घरेलू बिलजी उपभोक्ताओं को लगेगा तगड़ा झटका

लखनऊ (जागरण ब्यूरो)। बिजली कंपनियों के टैरिफ प्रस्ताव को यदि विद्युत नियामक आयोग ने मान लिया तो

By Edited By: Publish:Mon, 13 Jan 2014 12:54 PM (IST) Updated:Tue, 14 Jan 2014 01:30 AM (IST)
घरेलू बिलजी उपभोक्ताओं को लगेगा तगड़ा झटका

लखनऊ (जागरण ब्यूरो)। बिजली कंपनियों के टैरिफ प्रस्ताव को यदि विद्युत नियामक आयोग ने मान लिया तो प्रदेशवासियों को पूर्व के वर्षो से कहीं ज्यादा महंगी बिजली का झटका लगेगा। घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दर मे अब तक की सबसे अधिक बढ़ोत्तरी प्रस्तावित कर बिजली कंपनियां तीन हजार से अधिक करोड़ रुपये का लाभ कमाएंगी।

बिजली कंपनियों ने वर्ष 2013-14 में जब बिजली दरों में बढ़ोत्तरी की गयी थी तब कंपनियों को लगभग 2410 करोड़ रुपये अतिरिक्त राजस्व बिजली दर बढ़ोत्तरी से प्राप्त होना था, लेकिन 2014-15 में जो व्यापक बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव आयोग को दिया गया है उसे यदि आयोग ने मान लिया तो कंपनियों को लगभग 3078 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। चौंकाने वाला मामला यह है कि इस अतिरिक्त राजस्व में से केवल घरेलू शहरी विद्युत उपभोक्ताओं से 1131 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलने की उम्मीद जताई गई है जो कि कुल अतिरिक्त प्रस्तावित राजस्व प्राप्ति का 36.75 फीसदी है।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि 2014-15 में बिजली दर में जो बढ़ोत्तरी प्रस्तावित है, वह पूर्व वर्ष में हुई बढ़ोत्तरी से भी ज्यादा है। वर्मा ने कहा कि सरकार प्रस्तावित बढ़ोत्तरी को वापस लेकर बिजली दरों में कमी करने के लिए विचार करे। उपभोक्ता परिषद किसी भी हालत में राज्य सरकार को उसके मंसूबे में कामयाब नहीं होने देगा। दरों में फिर प्रस्तावित बढ़ोत्तरी से सूबे की पांच करोड़ जनता प्रभावित होगी।

वर्मा के मुताबिक राज्य सरकार को लाइन हानियों पर अंकुश व बकाया वसूल कर घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में कमी करना चाहिए। दुर्भाग्य की बात है कि पावर कारपोरेशन एफआरपी के तहत वर्ष 2013-14 में एटीसी लाइन हानियों में पांच प्रतिशत कमी करने का जो लक्ष्य निर्धारित किया गया था, उससे सभी डिस्काम पीछे ही चल रहे हैं। वर्मा ने बताया कि पीटीडब्ल्यू के तहत ग्रामीण किसानों के ट्यूबेल की बिजली दरें भले नहीं बढ़ाई गई हैं लेकिन शहरी क्षेत्र के ऐसे किसान जिनके परिसर में मीटर लगा है, उनकी बिजली दरों में लगभग 25 फीसदी बढ़ोत्तरी प्रस्तावित है जबकि सरकारी विभागों की बिजली दरों में न्यूनतम वृद्धि प्रस्तावित है।

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