सोनम हत्याकांड: पूर्व सीओ को पांच साल और सिपाही को आजीवन कारावास, नौ साल बाद मिला इंसाफ

Sonam Murder case तत्कालीन सीओ और सिपाही को वर्ष 2011 के इस मामले में हत्या व सबूत मिटाने का दोषी पाया गया था।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Fri, 28 Feb 2020 05:29 PM (IST) Updated:Sat, 29 Feb 2020 08:31 AM (IST)
सोनम हत्याकांड: पूर्व सीओ को पांच साल और सिपाही को आजीवन कारावास, नौ साल बाद मिला इंसाफ
सोनम हत्याकांड: पूर्व सीओ को पांच साल और सिपाही को आजीवन कारावास, नौ साल बाद मिला इंसाफ

लखनऊ, जेएनएन। Sonam Murder case: लखीमपुर खीरी के निघासन थाना परिसर में चौदह वर्षीय सोनम की हत्या कर शव को पेड़ पर लटकाने के मामले में तत्कालीन सीओ इनायत उल्लाह खां को पांच वर्ष का कठोर कारावास और पचास हजार रुपये अर्थदंड तथा पुलिस कांस्टेबल अतीक अहमद को आजीवन कारावास और एक लाख जुर्माने की सजा सुनाई गई है।

सीबीआइ के विशेष जज प्रदीप सिंह की ने कांस्टेबल अतीक अहमद को हत्या का साक्ष्य मिटाने के आरोप में भी अलग से पांच वर्ष की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा है कि अर्थदंड की आधी राशि मृतका की मां तरन्नुम को दी जाए। अदालत ने साक्ष्य के अभाव में आरोपित कांस्टेबल शिव कुमार और उमा शंकर को बरी कर दिया है। दोनों को अदालत ने गत 24 फरवरी को दोषी करार दिया था।

बता दें, 26 फरवरी को विशेष न्यायाधीश के अवकाश के चलते यह सुनवाई टल गई थी, जो आज पूर्ण हुई है। विचारण करने के उपरांत गत 24 फरवरी को अदालत ने तत्कालीन सीओ इनायत उल्ला खां और सिपाही अतीक अहमद को दोषी करार दिया था। वहीं, सिपाही शिव कुमार एवं उमाशंकर को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था। जेल से कोर्ट पहुंचने के बाद दोनों दोषियों को जेल भेज दिया गया। 

सुबूत मिटाए

अदालत ने अपने विस्तृत आदेश में कहा है कि वादिनी ने बयानों में कहा है कि मुझसे कागज पर जबरदस्ती अंगूठा लगवाया गया था। अंगूठा लगवाने वालों में सीओ, भुवनेश्वर व दीपू थे। मैं रो और चिल्ला रही थी लेकिन घर में घुसकर जबरदस्ती अंगूठा लगवाया गया। इससे भी स्पष्ट होता है कि अभियुक्त सीओ इनायत उल्लाह विवेचना को जबरदस्ती गुमराह करने का प्रयास कर रहे थे। सीओ द्वारा कांस्टेबल अतीक अहमद को बचाए जाने के उद्देश्य से लॉग बुक में तत्कालीन ड्राइवर श्रीकृष्ण वर्मा से जानबूझकर ओवर राइटिंग कर मस्जिद जाने की प्रविष्टि कराई गई। वादिनी को पांच लाख रुपये दिए जाने का प्रलोभन दिया गया ताकि वह प्रकरण पर जोर न दे। इस प्रकार अभियुक्त अतीक को बचाने के ही उद्देश्य से विवेचना को भी भ्रमित किए जाने का प्रयास किया एवं साक्ष्य मिटाए गए। 

चहेते गनर को बचाने की सीओ भरपूर की थी कोशिश 

दोषी पाए गए निघासन के तत्कालीन सीओ इनायतउल्लाह ने अपने चहेते गनर को बचाने की भरपूर कोशिश की थी। मगर सीबीआइ की विवेचना ने सच्चाई से इस कदर पर्दा उठाया कि सारा कुछ दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। अब गनर के साथ ही सीओ निघासन भी उतने ही बड़े जुर्म के कुसूरवार माने गए जितने कि उनका गनर अतीक अहमद। 

अदालत का निष्कर्ष 

सोनम 10 जून 2011 को सुबह 11 बजे अपने घर से भैंस चराने निकली थी। वह भैंसें चराते-चराते थाना निघासन परिसर के अंदर चली गई। अतीक अहमद को मृतका से बात करते फालोवर रामचन्द्र ने देखा। उसके बाद वह जीवित नहीं देखी गई। अभियुक्त की उपस्थिति थाना परिसर में इनायत उल्लाह के साथ थी, जिसे उस दिन परेशान देखा गया। अभियुक्त इनायत उल्लाह खां, जिन पर सुपरविजन का दायित्व था, घटना के बारे में पूर्णतया जानते थे, जानबूझकर सरकारी वाहन जिप्सी की लॉग बुक/कार डायरी में ड्राइवर को कूट रचना के लिए विवश किया। वादिनी को प्रकरण को दबाने के लिए पांच लाख रुपये का प्रलोभन/ रिश्वत दिए जाने का प्रस्ताव दिया। विवेचना को भ्रमित किए जाने के लिए विवेचक को निर्देश दिया और सभी तथ्यों को छिपाया।

सीबीआइ को सौंपी गई थी जांच

हत्याकांड की जांच सीबीआइ को सौंपी गई थी। जांच में अतीक के खिलाफ सिर्फ हत्या और सबूत मिटाने का आरोप पाया गया था, जबकि दुष्कर्म की बात साबित नहीं हो पाई थी। इसके अलावा सीओ पर सबूत मिटाने का आरोप तय हुआ था। 10 जून 2011 को वादिनी तरन्नुम ने एफआइआर दर्ज कराई थी। आरोप है कि उनकी बेटी सोनम भैंस चराने गई थी। भैंस चराते हुए थाने के अंदर चली गई थी। काफी समय बाद भी जब उनकी बेटी वापस नहीं लौटी तो वह उसकी तलाश में थाना परिसर में गई तो देखा कि उनकी बेटी का शव लटक रहा था। सोनम के शरीर पर कई जगह चोट के निशान थे। हत्या का आरोप लगाकर एफआइआर दर्ज कराई गई थी।लखीमपुर के निघासन थाना परिसर में 10 जून 2011 को नाबालिग सोनम का शव मिला था। सोनम का शव थाने परिसर में पेड़ की डाल से दुपट्टे से लटकता मिला था।  मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। सीबीआइ ने भले ही घटना के एक वर्ष बाद ही राजफाश कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। इस कांड को आत्महत्या का रूप देने वाली पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाने वाले तीन डॉक्टरों को 2018 में तीन डॉक्टरों को सीजेएम कोर्ट ने सजा सुनाई थी।

दरअसल वर्ष 2011 में 10 जून की शाम निघासन थाना परिसर में लगे पेड़ की टूटी टहनी से कस्बे में ही रहने वाली दस वर्षीय बालिका सोनम का शव उसी के दुपट्टे से लटकता मिला था। थाना परिसर में बालिका का शव लटकता मिलने से उस समय खासा हड़कंप मचा था। उसी रात मामले में सोनम की मां तरन्नुम की तहरीर पर अज्ञात के विरुद्ध दुष्कर्म और हत्या का मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। अगले दिन मामले में पुलिस कर्मियों पर ही थाने में सोनम की दुष्कर्म के बाद हत्या के आरोप लगे तो मामले ने तूल पकड़ लिया। तब पुलिस पर कार्रवाई की मांग को लेकर निघासन के तत्कालीन समाजवादी पार्टी विधायक केजी पटेल व श्रीनगर के समाजवादी पार्टी विधायक डॉ. आरए उस्मानी निघासन तहसील के बाहर धरने पर बैठ गए। इस बीच घटना के अगले दिन एसपी ने तत्कालीन निघासन एसओ समेत 11 पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया।

दूसरी तरफ जिला अस्पताल के डॉ. एसपी सिंह, डॉ. एके शर्मा व एके अग्रवाल के पैनल ने सोनम के शव का पोस्टमार्टम किया। इसमें सोनम की मौत फांसी पर लटकने से होना बताया गया और दुष्कर्म की बात भी पुष्टि नहीं हुई। अगले दिन जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट सबको पता चली तो निघासन में नेताओं का जमघट लगना शुरू हुआ। मामला इतना हाईप्रोफाइल हो गया कि राहुल गांधी, राजनाथ सिंह, आजम खां व उमा भारती समेत तमाम बड़े नेता निघासन पहुंचे और सोनम के परिवार से मुलाकात की। इसके बाद शासन ने मामले का गंभीरता से संज्ञान लेकर तत्कालीन कमिश्नर प्रशांत त्रिवेदी व आइजी सुबेश कुमार को खीरी भेजा और साथ ही लखनऊ से आए चार डॉक्टरों के पैनल ने सोनम के शव का दोबारा पोस्टमार्टम किया। इसमें उसकी गला दबाकर हत्या करने की पुष्टि हुई। दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई। इसके बाद पहली बार सोनम के शव का पोस्टमार्टम करने वाले तीनों डॉक्टरों को निलंबित किया गया। उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ। 

इसके बाद में शासन ने घटना की जांच सीबीसीआइडी को सौंपी और तत्कालीन एसपी डीके राय को भी सस्पेंड कर दिया। फिर घटना के 23 दिन बाद सीबीसीआइडी ने मामले का राजफाश करते हुए इस हत्याकांड में तत्कालीन सीओ के गनर अतीक अहमद को हत्या का आरोपी बनाते हुए घटना का राजफाश किया था। बाद में सीबीआइ ने भी अपनी जांच के बाद अतीक अहमद के खिलाफ ही कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की।

सोनम हत्याकांड: टाइम लाइन में जानें कब क्‍या हुआ  10 जून 2011: निघासन थाना परिसर में शाम को पेड़ की टूटी टहनी से सोनम का शव लटकता मिला। देर रात सोनम की मां तरन्नुम की तहरीर पर अज्ञात के विरुद्ध हत्या व दुराचार का मुकदमा दर्ज। 11 जून 2011 : सोनम के शव का जिला अस्पताल के तीन डॉक्टरों के पैनल ने पहली बार पोस्टमार्टम किया। इसी दिन थानाध्यक्ष निघासन समेत 11 पुलिस कर्मी निलंबित। 12 जून 2011 : एसपी ने प्रेस वार्ता में पोस्टमार्टम रिपोर्ट का किया खुलासा, इसमें यह बताया गया कि सोनम की मौत फांसी पर लटकने से हुई है। दुराचार की भी पुष्टि नहीं हुई। 12 जून 2011 : सोनम हत्याकांड का मामला तूल पकड़ा, निघासन में नेताओं का जमघट लगना शुरू।  13 जून 2011: सोनम के शव का दूसरी बार लखनऊ से आए लखनऊ से आए डॉक्टरों के पैनल ने किया पोस्टमार्टम। इसमें सोनम की गला दबाकर हत्या किए जाने की पुष्टि। दुराचार की नहीं हुई पुष्टि। 13 जून 2011 : कमिश्नर प्रशांत त्रिवेदी व आईजी सुबेश कुमार ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रेस वार्ता में जानकारी दी। साथ ही यह बताया कि पहला पोस्टमार्टम करने वाले तीनों डॉक्टरों को निलंबित किया गया और थाने के फालोअर रामचंद्र की गिरफ्तारी हुई। 13 जून,2011 : तत्कालीन एसपी डीके राय हटाए गए, उनके स्थान पर अमित चंद्रा को खीरी का एसपी बनाया गया। 13 जून, 2011 : मुख्यमंत्री ने घटना की जांच सीबीसीआइडी को सौंपी। दूसरी तरफ सोनम हत्याकांड की सीबीआइ जांच कराने को याचिका वी द पीपुल संस्था की ओर से हाई कोर्ट की लखनऊ खंड पीठ में दायर की गई। 15 जून 2011 : शासन ने एसपी डीके राय को किया निलंबित।  3 जुलाई 2011 : सीबीसीआइडी ने तत्कालीन सीओ निघासन के गनर अतीक अहमद को गिरफ्तार कर सोनम हत्याकांड का किया खुलासा। कहा दुराचार के प्रयास में हुई थी हत्या। 9 फरवरी 2012 : सोनम हत्याकांड की सीबीआइ जांच शुरू। तीन सदस्यीय टीम पहुंची निघासन। 22 जून 2012 : सीबीआइ ने सोनम केस की चार्जशीट फाइल की। सीबीआइ के विशेष जज ने पुलिसकर्मियों को दोषी फरार दिया।

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