अस्पतालों के बाहर अतिक्रमण हटाने के लिए क्या किया : हाईकोर्ट का जिला प्रशासन से सवाल
लखनऊ के अस्पतालों के बाहर हर रोज जाम लगता है। कई मौतों और हाईकोर्ट की सख्ती के बाद भी ध्यान नहीं दिया जाता है। कोर्ट ने तीन मई को लखनऊ जिला प्रशासन से तलब की रिपोर्ट है।
लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने लखनऊ जिला प्रशासन से अतिक्रमण हटाने को लेकर जवाब तलब किया। कोर्ट ने पूछा है कि पीजीआइ, केजीएमयू, बलरामपुर व सिविल अस्पताल के निकट से अतिक्रमण हटाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने मामले की रिपोर्ट तीन मई को तलब की है।
यह आदेश जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल व जस्टिस रजनीश कुमार की बेंच ने प्रेम शंकर पांडेय की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया। याची ने पीजीआइ के पास अतिक्रमण को हटाने का मुद्दा उठाया था। इस मुद्दे पर शुक्रवार को कोर्ट को बताया गया कि आठ सदस्यीय टीम इस मामले को देख रही है। इसकी रिपोर्ट आनी बाकी है।
केजीएमयू और बलरामपुर अस्पताल का मामला भी उठा
हाईकोर्ट में पीजीआइ के बाहर अतिक्रमण हटाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केजीएमयू, बलरामपुर व सिविल अस्पताल के निकट अतिक्रमण का मुद्दा भी उठा। इस पर कोर्ट ने कमेटी से सभी जगह के अतिक्रमण हटाने के बाबत रिपोर्ट तलब कर ली है।
शासन का आदेश भी बेअसर
शासन की ओर से चौराहें से 50 मीटर दूर रिक्शा, ई-रिक्शा और ऑटो-टेंपो खड़ा करने के निर्देश दिए गए थे। शुरुआत में आदेश का पालन कराया गया था, लेकिन समय बीतते ही सब सामान्य हो गया। सिविल, ट्रामा, बलरामपुर अस्पताल के बाहर चौराहे पर ही बेतरतीब खड़े वाहनों के अलावा ठेले देखे जा सकते हैं।
अस्पतालों के बाहर जाम से जा चुकी है मरीजों की जान
लखीमपुर खीरी निवासी विमला को बलरामपुर अस्पताल लाया जा रहा था। जाम के चलते विमला समय से अस्पताल नहीं पहुंच सकी और उन्होंने दम तोड़ दिया। इसके अलावा एक मासूम की जान अस्पताल पहुंचने से पहले ही अतिक्रमण के कारण चली गई थी।