शक रिश्ते की नींव कर रहा कमजोर, युवाओं को तोड़ रहा 'BREAKUP'

कॉमन मेंटल डिसऑर्डर में करीब 25 फीसद मामले एडजस्टमेंट प्राब्लम के।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sat, 02 Feb 2019 10:09 AM (IST) Updated:Mon, 04 Feb 2019 09:14 AM (IST)
शक रिश्ते की नींव कर रहा कमजोर, युवाओं को तोड़ रहा 'BREAKUP'
शक रिश्ते की नींव कर रहा कमजोर, युवाओं को तोड़ रहा 'BREAKUP'

लखनऊ, जेएनएन। दिल पे पत्थर रखके मुंह पे मेकअप कर लिया, मेरे सइयां जी से आज मैंने ब्रेकअप कर लिया। यह फिल्मी गीत भले ही सुनने में आपको मनोरंजक लगता हो लेकिन आज के युवाओं के लिए यह हकीकत बन गया है। उनकी जिंदगी में ब्रेकअप जहर घोल रहा है। वल्‍र्ड साइकियाट्रिक एसोसिएशन के सेक्रेट्री जनरल प्रो. रॉय अब्राहम कल्लीवयल्ली ने यह जानकारी दी। वह शुक्रवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित 71वीं नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया साइकियाट्रिक सोसायटी में बतौर अतिथि मौजूद थे। कॉन्फ्रेंस में दूसरे दिन कई सत्र आयोजित हुए। 

प्रो. रॉय ने बताया कि कॉमन मेंटल डिसऑर्डर  जिसमें एंजाइटी, डिप्रेशन और एडजस्टमेंट स्ट्रेस आदि शामिल हैं। इनमें से 25 प्रतिशत मामले एडजस्टमेंट स्ट्रेस यानी ब्रेकअप के आ रहे हैं। इसमें युवा-युवती और नवविवाहित जोड़े एक-दूसरे के साथ ज्यादा समय नहीं बिता पाते और उनमे दूरियां आ जाती हैं। जिंदगी में इस तनाव के कारण वह न तो जॉब में अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं न ही परिवार में घुल-मिलकर रह पाते हैं। वह समाज से कटे-कटे रहते हैं और खुद की जिंदगी तबाह कर लेते हैं। ऐसे में एक-दूसरे का सम्मान करने, अहंकार न करने और समाज से जुड़े रहने की आदत डालनी होगी। आज के दौर में सिकुड़ रहे सामाजिक दायरे के कारण भी लोग इससे परेशान हैं। ज्वाइंट फैमिली अब कम होती जा रही है, इसलिए यह समस्या होने पर कोई समझाने वाला भी नहीं होता। 

सेक्स एजुकेशन न होने से भ्रमित होकर सेक्स क्लीनिक में लुट रहे 

देश में सबसे बड़ी समस्या यह है कि बच्चों को सेक्स एजुकेशन नहीं दी जाती। किशोर होने पर शरीर में हो रहे बायोलॉजिकल बदलाव की सही जानकारी न होने से तमाम लोग भ्रमित होते हैं। घर में मां-बाप व स्कूल में टीचर से पूछने में शर्म करते हैं। भ्रम व कपोल कल्पना का शिकार होने पर वह सेक्स क्लीनिक में जाकर लाखों रुपये लुटा देते हैं जिन्हें तमाम अप्रशिक्षित लोग चला रहे हैं।

मैसूर से आए मनोचिकित्सक व सेक्सुअल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. टीएस सत्यनारायण राव ने बताया कि मनोचिकित्सकों के पास इलाज करवाने आ रहे 70 फीसद तक युवा सेक्स को लेकर भ्रम व मिथ का शिकार होते हैं। उनहें इलाज की कोई जरूरत ही नहीं होती। बताते हैं कि वह पिछले दो-तीन साल में सेक्स क्लीनिक में काफी धन खर्च कर चुके हैं। केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आदर्श त्रिपाठी ने कहा कि नवयुवकों को सेक्स क्लीनिक भ्रमित कर लूट रही हैं। 

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