लग्‍जरी सैलून बनेगी प्रीमियम ट्रेन, महाराजा एक्‍सप्रेस की तर्ज पर मिलेगी ये सुविधाएं Lucknow News

लग्जरी सैलून को आइआरसीटीसी को सौंपेंगे मंडल प्रशासन। जीएम और डीआरएम के पास होंगे सिर्फ विंडो वाले निरीक्षण यान।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 31 Oct 2019 07:31 AM (IST) Updated:Sat, 02 Nov 2019 08:24 AM (IST)
लग्‍जरी सैलून बनेगी प्रीमियम ट्रेन, महाराजा एक्‍सप्रेस की तर्ज पर मिलेगी ये सुविधाएं  Lucknow News
लग्‍जरी सैलून बनेगी प्रीमियम ट्रेन, महाराजा एक्‍सप्रेस की तर्ज पर मिलेगी ये सुविधाएं Lucknow News

लखनऊ [निशांत यादव] । एसी युक्त बेड रूम, सोफे व सेंट्रल टेबल वाले मीटिंग हॉल। साथ में डायनिंग रूम और किचन के साथ अन्य लग्जरी सुविधाएं। इन सुविधाओं वाले लग्जरी सैलून का रेलवे अफसरों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है। इन सैलून को एकत्र कर महाराजा एक्सप्रेस की तर्ज पर प्रीमियम ट्रेन बनाकर उनको निजी क्षेत्र की मदद से चलाने की तैयारी है। 

 नए आदेश के तहत अब जीएम और डीआरएम के पास विंडो वाला एक निरीक्षण यान रहेगा। जबकि हर जोन में प्रमुख विभागाध्यक्ष के लिए जोनल में दो-दो निरीक्षण यान होंगे। रेलवे में जोनल, मंडल के साथ रेलवे बोर्ड और उत्पादन इकाईयों के साथ आरडीएसओ में वरिष्ठतम अधिकारियों को देश के किसी भी हिस्से में ट्रेन से जाने के लिए लग्जरी सैलून की सुविधा मिलती है। कुछ जोनल में रेलवे अधिकारियों के लग्जरी सैलून बिना काम के ही गलत तरीके से इस्तेमाल करने की शिकायतें रेलवे बोर्ड को मिल रही थीं। इस पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने सैलून और निरीक्षण यान के अधिक इस्तेमाल पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। उनकी मंजूरी के बाद 25 अक्टूबर को रेलवे बोर्ड के सचिव एसके मिश्र ने अपने आदेश में कहा है कि जीएम और डीआरएम केवल सेफ्टी को बेहतर करने लिए निरीक्षण यान का उपयोग कर सकेंगे। मंडल में दोनो तरफ विंडो वाला एक सेल्फ प्रोपेल्ड (इंजन लगा निरीक्षण यान) होगा। 

ऐसे दौड़ेंगे सैलून

हर मंडल के पास औसतन दो लग्जरी सैलून हैं। यूपी में नौ रेल मंडलों में 18 सैलून को एक जगह लाकर प्रीमियम ट्रेन बनाया जा सकता है। आइआरसीटीसी के साथ निजी कंपनी को शामिल किया जा सकता है। पिछले साल पायलट प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली से कांगड़ा तक एक सैलून की बुकिंग ढाई लाख रुपये में की गई थी।  

बढ़ेगा खर्चा 

सैलून का इस्तेमाल रिमोट स्टेशनों पर जाने वाले रेलवे अधिकारी करते हैं। जिसमें कर्मचारी और उनके सुपरवाइजर भी होते हैं। ट्रायल और निरीक्षण में कई दिनों तक अधिकारी इन सैलून में ही रुकते हैं। जिससे होटल व अन्य खर्चा बचता है। अब यह खर्चा बढ़ सकता है।

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