केजीएमयू में दिसंबर से शुरू हो जाएगी एंटीबायोटिक पॉलिसी

दिसंबर माह तक एंटीबायोटिक पॉलिसी लागू की जाएगी। इसके प्रथम चरण में केजीएमयू में लोकल एंटीबायोटिक पॉलिसी लागू की जाएगी।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 15 Nov 2018 01:15 PM (IST) Updated:Thu, 15 Nov 2018 01:15 PM (IST)
केजीएमयू में दिसंबर से शुरू हो जाएगी एंटीबायोटिक पॉलिसी
केजीएमयू में दिसंबर से शुरू हो जाएगी एंटीबायोटिक पॉलिसी

लखनऊ, (राफिया नाज)। केजीएमयू में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) और सीडीसी अटलांटा के सहयोग से चल रहे एंटीमाइक्रोबियल स्टीवार्डशिप प्रोग्राम के तहत दिसंबर तक एंटीबायोटिक पॉलिसी केजीएमयू के विशेषज्ञ डॉक्टर लागू करने जा रहे हैं। इसकी मदद से ओपीडी से लेकर आइपीडी और आइसीयू में हाई एंड एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल में कमी लाई जाएगी। बाद में प्रदेश के अन्य अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।

दो वर्ष तक किया गया अध्ययन

एंटीबायोटिक दवाओं के प्रयोग से एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को कम करने के लिए आइसीएमआर की ओर से आइपीडी, आइसीयू में एंटीमाइक्रोबियल स्टीवार्डशिप प्रोग्राम चलाया जा रहा है। स्टीवार्डशिप प्रोग्राम के हेड डॉ. डी हिमांशु ने बताया कि केजीएमयू में यह शोध दो वर्षो तक चला। इसमें आइसीयू में रेजिस्टेंस बग्स का अध्ययन किया गया है। इसमें सफलता देखने को मिली।

हर क्षेत्र की अलग होती है बैक्टीरिया रेजिस्टेंस पॉलिसी

डॉ. हिमांशु ने बताया कि किसी भी देश की एंटीबायोटिक पॉलिसी को हम अपने यहां लागू नहीं कर सकते हैं। हर जगह अलग-अलग बैक्टीरिया रेजिस्टेंस बग्स पाए जाते हैं। भारत में भी अलग-अलग बैक्टीरियल रेजिस्टेंस पाए जाते हैं। इसके लिए वहां के मरीजों का अध्ययन करना पड़ता है।

खुद से टायफाइड की जांच न करवाएं

डॉ. हिमांशु ने बताया कि ओपीडी में आने वाले मरीजों में देखा गया है कि तीन दिन से ज्यादा बुखार आने पर वो खुद से विडाल टेस्ट करवा लेते हैं। इसमें ध्यान रखने की बात यह है कि अगर आपको कभी पहले भी टायफाइड हुआ है तो आप कभी भी टेस्ट करवाएंगे तो टेस्ट हमेशा पॉजिटिव ही दिखाएगा। अगर दो से तीन माह तक लगातार फीवर बना रहता है तो यह टीबी के लक्षण भी हो सकते हैं। खुद से एंटीबायोटिक दवा लेने पर यह एमडीआर टीबी में बदल सकती है।

क्या है एंटीबायोटिक देने का सही तरीका हमारे यहां 70 फीसद लोग एक दूसरे से पूछकर एंटीबायोटिक दवाएं खाने लगते हैं। इसका नतीजा होता है कि उन्हें हाई एंड की एंटीबायोटिक दवाएं भी रेजिस्ट कर जाती हैं। ऐसे में जरूरी है कि एंटीबायोटिक पॉलिसी का इस्तेमाल किया जाए। मामूली बुखार, खांसी और वायरल होन पर न लें एंटीबायोटिक दवा। सप्ताह भर बुखार आने पर पहले शरीर का तापमान नापें। सप्ताह भर बाद बुखार आने पर अगर चिकित्सक को एंटीबायोटिक दवा देने की जरूरत पड़े तो पहले मरीज का बैक्टीरिया कल्चर करवाएं। आइसीयू में सबसे ज्यादा रेजिस्टेंस बग्स पाए जाते हैं। इस स्टेज में आते-आते मरीजों के ऊपर कई एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल हो जाता है। केजीएमयू के आइसीयू में अब मरीजों को हाई एंड की एंटीबायोटिक दवाओं को देने से बचाया जा रहा है।

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