दशहरी के आंगन में कर्नाटक की कुहुक, लखनऊ में तैयार हो रही आम की ये डिफरेंट प्रजाति

जीरा व कपूर जैसी खुशबू वाला यह आम अचार के लिए पसंद। किसानों को व्यावसायिक उत्पादन के लिए प्रेरित करने की तैयारी।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Mon, 10 Jun 2019 09:41 AM (IST) Updated:Tue, 11 Jun 2019 08:49 AM (IST)
दशहरी के आंगन में कर्नाटक की कुहुक, लखनऊ में तैयार हो रही आम की ये डिफरेंट प्रजाति
दशहरी के आंगन में कर्नाटक की कुहुक, लखनऊ में तैयार हो रही आम की ये डिफरेंट प्रजाति

लखनऊ [आशुतोष मिश्र]। दशहरी आम के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध नवाबों के शहर लखनऊ में कर्नाटक का खास 'आम' अप्पेमिडी अपनी खुशबू बिखेरने को तैयार है। अपनी विशेषताओं के कारण कोमल आम का राजा कहे जाने वाले इस अप्पेमिडी से अब अचार बनाने की तैयारी है। लखनऊ के रहमानखेड़ा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान परिसर में इस आम के फलदार वृक्ष तैयार कर लेना बड़ी उपलब्धि है। इस प्रजाति को यहां विकसित करने का श्रेय संस्थान की वैज्ञानिक डॉ. वीना गौड़ा को जाता है।

डॉक्टरेट की उपाधि के लिए उन्होंने वर्ष 2013 में अप्पेमिडी आम पर शोध शुरू किया था। इसका उद्देश्य संरक्षण और उपयोग के लिए इस खास आम की विविधता का अध्ययन करना था। डॉ. वीना ने कर्नाटक के चिकमगलूर जिले में अप्पेमिडी आमों का योजनाबद्ध तरीके से सर्वेक्षण किया। लगभग 40 तरह के अप्पेमिडी एकत्र किए। इनमें 'कुदिगे' और 'अर्नुरू' किस्म को स्वाद में सबसे अच्छा पाया गया। शोध के दौरान उन्होंने संस्थान में ग्राफ्टिंग के माध्यम से अप्पेमिडी की कलमें विकसित कीं जो अब फलदार वृक्ष में बदल चुकी हैं।

खास है खुशबू 

अप्पेमिडी की किस्में अपनी खास खुशबू के लिए जानी जाती हैं। जीरा, कपूर, नारंगी आदि जैसी खुशबू वाला यह आम अचार के लिए काफी पसंद किया जाता है। गुठली बनने से पहले साबूत आम को मसाले में डालकर अचार तैयार किया जाता है। इससे बने अचार की विशेषता है कि इसे 5 साल से अधिक समय तक भी बिना किसी रसायन के सुरक्षित रख सकते हैं। सामान्य आम के अचार में अगर एक-दो अप्पेमिडी डाल दें तो उसका स्वाद खास हो जाता है। 

क्या कहते हैं जानकार? 

रहमानखेड़ा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेंद्र राजन का कहना है कि कर्नाटक की इस प्रजाति को संस्थान में उगाने में सफलता मिली है। अब इसका अचार तैयार कराने की योजना है। सब ठीक रहा तो भविष्य में किसानों को इसका व्यावसायिक उत्पादन करने के लिए प्रेरित भी किया जाएगा।

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