यूपी राज्यपाल ने राजबब्बर को दी संयमित भाषा का इस्तेमाल करने की सलाह

राज्यपाल राम नाईक ने कानून-व्यवस्था को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर के पत्र की भाषा पर कड़ी आपत्ति जताते हुएसंयमित भाषा का इस्तेमाल करने की सलाह दी।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Sun, 04 Nov 2018 11:53 PM (IST) Updated:Mon, 05 Nov 2018 07:45 AM (IST)
यूपी राज्यपाल ने राजबब्बर को दी संयमित भाषा का इस्तेमाल करने की सलाह
यूपी राज्यपाल ने राजबब्बर को दी संयमित भाषा का इस्तेमाल करने की सलाह

लखनऊ (जेएनएन)। यूपी राज्यपाल राम नाईक ने कानून-व्यवस्था को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर द्वारा लिखे गए पत्र की भाषा पर कड़ी आपत्ति जताते हुए उन्हें संयमित भाषा का इस्तेमाल करने की सलाह दी। बीते दो नवंबर को राज बब्बर ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए राज्यपाल से मांग की थी कि वह इस पर चुप्पी तोड़ें और हस्तक्षेप करें। पत्र का जवाब रविवार देर शाम देते हुए राम नाईक ने कहा कि आपकी भाषा पर हमें आपत्ति है। आपकी भाषा कतई उचित नहीं है। हमें इस पर खेद है।

संवैधानिक पदों का सम्मान लोकतंत्र की पहचान

अपने जवाब में राज्यपाल ने लिखा कि राजनीति में संवैधानिक पदों का सम्मान लोकतंत्र की पहचान होती है। आपकी भाषा सर्वथा उचित नहीं है। हमें इस पर खेद है। इसका यह मतलब नहीं है कि मेरी कोई मजबूरी है और मैं चुप हूं। किसी ने भी राजभवन की वाणी पर विराम नहीं लगाया है। राज्यपाल के पद पर मुझे चार साल तीन माह हो गए हैं। आप मेरे पत्र पढ़ते ही होंगे। मेरी वाणी में कोई विराम नहीं दिखता होगा। हां, यह जरूर है कि मैं राज्यपाल की गरिमा के अनुरूप बोलता हूं और उस पद का ख्याल रखता हूं। सभ्य भाषा में अपनी बात रखता हूं न कि आपकी शैली में।

तीन बार पढ़कर जवाब लिखा 

राम नाईक ने यह भी लिखा कि राज बब्बर का पत्र उन्होंने तीन बार पढ़कर जवाब लिखा है। उन्होंने कहा कि राज बब्बर ने अपना पत्र प्रसार माध्यम से मुझे दिया तो इसलिए मैं भी उसी माध्यम से इसका जवाब दे रहा हूं। उन्होंने यह भी कहा कि आपके द्वारा उठाए मुद्दों के बारे में उन्होंने मुख्यमंत्री से चर्चा कर ली है, जो इन पर उचित कार्रवाई कर रहे हैं। राज्यपाल राज बब्बर को दीपावली की शुभकामनाएं देना भी नहीं भूले।

पत्र में यह लिखा था राजबब्बर ने

राज्यपाल राम नाईक को चार पन्नों के लिखे पत्र में खराब कानून व्यवस्था और अन्य समस्याओं का उल्लेख करते हुए राज बब्बर ने लिखा था कि इन सब पर आपकी चुप्पी एक अचम्भा है। आखिरकार आपको किसने चुप कर रखा है? आप क्यों नहीं बोल रहे हैं? राजभवन और राज्यपाल की आखिर क्या मजबूरी है कि राजभवन चुप है? यूं तो राजभवन स्पंद और जीवंत होता है पर, यह चुप्पी अजीब सी लग रही है।

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