लखनऊ में एक हजार हेक्टेअर से ज्यादा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे, नेता और बिजनेस मैन फ्रंट फुट पर
नगर निगम से लेकर नगर पंचायतों तक अतिक्रमण की भरमार। सिंचाई विभाग की जमीनें खाली कराने को 15 से चलेगा अभियान।
लखनऊ [राजीव बाजपेयी]। नगर निगम से लेकर एलडीए तक अपनी जमीन सुरक्षित रखने में नाकाम साबित हुए हैं। सिंचाई विभाग की जमीनों को कब्जे से मुक्त कराने के लिए तो जलशक्ति मंत्री ने निर्देश जारी कर दिए, लेकिन एक हजार हेक्टेयर से अधिक सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे हैं जिनको खाली कराना आसान नहीं है।
राजधानी में सरकारी महकमों की जमीनें ही सबसे अधिक असुरक्षित हैं। नगर निगम से लेकर एलडीए और वन विभाग तक कोई ऐसा विभाग नहीं है जिसकी जमीन पर दूसरे काबिज नहीं हों। दूसरे के कब्जे हटाने वाले निगम की ही करीब डेढ़ सौ हेक्टेयर जमीन पर अतिक्रमण है। ऐसा ही हाल दूसरे सरकारी महकमों का है। राजधानी में जमीन के इन आंकड़ों का गौर करें तो पता चलता है कि अधिकांश सरकारी महकमे जमीनों पर से अवैध अतिक्रमण हटाने में कतई दिलचस्पी नहीं रखते हैं। यही वजह है कि खुद मुख्यमंत्री के कई बार निर्देश के बावजूद अब तक राजधानी में ही करीब एक हजार हेक्टेयर से अधिक सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे हैं।
नेता से लेकर बिजनेस मैन तक पर कब्जे के आरोप
दूसरी सरकारी जमीनों की तरह ही सिंचाई विभाग की जमीनों की बड़ों ने बंदरबाट की और इमारतें खड़ी कर लीं। बाबू अड्डा चौराहे पर सिंचाई विभाग की जमीन पर व्यवसायी हलवासिया ने कांपलेक्स खड़ा किया। शिकायत होने पर प्रशासन ने निर्माण कार्य रुकवा दिया। सपा का दामन छोड़कर भाजपा से एमएलसी बने बुक्कल नवाब भी सिंचाई विभाग की कई जमीनें अपनी होने का दावा करते रहे हैं। कई मामले कोर्ट में लंबित भी हैं। इसके अलावा बख्शी का तालाब इलाके में माल रोड के पास एक रियल स्टेट कारोबारी नदी किनारे अपनी टाउनशिप बसाने की तैयारी कर रहा है। शारदा नहर के आसपास कई लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है।
नगर पंचायतों में बीकेटी : 29.98 हेक्टेयर इटौंजा 1.1173 हेक्टेयर महोना : 0.664 हेक्टेयर ग्राम पंचायतों में
तहसीलों में
(तहसील आंकड़ों में थोड़ा फेरबदल हो सकता है)