फसलों को हुए नुकसान का आकलन करने में राहत आयुक्त कार्यालय जुटा है। सोमवार शाम तक उसे 45 जिलों से फसलों को हुए नुकसान का ब्योरा प्राप्त हुआ है। इनमें से 26 जिलों में फसलों को 33 फीसद से अधिक क्षति की जानकारी हासिल हुई है। इसके आधार पर इन जिलों के लिए 243 करोड़ रुपये मुआवजे का आकलन किया गया है। बाकी जिलों से फसलों के नुकसान की रिपोर्ट का इंतजार है।

बेमौसम बारिश और ओले गिरने से मची तबाही और फसलों को हुए नुकसान के मद्देनजर राज्य सरकार केंद्र सरकार को मैमोरैंडम भेजने की तैयारी कर रही है। सभी जिलाधिकारियों से केंद्र सरकार के फार्मेट पर नुकसान की जानकारी मांगी गई है। अब तक 45 जिलों से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर इन जिलों में कुल 11,92,638.36 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर फसलों को क्षति पहुंची है। मौसम की मार से इन जिलों में कुल 16,35,223 किसान प्रभावित हुए हैं। 26 जिलों में 2,52,007 हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों को 33 प्रतिशत या उससे अधिक क्षति पहुंची है। सोनभद्र में ही 67098 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फसलों को 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ है। 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान के एवज में 243.31 करोड़ मुआवजे की मांग की गई है।

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