Republic Day 2020: रोडवेज का सफर सहेजे है ‘विरासत’, 1948 में शुरू हुई थी पहली बस

Republic Day 2020 1955 में एंगल आयरन से निर्मित पहली डीजल बस का निर्माण किया और सड़क पर दौड़ाया।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Sun, 26 Jan 2020 12:58 PM (IST) Updated:Mon, 27 Jan 2020 08:45 AM (IST)
Republic Day 2020: रोडवेज का सफर सहेजे है ‘विरासत’, 1948 में शुरू हुई थी पहली बस
Republic Day 2020: रोडवेज का सफर सहेजे है ‘विरासत’, 1948 में शुरू हुई थी पहली बस

लखनऊ [नीरज मिश्र]। फरवरी 1948 में रोडवेज की पहली बस सड़क पर उतारी थी। शेवरलेट की पेट्रोल चेसिस 22 सीटर इस बस ने लोगों की राह आसान बनाई। रोडवेज इतिहास की पहली बस अब तस्वीरों में ही सिमट कर रह गई है। इसके तकरीबन सात साल बाद केंद्रीय कार्यशाला ने सन् 1955 में एंगल आयरन से निर्मित पहली डीजल बस का निर्माण कर उसे सड़क पर उतारा। उस दौर में डीजल चलित इस बस को खूब पसंद किया गया। सूबे के पहले मुख्यमंत्री पं. र्गोंवद बल्लभ पंत ने बस संख्या यूपीएफ/3134 को झंडी दिखाकर रवाना किया।

लखनऊ से बाराबंकी रूट पर यह बस दौड़ी तो लोगों ने इसे खूब पंसद किया। सालों चलने के बाद यह बस जर्जर हो गई, लेकिन इस बार जिम्मेदारों ने सबक लिया और पहली बस की तरह उसे नष्ट होने देने की बजाय उसे सहेज लिया। इसे विरासत का नाम दिया गया। यह बस कानपुर राममनोहर लोहिया कार्यशाला में एक प्लेटफार्म पर खड़ी है। यह बस आज भी वहां सुरक्षित है। 

‘विरासत’ बस प्राचीन दिनों की यादें ताजा करती हैं। इस बस से लोगों का खास जुड़ाव होने की एक वजह प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री का इस पर किया गया सफर भी था। यूं तो उस दौर के लोग नहीं हैं लेकिन, रोडवेज से जुडे़ लोग बताते हैं कि तबके दौर में कई दशक तक माननीय इससे सफर कर गौरवान्वित होते थे। 

एक से शुरू हुआ सफर 11800 बसों तक पहुंचा

रोडवेज ने अपना सफर एक बस से 1948 में शुरू किया था। सन् 1955 में एंगल आयरन से निर्मित पहली डीजल बस को रोडवेज टीम ने बनाया और अपनी दूसरी बस से सफर को आगे बढ़ाया। यह सफर वर्ष 1972 तक चला। राजकीय रोडवेज खत्म होने के बाद उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम बना। सब्सिडी पर बे्रक लगा लेकिन, अपनी कमाई के बल पर एक बस से शुरू हुआ सफर 11,800 तक पहुंच गया। इसमें निगम का अपना बेड़ा 9200 है। शेष अनुबंधित बसें हैं। अब एसी फ्लीट है। इनमें वोल्वो, स्कैनिया, स्लीपर कोच, जनरथ, पक महिला सेवा समेत तमाम लग्जरी बसें हैं जो आमजन को लग्जरी सुविधाएं उपलब्ध करा रही हैं। प्रबंध निदेशक डॉ. राजशेखर बताते हैं कि प्राचीनतम बस के संरक्षण के लिए संबंधित रोडवेज अफसरों से बात कर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

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