Lucknow Coronavirus News: फीवर क्लीनिक बनी कोरोना संक्रमण रोकने का हथियार

Lucknow Coronavirus News राजधानी के पीएचसी-सीएचसी से लेकर सिविल अस्पताल बलरामपुर चिकित्सालय लोहिया संस्थान केजीएमयू और एसजीपीजीआइ में फीवर क्लीनिक चलाई जा रही है। पीपीई किट व मास्क पहन कर शारीरिक दूरी व हाइजीन का पालन करते हुए हो रही मरीजों की स्क्रीनिंग।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Sun, 18 Oct 2020 05:17 PM (IST) Updated:Sun, 18 Oct 2020 05:17 PM (IST)
Lucknow Coronavirus News: फीवर क्लीनिक बनी कोरोना संक्रमण रोकने का हथियार
सिविल अस्पताल, बलरामपुर चिकित्सालय, लोहिया संस्थान, केजीएमयू और एसजीपीजीआइ में फीवर क्लीनिक चलाई जा रही है।

लखनऊ, जेएनएन। Lucknow Coronavirus News: कोरोना काल में विभिन्न अस्पतालों में चल रही फीवर क्लीनिक संक्रमण को रोकने में कारगर हथियार साबित हो रही है। फीवर क्लीनिक में ड्यूटी करने वाले डॉक्टर पीपीई किट व मास्क पहन कर शारीरिक दूरी व हाइजीन का पालन करते हुए मरीजों की स्क्रीनिंग करते हैं। संदिग्ध मरीजों को होल्डिंग एरिया में रखकर कोविड जांच कराई जाती है। रिपोर्ट आने तक उन्हें आइसोलेट रखा जाता है। इस वजह से अगर उनकी रिपोर्ट बाद में पॉजिटिव आती भी है तो वह अन्य लोगों को संक्रमित नहीं कर पाते।  

इस प्रकार कोरोना संक्रमण पर काफी हद तक अंकुश लग रहा है। राजधानी के पीएचसी-सीएचसी से लेकर सिविल अस्पताल, बलरामपुर चिकित्सालय, लोहिया संस्थान, केजीएमयू और एसजीपीजीआइ में फीवर क्लीनिक चलाई जा रही है। सिविल अस्पताल में रोजाना जहां सौ से डेढ़ सौ मरीज आते हैं। 

वहीं, बलरामपुर अस्पताल में 200 से 500, लोहिया में 200 से 250 केजीएमयू में 600 से 800 व पीजीआइ में 300 से 500 मरीज रोजाना फीवर क्लीनिक में पहुंच रहे हैं। इन सभी मरीजों की स्क्रीनिंग करने के बाद ही उन्हें अंदर आने दिया जाता है। भर्ती करने लायक मरीजों को होल्डिंग एरिया में रखकर उनकी कोरोना जांच कराई जाती है। जिन मरीजों को भर्ती जो मरीज भर्ती नहीं होते। 

उन्हें भी कोरोना रिपोर्ट आने तक आइसोलेट रहने को कहा जाता है। ताकि उनकी वजह से किसी दूसरे में संक्रमण न फैल सके। सिविल अस्पताल में फीवर क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टर विवेक दुबे कहते हैं कि पिछले छह महीने से फीवर क्लीनिक में ड्यूटी कर रहा हूं। यहां रोजाना 100 से डेढ़ सौ तो कभी-कभी दो ढाई सौ मरीज भी आ जाया करते थे। कोविड प्रोटोकोल के तहत सभी मरीजों इलाज किया जाता है। वहीं लोहिया संस्थान के प्रवक्ता डॉ श्रीकेश सिंह ने बताया कि मरीजों के लिए फीवर क्लीनिक चलाए जाने का विशेष फायदा हुआ है। अगर विभिन्न अस्पतालों में फीवर क्लीनिक नहीं चल रहे होते तो कोरोना संक्रमण का दायरा और भी बढ़ सकता था। 

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