उत्तर प्रदेश में होलिका की आंच में तप कर चटख हुआ होली का रंग

पूरे उत्तर प्रदेश में होलिका की आंच में तप कर होली का रंग और चटख होने लगा है। जगह-जगह होलिका दहन के साथ ही रंगोत्सव का खुमार छाने लगा है।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Thu, 01 Mar 2018 08:38 PM (IST) Updated:Thu, 01 Mar 2018 09:11 PM (IST)
उत्तर प्रदेश में होलिका की आंच में तप कर चटख हुआ होली का रंग
उत्तर प्रदेश में होलिका की आंच में तप कर चटख हुआ होली का रंग

लखनऊ (जेएनएन)। पूरे उत्तर प्रदेश में होलिका की आंच में तप कर होली का रंग और चटख होने लगा है। जगह-जगह होलिका दहन के साथ ही रंगोत्सव का खुमार छाने लगा है। प्रदेश मस्ती में डूब गया है। काशी, मथुरा, अयोध्या और गोरखपुर में अलग अलग रंग दिखाई दिए। वाराणसी में देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में रंग पर्व होली का खुमार एक दिन पहले छा गया। हालांकि सभी जगह दोपहर बाद से गांव हो या शहर होलियाना मूड में आया और शाम को होलिका की आग में तप कर इसका रंग और भी चटख हो गया। आधुनिक गीतों के साथ गूंजे होरी-फाग और अबीर गुलाल से पटे उत्साही युवाओं ने बाइक से पूरा शहर नाप दिया। मथुरा में होली का रंग टेसू के फूलों के साथ कुछ निराला हो गया।

पर्व-उत्सवों का शहर बनारस वैसे तो रंगभरी एकादशी पर भोले बाबा के भाल गुलाल मल कर ही होली-हुड़दंग के मूड में आ जाता है, लेकिन गुरुवार सुबह से इसकी रंगत निखर गई। रंग-उमंग के पर्व को लेकर काशी का कोना-कोना उल्लास-आह्लïाद और उत्साह से मदमस्त नजर आया। चहुंओर अदना हो या आला सभी ने दुनियावी दुश्वारियों का पिटारा किनारे रखा और मन-मिजाज में उत्सवी रंगों को संभाला। खानपान-कपड़े, उपहार और साज सज्जा के सामानों की जमकर खरीदारी की।

लखनऊ में घरों में गुझिया-मिष्ठान, सोहाल-पापड़ तल कर त्योहार की तैयारी की तो उत्साही जत्थों ने होलिका स्थलों की कमान संभाली। गुहार-मनुहार और चंदा-व्यवहार से सूखी लकडिय़ों और कंडों का जतन किया। इससे वसंत पंचमी पर गाड़ी गई रेड़ के ढेर को विशाल रूप दिया। इस पर होलिका व भक्त प्रह्लïद की प्रतिमा स्थापित की और चमकीली झालरों से साज-सज्जा को फाइनल टच दिया। मुहूर्त अनुसार शाम 6.58 बजे ढोल- नगाड़े की थाप और मंत्रों की बीच अनुष्ठान पूर्वक होलिका में आग लगाई। इसके साथ फाग-होरी के स्वर गूंजे और पिंगलबाजों ने हर एक को निशाने पर लिया।

धधकती आग से निकले पंडा 

प्रहलाद नगरी फालैन में गुरुवार को बाबूलाल पंडा ने एक बार फिर धधकती होलिका से निकलकर दशकों से चली आ रही परंपरा को जीवंत किया। भक्त प्रहलाद की माला धारण कर बाबूलाल पंडा ने होलिका में प्रवेश किया और कुछ क्षण बाद ही पंडा दूसरी ओर से सकुशल बाहर निकल आया। इस विस्मयकारी दृश्य को देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। श्रद्धालुओं ने रंगों की बौछार कर प्रहलाद का जयघोष किया और नरसिंह भगवान को नमन किया। कोसीकलां कस्बे से करीब पांच किमी दूर गुरुवार को भक्ति में शक्ति के चमत्कार की अग्नि परीक्षा हुई। रात आठ बजते ही सभी की नजरें प्रहलाद मंदिर के सामने चौक में सजी विशाल होलिका पर आ टिकीं। मंदिर से बाबूलाल पंडा के निकलते ही जयघोष हुआ और होलिका में अग्नि प्रवेश करा दी गई। रात को तय मुहूर्त पर बाबूलाल पंडा प्रहलाद कुंड में स्नान कर होलिका की ओर दौड़ पड़े। उन्होंने चंद कदमों में ही होलिका को पार कर दिया, होलिका की दूसरी ओर खड़े मेला आचार्य पंडित भगवान सहाय एवं गांव के लोगों ने पंडा को कपड़ों में लपेट लिया और प्रहलादजी के शरण में ले गए। यहां पूजा अर्चना कराई गई। उधर पंडा के सकुशल होलिका से निकलते ही भक्त प्रहलाद के गगनभेदी जयघोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया। वहीं गांव जटवारी में भी तय मुहूर्त में सुनील पंडा ने धधकती होलिका से निकलने की पंरपरा का निर्वहन किया। उन्होंने प्रहलाद मंदिर पर पूजा अर्चना कर धधकती होलिका में प्रवेश किया और सकुशल निकले। यहां भी बड़ी संख्या में पंडा के दर्शनों के लिए लोग जुटे थे।

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