विदेशी ठग भी लगा रहे खातों में सेंध, हर साल 10% बढ़ रहा साइबर अपराध Lucknow News
आपको जानकर हैरानी होगी कि विदेशी गैंग की नजर सूबे के प्रमुख औद्योगिक शहरों पर है। हर साल साइबर अपराध में तकरीबन 10 फीसद बढ़ोतरी हो रही है।
लखनऊ [ज्ञान बिहारी मिश्र]। देश में सक्रिय ठगों के साथ ही विदेशी साइबर अपराधी भी लोगों के खाते में सेंध लगा रहे हैं। यह ठग सोशल मीडिया एकाउंट के जरिए आपकी गतिविधि, दोस्तों और कार्यशैली पर नजर रखते हैं। इसके बाद सोशल मीडिया साइट पर दोस्ती गांठकर सीधे खातों में सेंध लगा रहे हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि विदेशी गैंग की नजर सूबे के प्रमुख औद्योगिक शहरों पर है। सूबे में रोमानिया और नाइजीरिया के साइबर अपराधी सर्वाधिक सक्रिय हैं। रोमानिया गिरोह का पता पुलिस को तब चला था जब ठगों ने उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के नाम पर साढ़े नौ लाख रुपये हड़प लिए थे। साइबर क्राइम सेल ने पड़ताल की थी और छह मार्च 2019 को नाइजीरिया के तीन जालसाजों को दबोचा था। विदेशी अपराधी टूरिस्ट वीजा के नाम पर हजारों लोगों की गाढ़ी कमाई लूट चुके हैं। रोमानिया के शहर रेगिन, मुरेस प्रांत निवासी तनाशा फ्लोरिन, बुनुस अगस्टीन और शहर पिपरिंग, मुरेश प्रांत के मालडोवेन मिरसिया फ्लोरिन लखनऊ जेल में बंद हैं। हालांकि गिरोह के दो आरोपित फरार हैं। विदेशी गिरोह ने स्थानीय लोगों से कमीशन भी सेट कर रखा था।
गूगल से सर्वे, ई-मेल स्पूफिंग
नाइजीरियन गिरोह पहले गूगल से शहरों की इकोनॉमी की जानकारी लेने के बाद वह ई-मेल स्पूफिंग शुरू करते हैं। वह सरकारी विभागों से मिलती जुलती ई-मेल आइडी अथवा वेबसाइट बनाकर लोगों को लिंक भेजते हैं। सरकारी नौकरी के लिए आवेदन मांगते हैं। नौकरी की तलाश में लोग उस वेबसाइट पर संपर्क करते हैं तो उन्हें ई-मेल के जरिए लिंक भेजा जाता है। लिंक पर क्लिक करने वाले व्यक्ति के कंप्यूटर में वायरस चला जाता है। इसके बाद ठग उसे हैक कर खातों में सेंध लगा देते हैं।
हर साल 10% बढ़ रहा साइबर अपराध
साइबर क्राइम के मामलों में हर साल बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। यूपी के आंकड़े चौकाने वाले हैं। यहां हर साल साइबर अपराध में तकरीबन 10 फीसद बढ़ोतरी हो रही है। 2018 के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश की राजधानी में दो साल के भीतर 33.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यही नहीं, गाजियाबाद में वर्ष 2016 में जहां 62 मामले दर्ज किए गए थे, वहां दो साल बाद तीन गुना 191 प्रकरण पंजीकृत हुए। कानपुर में भी वर्ष 2016 में 136 मामले प्रकाश में आए थे, जो 2017-18 में 229 पहुंच गए। मतलब स्पष्ट है कि औद्योगिक क्षेत्रों में साइबर जालसाजों ने अपनी पैठ बनाई है। दो साल में कानपुर में साइबर अपराध का ग्राफ 29.2 फीसद बढ़ गया।
कंप्यूटर से जुड़े मामलों में बढ़ोतरी
एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि कंप्यूटर संबंधित मामले बढ़े हैं। ठगों ने 2018 में कानपुर में 204 कंप्यूटरों में सेंधमारी की थी। इनमें 165 मामले 66 आइटी एक्ट के थे। वहीं, गाजियाबाद में 191 और लखनऊ में 898 मामले कंप्यूटर संबधित दर्ज हुए।