46 साल से कायम है हिंदू-मुस्लिम एकता, यादव संग खान परिवार निभा रहा परंपरा
साल 1972 से बीकेटी की रामलीला का मंचन करते आ रहे हैं दोनों समुदाय के कलाकार।
लखनऊ [नीरज सिंह राठौर]। जिस दशहरा मेला की बुनियाद करीब 46 साल पहले हिंदू और मुस्लिम दो परिवारों ने साथ मिलकर रखी थी। वह परंपरा आज भी कायम है। परंपरा को दोनों समुदायों के लोगों ने पूरी शिद्दत के साथ कायम कर रखा है।
ऐतिहासिक तालाबों के राजा बख्शी का तालाब के परिसर में साल 1972 में रुदही ग्राम पंचायत के तत्कालीन ग्राम प्रधान मैकूलाल यादव और बीकेटी कस्बे के पेशे से चिकित्सक डॉ. मुज्जफर हुसैन द्वारा शुरुआत कराई गई थी। इस दशहरा मेले में तब से रुदही और बरगदी गांव के हिंदू और मुस्लिम कलाकारों ने रामलीला का मंचन शुरू किया था।
साल 1975 से रुदही के साबिर खान दशरथ का न सिर्फ किरदार अदा करते आ रहे हैं, बल्कि मौजूदा समय में उनके लड़के शेर खान जनक, सलमान खान राम और अरबाज खान लक्ष्मण और नाती साहिल खान भरत और राम के किरदार में हैं। शुरुआती दौर में रामलीला संस्थापक के पुत्र विदेश पाल यादव ने लक्ष्मण और डॉ. मंसूर अहमद ने कई वर्षों तक रावण का किरदार अदा किया था।
19 अक्टूबर से बीकेटी के रामलीला मैदान में दशहरा मेले का आयोजन शुरू होने जा रहा है, जिसकी तैयारियों को लेकर नगर पंचायत के अध्यक्ष अरुण सिंह की मौजूदगी में रामलीला का मंचन करने वाले कलाकारों द्वारा रामलीला का अभ्यास किया गया।
नगर पंचायत के अध्यक्ष ने बताया बीकेटी की रामलीला सिर्फ हिंदू-मुस्लिम एकता की सिर्फ मिसाल ही नहीं है, बल्कि सामाजिक समरसता की भी मिसाल है। मेले की तैयारियों में क्षेत्र का पूर्ण सहयोग मिल रहा है।