अफसरों की लापरवाही से लखनऊ के चार मुहल्लों में मिट्टी का गुबार, सरकारी मशीनरी ही फैला रही वायु प्रदूषण

सीवर लाइन डालने में मानकों की अनदेखी। हजरतगंज लालबाग कैसरबाग आलमबाग में मिट्टी का गुबार। स्मार्ट सिटी के काम से सांस लेना मुश्किल मिट्टी पर पानी का छिड़काव तक नहीं किया जा रहा है। निवासी परेशान। अफसर सिर्फ बैठक कर वायु प्रदूषण कम करने के दावे कर रहे हैं।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Sun, 01 Nov 2020 04:49 PM (IST) Updated:Mon, 02 Nov 2020 06:30 AM (IST)
अफसरों की लापरवाही से लखनऊ के चार मुहल्लों में मिट्टी का गुबार, सरकारी मशीनरी ही फैला रही वायु प्रदूषण
लखनऊ : सीवर लाइन डालने में हजरतगंज, लालबाग, कैसरबाग, आलमबाग में मिट्टी का गुबार।

लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। अगर आप हजरतगंज होते हुए लालबाग और कैसरबाग की तरफ जा रहे हैं तो मुंह को ढंक लीजिए, यहीं तो धूल से आपका चेहरा सन जाएगा। अगर ऐसा ही हाल आलमबाग क्षेत्र का भी है। सीवर लाइन डालने में मानकों की अनदेखी की जा रही है और उसका असर यह दिख रहा है कि सांस लेना तक मुश्किल हो गया है। सड़कों को खोदने के बाद वहां मिट्टी पर पानी का छिड़काव तक नहीं किया जा रहा है। ठेका पाई कंपनी एक जगह का काम पूरा करने के बजाय अन्य इलाकों की सड़कों को खोद रही है और फिर उसे समय पर बन बनाए जाने से मिट्टी हवा में उड़ रही है, जो तमाम नुकसानदायक कण के साथ ही हर किसी को बीमार कर रही है। यह सब सरकारी मशीनरी से हो रहा है और अफसर सिर्फ बैठक कर वायु प्रदूषण कम करने के दावे कर रहे हैं। वायु प्रदूषण रोकने के लिए तैयार मास्टर प्लान सीवर लाइन डाल रही एजेंसियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है।

स्मार्ट सिटी के काम से सांस लेना मुश्किल

केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी सिटी योजना से हजरतगंज, लालबाग, कैसरबाग क्षेत्र में सीवर लाइन डाली जा रही है। स्मार्ट सिटी सिटी योजना का अध्यक्ष कमिश्नर होता है और जिलाधिकारी से लेकर नगर आयुक्त इस योजना के सदस्य हैं। इसके बाद भी स्मार्ट सिटी सिटी योजना के तहत सीवर लाइन डाल रही कंपनी बेलगाम है। वायु प्रदूषण रोकने की राय दे रहे अफसर कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं और वह सड़कों को खोदकर छोड़ रही है और कई कई दिनों तक मिट्टी सड़क पर एकत्र होने से वायु को भी प्रदूषित कर रही है। बहुत दबाव पडऩे पर ही कंपनी के लोग कुछ जगहों पर ही दिन में एक बार पानी का छिड़काव कर रहे हैं और हवा में मिट्टी घुलने का कोई असर नहीं दिख रहा है।

हाल यह है कि घरों के बाहर खड़ी कारों पर धूल की परत ही कुछ घंटों में दिखने लगती है। यह हाल तब है, जब वायु प्रदूषण रोकने के लिए हर तरफ से कवायद चल रही है लेकिन लखनऊ में तैनात अफसर सीवर लाइन डालने वाली कंपनी पर शिकंजा नहीं कस पा रही है। मामला नगर निगम सदन में भी उठ चुका है लेकिन सदन में मामला उठने के बाद किसी को भी कार्रवाई की चिंता नहीं रहती है।

अब देखिए यहां के हालात

लारेंस टेरेंस कॉलोनी में करीब दस दिन पहले ही सीवर डाली डाली गई थी लेकिन यहां हर कोई परेशान है और मिट्टी के साथ आए तमाम तरह के कण घरों में जा रहे हैं। यहां घरों के बाहर खड़ी गाडिय़ों पर मिट्टी की मोटी परत चढ़ गई है। ऐसा ही हाल नवल किशोर रोड, लालबाग और कैसरबाग से जुड़े इलाकों का है।

नवल किशोर रोड पर पंद्रह दिन पहले सड़कों को खोदकर सीवर के पाइप डाले गए थे, लेकिन यहां मिट्टी और धूल हर किसी को परेशान कर रही है। यहां के निवासी संजय अग्रवाल कहते हैं कि मिट्टी ढेर एकत्र होने से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।

रामतीर्थ हजरतगंज वार्ड से पार्षद नागेंद्र सिंह चौहान और जेसी बोस वार्ड के पार्षद सैय्यद यावर हुसैन रेशू का कहना है कि मनमानी तरह से सीवर लाइन डालने का काम हो रहा है। सड़क खोदने के बाद उसे समय पर न बनाए जाने से मिट्टी हवा में घुल रही है और सांस लेना तक मुश्किल हो गया है।

आलमबाग में तो और बुरे हालात

आलमबाग में सीवर लाइन डालने का काम जलनिगम कर रही है और नगर निगम ने एक को ठेका दे रखा है लेकिन ठेकेदार ने ठेके को कई हाथों में बेंच दिया है। यह आरोप भी आलमबाग से जुड़े क्षेत्र के पार्षद राजेंद्र सिंह गप्पू, सुधीर मिश्र ने तो नगर निगम सदन में मुद्दा उठाया था और जलनिगम पर मनमानी करने का आरोप लगाया था। जलनिगम के अभियंता भी सदन में तलब किए गए लेकिन इसके बाद भी कुछ नहीं हो सका।

क्या कहते हैं नगर अभियंता ? 

नगर अभियंता महेश वर्मा के मुताबिक, 'स्मार्ट सिटी के तहत हजरतगंज, लालबाग, कैसरबाग इलाके में सीवर लाइन डा रही कंपनी को नोटिस दी गई है कि वह सड़कों को ठीक कराए और खोदी गई जगह पर पानी का छिड़काव समय-समय पर कराती रहे।

फेफड़े में पहुंचते हैं कण

केजीएमयू के चेस्ट विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ.राजेंद्र प्रसाद कहते हैं कि धूल के कणों के साथ पीएम 2.5 जैसे प्रदूषित कण भी सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंचते हैं जो हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे सांस संबंधी रोग होने का खतरा रहता है। वहीं जिन लोगों को सांस संबंधी समस्या है उनकी समस्या भी बढ़ सकती है।

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