Lucknow Night Safari: आर्टिफिशियल मूनलाइट में देख सकेंगे जानवर, इंग्लैंड के विशेषज्ञ करेंगे इंतजाम

Lucknow Night Safari लखनऊ नाइट सफारी एक ओपन एयर निशाचर चिड़ियाघर होगा जो केवल रात के समय ही खुलेगा। इसलिए यहां चंद्रमा जैसी रोशनी की व्यवस्था की जाएगी। यानी यहां चांदनी रात जैसी रोशनी में जानवरों के दीदार हो सकेंगे।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Wed, 17 Aug 2022 10:16 PM (IST) Updated:Thu, 18 Aug 2022 04:58 PM (IST)
Lucknow Night Safari: आर्टिफिशियल मूनलाइट में देख सकेंगे जानवर, इंग्लैंड के विशेषज्ञ करेंगे इंतजाम
Lucknow Night Safari: चंद्रमा जैसी मंद रोशनी में होंगे जानवरों के दीदार।

Lucknow Night Safari: लखनऊ, राज्य ब्यूरो। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित कुकरैल वन क्षेत्र में प्रस्तावित देश की पहली नाइट सफारी में चंद्रमा जैसी मंद रोशनी की व्यवस्था की जाएगी। कृत्रिम मूनलाइट (Artificial Moonlight) की व्यवस्था इंग्लैंड के विशेषज्ञ करेंगे। सिंगापुर नाइट सफारी (Singapore Night Safari) में भी इसी तरह की रोशनी की व्यवस्था की गई है। नाइट सफारी में ऐसी रोशनी का इंतजाम इसलिए किया जाता है ताकि रात के समय जानवर परेशान न हों।

यह नाइट सफारी एक ओपन एयर निशाचर चिड़ियाघर होगा जो केवल रात के समय ही खुलेगा। इसलिए यहां चंद्रमा जैसी रोशनी की व्यवस्था की जाएगी। यानी यहां चांदनी रात जैसी रोशनी में जानवरों के दीदार हो सकेंगे। दिन में पर्यटकों के लिए आधुनिक थीम पार्क की योजना बनाकर मौजूदा सुविधाओं को मजबूत किया जाएगा।

नाइट सफारी में करीब 2200 कारों की बड़ी पार्किंग बनाई जाएगी ताकि सैलानियों को कोई दिक्कत न हो। यहां पर बनने वाले बटरफ्लाई, हर्बल व कैक्टस पार्क भी पर्यटकों को खूब लुभाएंगे। वन विभाग ने नाइट सफारी का जो खाका तैयार किया है उसमें यहां कुल 30 अलग-अलग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किए जाएंगे।

एंट्रेंस प्लाजा, ओपेन जिम, योगा सेंटर, किड्स प्ले एरिया, फूड कोर्ट, कलाकृतियों का प्रदर्शन, एडवेंचर स्पोर्ट्स, कैंपिंग, फ्लोरल पाथ, बांस के खेत, स्मृति वन, बोटिंग लेक, नेचर्स ट्रेल, ग्रीन हाउस, एंफीथिएटर, कैनोपी वाक आदि आकर्षण का केंद्र रहेंगे।

नाइट सफारी बनाने के लिए टाइम लाइन भी तय

सरकार ने नाइट सफारी बनाने के लिए एक टाइम लाइन भी तय की गई है। सफारी के लिए सलाहकार एवं कार्यकारी एजेंसी का पैनल तय करने के लिए 90 दिन की समय सीमा रखी गई है। विभिन्न तरह की अनुमति लेने के लिए चार से छह माह का समय रखा गया है। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से अनुमति के लिए तीन माह व डिजाइन व ड्राइंग के अनुमोदन के लिए दो माह का समय तय किया गया है।

केरल के चिड़ियाघर की तर्ज पर शिफ्ट होगा लखनऊ चिड़ियाघर

वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने बताया कि केरल के त्रिशूर चिड़ियाघर को शहर से बाहर शिफ्ट किया जा रहा है। इसी तर्ज पर लखनऊ चिड़ियाघर भी शिफ्ट किया जाएगा। इसके लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के साथ ही वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य होगा।

71.66 एकड़ में स्थित है लखनऊ प्राणि उद्यान

वर्ष 1921 में स्थापित लखनऊ प्राणी उद्यान 71.66 एकड़ में बना हुआ है। इसमें 61.31 एकड़ भूमि प्रिंस आफ वेल्स ट्रस्ट के नाम पर है जबकि 10.35 एकड़ भूमि लामार्टीनियर ट्रस्ट द्वारा लीज पर है। यहां पर कुल 126 बाड़े हैं। इनमें 13 ओपेन बाड़े भी हैं। रात्रिचर बाड़ों की संख्या 10 है जबकि एक मछलीघर व थ्री-डी हाल व अन्य सुविधाएं यहां मौजूद हैं। वर्तमान चिड़ियाघर की भूमि किस उपयोग में लाई जाएगी, इस पर वन विभाग के अफसर चुप्पी साधे हुए हैं।

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