UP: TRP फर्जीवाड़े मामले की जांच अब CBI के हवाले, पुलिस ने सौंपी रिपोर्ट

UP टीआरपी फर्जीवाड़े का मामला। टीआरपी बढ़ाने को लेकर कई न्यूज चैनल हैं रडार पर। हजरतगंज कोतवाली में 17 अक्टूबर को जालसाजी साजिश रचने समेत अन्य गंभीर धाराओं में एफआइआर दर्ज कराई गई है। आरोप है टीआरपी को ज्यादा दिखाकर विज्ञापनदाताओं और उपभोक्ताओं को ठगा जा रहा है।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 03:22 PM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 03:22 PM (IST)
UP: TRP फर्जीवाड़े मामले की जांच अब CBI के हवाले, पुलिस ने सौंपी रिपोर्ट
UP: टीआरपी फर्जीवाड़े का मामला। टीआरपी बढ़ाने को लेकर कई न्यूज चैनल हैं रडार पर।

लखनऊ, जेएनएन। टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) के फर्जीवाड़े के मामले में हजरतगंज पुलिस ने सीबीआइ को एफआइआर कॉपी से लेकर वह सारे दस्तावेज उपलब्ध करा दिए हैं, जिनके आधार पर पुलिस विवेचना को आगे बढ़ाने वाली थी। अब इस मामले की जांच सीबीआइ करेगी। इंस्पेक्टर हजरतगंज अंजनी कुमार पांडेय ने बताया कि सीबीआइ के अधिकारियों को संबंधित मामले की पूरी रिपोर्ट सौंप दी है, अब सीबीआइ ही आगे की कार्रवाई करेगी। 

इस मामले में हजरतगंज कोतवाली में जालसाजी, साजिश रचने समेत अन्य गंभीर धाराओं में एफआइआर दर्ज कराई गई है। ये मामला विज्ञापन गोल्डेन रैबिट लिमिटेड कंपनी के क्षेत्रीय निदेशक कमल शर्मा ने अज्ञात चैनलों के खिलाफ दर्ज कराया है। 17 अक्टूबर को हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज हुई थी। उप्र सरकार की सिफारिश पर सीबीआइ ने इस  केस को स्वीकार कर लिया है।  

यह है मामला

गोल्डेन रैबिट कम्पनी के क्षेत्रीय निदेशक इंदिरा नगर निवासी कमल शर्मा ने एफआईआर में कहा है कि गलत तरह से टीआरपी को ज्यादा दिखाकर विज्ञापनदाताओं और उपभोक्ताओं को ठगा जा रहा है। टीआरपी के आधार पर विज्ञापनदाता तय करते हैं कि किस चैनल को विज्ञापन देना है। कई विज्ञापन एजेन्सियां भी इसी टीआरपी को मानक मानकर अपने उपभोक्ताओं से डील करती हैं कि फलां चैनल में कितनी देर तक का विज्ञापन दे जो उनके लिये फायदेमंद रहता है। इसके लिये चैनल एक संस्था के द्वारा रैन्डम सर्वे कराती है। फर्जीवाड़े के लिये रैन्डम सर्वे न करा कर ये लोग घरों को चिन्हित कर लेते हैं। फिर मिलीभगत कर उनके यहां पीपुल मीटर डिवाइस लगा देते हैं। इस डिवाइस से ही डेटा तैयार किया जाता है कि उस घर में कौन सा चैनल और उसका कौन सा प्रोग्राम ज्यादा व कितने समय तक देखा गया। इसकी मानीटरिंग सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा अधिकृत संस्था बीएआरसी (ब्रॉडकास्टिंग आडियन्स रिसर्च काउन्सिल) द्वारा की जाती है। इसके बावजूद कई टेलीविजन चैनल फर्जी टीआरपी से उपभोक्ताओं व विज्ञापनदाताओं से धोखाधड़ी कर रहे हैं। कमल शर्मा ने कहा है कि इस पूरी प्रक्रिया में प्रत्यक्ष ओर अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हर व्यक्ति व संस्था के खिलाफ साजिश में शामिल होने के तहत कार्रवाई की जानी चाहिये।

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