देश का इकलौता एंटी क्लॉकवाइज रेसकोर्स बंद, ये थी खास‍ियत Lucknow News

1880 में हुए पहले सिविल सर्विस कप में दौड़े थे अरबी और आस्ट्रेलियाई घोड़े। लखनऊ रेसकोर्स क्लब पर भारी बकाए के बाद अपनी जमीन वापस लेगा रक्षा मंत्रालय।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 12 Jul 2019 10:13 AM (IST) Updated:Sat, 13 Jul 2019 09:09 AM (IST)
देश का इकलौता एंटी क्लॉकवाइज रेसकोर्स बंद, ये थी खास‍ियत Lucknow News
देश का इकलौता एंटी क्लॉकवाइज रेसकोर्स बंद, ये थी खास‍ियत Lucknow News

लखनऊ [निशांत यादव]। देश का इकलौता एंटी क्लॉकवाइज रेसकोर्स बंद हो गया है। छावनी स्थित लखनऊ रेसकोर्स क्लब पर भारी बकाए के चलते रक्षा मंत्रालय अपनी जमीन वापस लेने की तैयारी में है। इसके साथ ही यहां क्लब की किसी भी गतिविधि पर रोक लगा दी गई है।

इस ऐतिहासिक रेसकोर्स पर 1880 में पहली बार सिविल सर्विस कप हुआ था। तब यहां अरबी और आस्ट्रेलियाई घोड़े दौड़े थे। इस रेसकोर्स का इतिहास कई चैंपियन घोड़ों के नाम है। यहां किन्टायर घोड़े की कई साल तक बादशाहत रही। आर्मी कमांडर कप जैसी प्रतिष्ठित रेस के विजेता सुपर डुपर, ड्रीम डील और विजय एस ज्वॉय जैसे घोड़ों की टापों से यह ट्रैक आबाद हुआ। अब यहां घोड़ों की टाप सुनाई नहीं देगी।

करीब 40 साल से रक्षा मंत्रालय में रेसकोर्स की लीज का नवीनीकरण नहीं हुआ। बकाया किराया 36 से बढ़कर 40 लाख हो चुका है। इसलिए मंत्रालय ने रेसकोर्स क्लब को बंद करने का आदेश जारी कर दिया है। ऐसे में यहां मौजूद 12 थॉरो नस्ल के घोड़ों का ठिकाना बदलेगा। इनके मालिकों को यहां से ले जाना होगा। 

साल के 210 दिन होती थी ऑनलाइन बेटिंग

रेसकोर्स में अक्टूबर से मार्च तक सीजन की सात या आठ रेस होती थी, लेकिन 210 दिन यहां के बेटिंग सेंटर में मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, मैसूर, ऊंटी की रेस के लिए ऑनलाइन ही बाजी लगती थी। इसके चलते पूरे साल यहां रौनक बनी रहती थी। 

क्या है एंटी क्लॉकवाइज रेसकोर्स

इस तरह के रेसकोर्स आमतौर पर यूरोप में हैं। इंग्लैंड में इस तरह के रेसकोर्स ज्यादा हैं। इसमें मोड़ बाईं तरफ होते हैं। क्लॉकवाइज रेसकोर्स के मोड़ दाईं ओर होते हैं। एंटी क्लॉकवाइज में जॉकी बाएं और क्लॉकवाइज रेसकोर्स में दाएं हाथ के सहारे रेस करता है। वहीं रक्षा संपदा अधिकारी अभिषेक मणि त्रिपाठी ने बताया क‍ि लीज का नवीनीकरण न होने और शुल्क बकाया होने के कारण अब रेसकोर्स की गतिविधि पर रोक लगा दी गई है। जल्द ही रक्षा संपदा इसे अपने अधिकार क्षेत्र में ले लेगा।

कुछ खास तथ्‍य  1764 में नवाब शुजाउद्दौला अंग्रेजों से जंग हारे तो संधि के तहत रेसकोर्स बनवाया 1857 में ब्रिटिश सेना के अफसरों के लिए लखनऊ रेसकोर्स क्लब की नींव पड़ी 1912 में लखनऊ रेसकोर्स क्लब ने छावनी के पोलो ग्राउंड में पोलो कराया 2012 में लखनऊ रेसकोर्स क्लब ने ही अवध पोलो कप की शुरुआत कराई

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