परिवहन विभाग से मिलती-जुलती वेबसाइट बनाकर अधिकारियों से धोखाधड़ी

अधिकारियों ने बताया कि चोरी की गाड़ियों को दूसरे राज्यों में बेचने के लिए हैकर फर्जी वेबसाइट के जरिये विभाग के डाटा में सेंधमारी कर रहे थे।

By Amal ChowdhuryEdited By: Publish:Fri, 15 Dec 2017 09:34 AM (IST) Updated:Fri, 15 Dec 2017 09:34 AM (IST)
परिवहन विभाग से मिलती-जुलती वेबसाइट बनाकर अधिकारियों से धोखाधड़ी
परिवहन विभाग से मिलती-जुलती वेबसाइट बनाकर अधिकारियों से धोखाधड़ी

लखनऊ [धीरज त्रिपाठी]। परिवहन विभाग की सरकारी वेबसाइट से मिलती-जुलती साइट हैकरों ने बना डाली। होम पेज एक जैसा होने के चलते अधिकारी गूगल के जरिये विभाग की मूल वेबसाइट के बजाय फर्जी वेबसाइट पर लॉगइन करने लगे। इसी का फायदा हैकरों ने उठाना शुरू कर दिया। अफसरों को इसकी जानकारी हुई तो खलबली मच गई। आनन-फानन उन्होंने अपने-अपने पासवर्ड बदले और विभाग की वेबसाइट से ही नेशनल रजिस्टर में लॉगइन करना शुरू किया।

परिवहन आयुक्त पी गुरुप्रसाद की तरफ से भी इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि चोरी की गाड़ियों को दूसरे राज्यों में बेचने के लिए हैकर फर्जी वेबसाइट के जरिये विभाग के डाटा में सेंधमारी कर रहे थे। दरअसल एक गाड़ी का रजिस्ट्रेशन दूसरे जिले या राज्य में तभी संभव हो सकता है जब उसके पास एनओसी हो। इस एनओसी के लिए सबसे पहले उस कार्यालय से अनुमति लेनी पड़ती है जहां गाड़ी रजिस्टर्ड है।

संबंधित आरटीओ ऑफिस से एनओसी लेने के बाद वह किसी अन्य राज्य या जिले में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन कर वहां का नंबर ले सकता है। इसके लिए वाहन-फोर की फर्जी वेबसाइट से देश भर में इसका प्रयोग होता रहा।

यूपी के परिवहन आयुक्त पी गुरु प्रसाद कहते हैं, एनआइसी से जानकारी मिली कि एक फर्जी वेबसाइट के माध्यम से विभागीय वेबसाइट पर लॉगइन किया जा रहा है और गलत ढंग से इसका प्रयोग हो रहा है। धोखाधड़ी करके एनओसी आदि जारी हो रही है। इसके बाद परिवहन विभाग के सभी अधिकारियों को सतर्क कर दिया गया है कि वह विभाग की सरकारी वेबसाइट से ही नेशनल रजिस्टर पोर्टल पर जाएं और काम करें।

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ऐसे की गई गड़बड़ी: दरअसल परिवहन विभाग मूल वेबसाइट और फर्जी वेबसाइट में काफी समानताएं हैं। होमपेज भी एक जैसा ही है। परिवहन अधिकारी जब परिवहन विभाग की वेबसाइट खोलते तो उसकी जगह फर्जी वेबसाइट खुल जाती। अधिकारी यहां जैसे ही अपना आईडी और पासवर्ड डालते, हैकर उसे कॉपी कर लेते। इसके बाद विभाग के डेटा की चोरी शुरू कर देते। इसी से हैकर नेशनल रजिस्टर पोर्टल खोल लेते थे। साथ ही उस गाड़ी की एनओसी जारी कर देते, जिसे चोरी कर लाया है और उसे किसी अन्य जगह रजिस्ट्रेशन कराकर बेचना है।

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