उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के संकट में लटका राजनीतिक दलों की प्रदेश कमेटियों का गठन

Coronavirus Effect उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण ने राजनीतिक दलों की प्रदेश कमेटियों के गठन की प्रक्रिया पर भी ब्रेक लगा दिए हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Mon, 27 Jul 2020 12:03 AM (IST) Updated:Mon, 27 Jul 2020 12:03 AM (IST)
उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के संकट में लटका राजनीतिक दलों की प्रदेश कमेटियों का गठन
उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के संकट में लटका राजनीतिक दलों की प्रदेश कमेटियों का गठन

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण ने राजनीतिक दलों की प्रदेश कमेटियों के गठन की प्रक्रिया पर भी ब्रेक लगा दिए हैं। संक्रमण का संकट आरंभ होने से पूर्व घोषित हुई कांग्रेस की प्रदेश कमेटी को छोड़कर अन्य प्रमुख पार्टियां ही नहीं, स्थानीय दलों के कार्यकर्ताओं में भी कार्यकारिणी गठित न होने से बेचैनी है। समाजवादी पार्टी में दो दर्जन से अधिक जिलों की कमेटियों का गठन लटका है।

कोरोना प्रसार से पहले प्रदेश कमेटी घोषित करने के अलावा कांग्रेस ने जिला कमेटी के गठन की प्रक्रिया पूरी करना आरंभ कर दिया है। विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज करते हुए कांग्रेस ने फ्रंटल इकाइयों पर ध्यान दिया है। करीब दो दशक बाद किसान कांग्रेस को भी सक्रिय किया गया है। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महासिचव प्रियंका वड्रा को मैदान में उतारा जा सकता है।

भारतीय जनता पार्टी में बूथ, सेक्टर, मंडल व जिला इकाइयों का गठन पूरा हो चुका है। वर्चुअल बैठक, सम्मेलन और रैलियों जैसे आयोजन भी जारी है लेकिन कार्यकर्ताओं को प्रदेश व क्षेत्रीय कमेटियों की घोषणा का इंतजार है। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह अभी पुरानी कार्यकारिणी से काम चला रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि जुलाई के प्रथम सप्ताह में कमेटी घोषित होने की संभावना थी लेकिन राष्ट्रीय नेतृत्व ने कई सुझाव दिए है ताकि सामाजिक व क्षेत्रीय संतुुलन बना रहे।

समाजवादी पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी का गठन अरसे से लटका है। सपा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन होने के करीब तीन वर्ष होने को हैं लेकिन नरेश उत्तम अपनी कमेटी की घोषणा नहीं कर पाए हैं। संगठनात्मक ढांचा तैयार करने के नजरिए से देखा जाए तो सपा अन्य दलों से पिछड़ रही है। जिला कमेटियों की गठन प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हो सकी है। राष्ट्रीय टीम में दलबदल के कारण रिक्त हुए कई अहम पदों पर भी नियुक्ति नहीं पाने से कार्यकर्ताओं में बेचैनी है। अधिकतर फ्रंटल संगठनों का भी कमोबेश यही हाल है।

बहुजन समाज पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में जिला, सेक्टर व मंडल स्तर पर तो बदलाव अक्सर होता रहता है परंतु प्रदेश अध्यक्ष मुनकाद अली की कार्यकारिणी में पदाधिकारियों की औपचारिक घोषणा नहींं हो सकी है। राष्ट्रीय कमेटी को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है क्योंकि कई पदाधिकारियों द्वारा पार्टी छोडऩे के बाद कोई बड़ी नियुक्ति नहीं हो पाई है। उधर राष्ट्रीय लोकदल ने अपने संगठनात्मक ढांचे का पुनर्गठन किया लेकिन प्रदेश अध्यक्ष पद पर डा. मसूद के फिर से निर्वाचित होने के छह माह के बाद भी कार्यकारिणी घोषित नहीं हो सकी है।

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