Ayodhya : यहां धनपति कुबेर ने की थी भोले की आराधना, जानें श्रीराम जन्मभूमि परिसर में कुबेर टीला का महत्व

अयोध्या का इतिहास विवेचित करने वाले ग्रंथ रुद्रयामल के अनुसार यहां धन के देवता कुबेर का आगमन हुआ था। उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि के निकट ऊंचे टीले पर शिवलिंग की स्थापना की थी।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Wed, 10 Jun 2020 07:06 PM (IST) Updated:Wed, 10 Jun 2020 07:07 PM (IST)
Ayodhya : यहां धनपति कुबेर ने की थी भोले की आराधना, जानें श्रीराम जन्मभूमि परिसर में कुबेर टीला का महत्व
Ayodhya : यहां धनपति कुबेर ने की थी भोले की आराधना, जानें श्रीराम जन्मभूमि परिसर में कुबेर टीला का महत्व

अयोध्या [रघुवरशरण]। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास के उत्तराधिकारी महंत कमलनयनदास ने बुधवार को श्रीराम जन्मभूमि परिसर में भोलेनाथ का अभिषेक करने के साथ पौराणिक महत्व के स्थल की ओर ध्यान आकृष्ट कराया है। इसी स्थल पर युगों पूर्व धनपति कुबेर ने भोले बाबा की उपासना की थी। 70 एकड़ के जिस परिसर में रामलला के मंदिर निर्माण की तैयारी चल रही है, उस परिसर में पौराणिक महत्व का कुबेर टीला भी शामिल है। जनवरी, 1993 में अधिग्रहण से पूर्व यह स्थल रामनगरी के चुनिंदा दर्शनीय स्थलों में शुमार रहा है।

अयोध्या का इतिहास विवेचित करने वाले ग्रंथ रुद्रयामल के अनुसार युगों पूर्व यहां धन के देवता कुबेर का आगमन हुआ था। उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि के निकट ही ऊंचे टीले पर शिवलिंग की स्थापना की थी। कालांतर में यहां मां पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी, कुबेर सहित कुल नौ देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित की गई और श्रद्धालुओं के बीच यह स्थल 'नौ रत्न' के नाम से पूजित-प्रतिष्ठित हुआ।

सन 1902 में एडवर्ड अयोध्या तीर्थ विवेचनी सभा ने 84 कोस की परिधि में रामनगरी के जिन 148 पुरास्थलों को चिह्नित किया, उसमें से एक कुबेर टीला भी था। कालांतर में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की भी निगाह कुबेर टीला पर पड़ी। एएसआई ने अयोध्या जिला में कुबेर टीला सहित पुरातात्विक महत्व के आठ स्थलों को संरक्षण के लिए सूचीबद्ध भी कर रखा है।

डेढ़ दशक पूर्व तक यहां से निकलती थी भोले की बरात : कुबेर टीला पर भोले बाबा की विरासत भले पुराकालीन हो, पर यहां आज जिस शिवलिंग का दर्शन होता है, उसकी स्थापना पास के ही रहने वाले भोले के अनुरागी धनपतिराम यादव ने पांच दशक पूर्व की थी। 27 वर्ष पूर्व अधिग्रहण के बाद भी यहां से शिव बरात निकलती थी। 2005 में अधिगृहीत परिसर पर आतंकी हमले के बाद यह सिलसिला थमा।

रामेश्वरम की तर्ज पर मंदिर निर्माण से पहले भोले का अभिषेक : राम ने लंका विजय के पूर्व रामेश्वरम में शिव की आराधना की थी। उसी विरासत के अनुरूप श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण से पूर्व बुधवार को शिव की आराधना की गई। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास के उत्तराधिकारी महंत कमलनयनदास ने श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए भोले बाबा का दुग्धाभिषेक करने के बाद कहा कि भगवान शिव की आराधना के बिना फल की प्राप्ति नहीं होती। बुधवार सुबह आठ बजे आनंद शास्त्री एवं वैश्य विनोद जायसवाल सहित चुनिंदा सहयोगियों के साथ परिसर में दाखिल हुए कमलनयनदास ने करीब दो घंटे तक 11 लीटर दूध से पौराणिक कुबेर टीला पर विराजे और शशांक शेखर के नाम से विश्रुत भोले बाबा अभिषेक किया।

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