रामनगरी के कण-कण में दिव्यता, हनुमंतलाल के हाथों में रामनगरी की मंगल पताका
राम नगरी की कहानी सप्तपुरियों में शीर्षस्थ अयोध्या की जिम्मेदारी बजरंगबली को देकर साकेतवासी हुए थे श्रीराम।
अयोध्या [आशुतोष मिश्र]। रामनगरी के कण-कण में दिव्यता है। यहां पग-पग पर इसके महात्म्य सहित सिद्ध संतों की कहानियां बिखरी हैं। इसी में से एक कथा ऐसी है, जो भगवान श्रीराम की जन्मस्थली को बजरंगी के भक्तों का भी शीर्षस्थ तीर्थ बनाती है। अयोध्या के मध्य पहाड़ीनुमा हनुमान गढ़ी में बसे हनुमान इस नगरी की हर वक्त निगरानी करते हैं। जन विश्वास है कि रामनगरी की मंगल पताका थाम रखे पवनपुत्र यहां अमंगल करने की हर साजिश नाकाम कर देते हैं। अयोध्यावासी बताते हैं कि आतंकियों ने कई बार रामनगरी को धमाकों से दहलाने की साजिश की लेकिन, रामसेवक ने अपनी माया से हर बार इसे नाकाम कर दिया।
आदिकाल से रामनगरी स्तुत्य एवं पूज्य रही है। स्कंद पुराण और रुद्रयामल में अयोध्या, मथुरा, माया, काशी, कांची, अवंतिका और पुरी द्वारावती को मोक्षदायी बताया गया है। इन सप्तपुरियों में भी अयोध्या शीर्ष पर है। इसकी अहम वजह भगवान श्रीराम और उनके अनन्य सेवक श्रीहनुमान का यहां विराजमान होना है। हनुमान गढ़ी के संत राजू दास बताते हैं कि श्रीराम जलसमाधि लेने से पहले बजरंग बली को अयोध्या नगरी की जिम्मेदारी दे गए थे। तबसे हनुमानजी रामनगरी पर विशेष निगाह रखते हैं। यहां से बाहर निकलते ही सामने विकास गुप्त की प्रसाद की दुकान है। पूछते ही विकास हनुमान गढ़ी के महात्म्य के बारे में बताते हुए आतंकी घटनाओं का जिक्र करने लगते हैं। वह रामलला पर पांच जुलाई 2005 को आतंकी हमले में मिस हुए 26 ग्रेनेड का जिक्र करते हैं। बताने लगते हैं कि कई बार हनुमान गढ़ी और आसपास भी आतंकियों ने बम रखे मगर, वो दग न सके। हनुमान गढ़ी की सीढ़ी के पास छिपाकर रखे बम को तो एक बंदर ने गिराकर आतंकियों की साजिश नाकाम कर दी।