न्यास में राममंदिर आंदोलन के नायकों को मिल सकती है जगह, दावेदारों में कई दिग्गज

मंदिर निर्माण के लिए शासकीय न्यास का गठन अगले सप्ताह संभव।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 24 Jan 2020 09:15 PM (IST) Updated:Sat, 25 Jan 2020 07:34 AM (IST)
न्यास में राममंदिर आंदोलन के नायकों को मिल सकती है जगह, दावेदारों में कई दिग्गज
न्यास में राममंदिर आंदोलन के नायकों को मिल सकती है जगह, दावेदारों में कई दिग्गज

अयोध्या, (रमाशरण अवस्थी)। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए शासकीय न्यास का गठन आठ फरवरी के पूर्व कर लिया जाना है। बहुत संभव है कि 31 जनवरी से शुरू हो रहे संसद बजट सत्र से पूर्व ट्रस्ट का गठन कर लिया जाए, ताकि बजट सत्र में ट्रस्ट से जुड़ा बिल पेश किया जा सके। शासकीय न्यास में कौन होगा, यह सरकार के शीर्ष प्रतिनिधियों को तय करना है, पर मंदिर की संभावना कामयाब बनाने को आधार बनाया जाए तो रामनगरी से इस ट्रस्ट के लिए कुछ चुनिंदा दिग्गजों की दावेदारी बनती है।

इस क्रम में सर्वाधिक अहम मणिरामदास जी की छावनी के महंत नृत्यगोपालदास हैं। महंत नृत्यगोपालदास 1984 में शुरुआत से ही मंदिर आंदोलन के संरक्षकों में शुमार रहे हैं। 2003 में परमहंस एवं 2014 में महंत अवेद्यनाथ के साकेतवास के बाद उनकी गणना मंदिर आंदोलन के वरिष्ठतम प्रतिनिधि के रूप में होती रही है।

रामजन्मभूमि न्यास के ही सदस्य एवं पूर्व सांसद डॉ. रामविलासदास वेदांती को भी शासकीय न्यास में शामिल होने का स्वाभाविक दावेदार माना जाता है। रामलला के हक में आए फैसले के पीछे सर्वाधिक अहम रामजन्मभूमि पर रामलला के विग्रह की स्थापना थी और रामलला की स्थापना में हनुमानगढ़ी से जुड़े महंत अभिरामदास की अहम भूमिका थी। इन्हीं अभिरामदास के शिष्य एवं उत्तराधिकारी महंत धर्मदास मंदिर की दावेदारी से जुड़ी गुरु की विरासत आगे बढ़ाते रहे हैं।

रामचंद्रदास परमहंस के उत्तराधिकारी एवं दिगंबर अखाड़ा के वर्तमान महंत सुरेशदास भी मंदिर आंदोलन के शलाका पुरुष की विरासत का प्रतिनिधित्व करने के चलते शासकीय न्यास के दावेदारों में शुमार हैं। वे सुप्रीमकोर्ट में राममंदिर के पक्षकार भी रहे हैं।

अखाड़ा की नुमाइंदगी कर सकते हैं दिनेंद्रदास

मंदिर का मुकदमा लडऩे वाले निर्मोही अखाड़ा के सरंपच रहे महंत भास्करदास के साकेतवास और वर्तमान सरपंच राजारामचंद्राचार्य की उम्र 90 वर्ष से अधिक की होने के चलते शासकीय न्यास में अखाड़ा की ओर से नुमाइंदगी महंत दिनेंद्रदास कर सकते हैं।

रामलला के सखा भी पुरस्कार के हकदार

रामजन्मभूमि की मुक्ति के लिए 491 वर्ष से चल रहे संघर्ष के पटाक्षेप में रामलला के सखा त्रिलोकीनाथ पांडेय की अहम भूमिका रही है।

कुणाल की भी अहमियत कम नहीं

आइपीएस अधिकारी रहे आचार्य किशोर कुणाल 1991 में वे प्रधानमंत्री कार्यालय में इस विवाद के समाधान के लिए बने अयोध्या प्रकोष्ठ के विशेष कार्याधिकारी भी थे। कुछ वर्ष पूर्व उन्होंने 'अयोध्या रिविजिटेड' नाम का शोधपरक ग्रंथ लिखा, जो मंदिर-मस्जिद विवाद पर समुचित रोशनी डालने वाला सिद्ध हुआ।

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