'ई-उत्तर प्रदेश' : आइटी कंपनियों ने मांगीं सुविधाएं

लखनऊ(जागरण ब्यूरो)। भले ही यूपी के मुख्य सचिव जावेद उस्मानी या फिर अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आ

By Edited By: Publish:Sat, 30 Nov 2013 01:43 PM (IST) Updated:Sat, 30 Nov 2013 01:48 PM (IST)
'ई-उत्तर प्रदेश' : आइटी कंपनियों ने मांगीं सुविधाएं

लखनऊ(जागरण ब्यूरो)। भले ही यूपी के मुख्य सचिव जावेद उस्मानी या फिर अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक रंजन ने कल 'ई-उत्तर प्रदेश' कार्यक्रम में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियों को नोएडा व ग्रेटर नोएडा से इतर लखनऊ, आगरा व इलाहाबाद में निवेश का न्योता दिया। सरकार की नई आइटी नीति का भी खूब बखान तथा हाईटैक सोच की ब्रांडिंग की लेकिन कार्यक्रम में शिरकत करने वाले आइटी कंपनियों के प्रतिनिधियों के दिमाग में तो कुछ बड़े सरोकार घुमड़ रहे थे। कंपनियों का मानना है कि आइटी में निवेश, शिक्षा व बुनियादी सुविधाओं में किए निवेश के पीछे-पीछे आता है। अंतिम समय पर सीएम अखिलेश यादव के इसमें शिरकत करने का कार्यक्रम रद होने से आयोजन की रंगत भी फीकी पड़ गई थी।

साफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसाफ्ट इंडिया के प्रबंध निदेशक करन बाजवा ने कहा कि आइटी कंपनिया वहा निवेश करती हैं, जहा बाजार व बेहतरीन अवस्थापना सुविधाओं के साथ स्थानीय स्तर पर भी डिजिटल कनेक्टिविटी और दक्ष मानव संसाधन उपलब्ध हो। दिल्ली से नजदीकी के कारण नोएडा और ग्रेटर नोएडा में यह खूबिया मौजूद हैं। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि आइटी क्षेत्र में निवेश के लिए यह जरूरी कारक अन्य शहरों में भी हों।

कंप्यूटर प्रोसेसर बनाने वाली कंपनी एएमडी के डायरेक्टर व कंट्री मैनेजर विनय सिन्हा कहते हैं कि स्थानीय स्तर पर अवस्थापना सुविधाएं, बिजली और शिक्षा के क्षेत्र में कदम निवेश के लिए असल मुद्दे हैं। यह नहीं हो सकता कि हम गोरखपुर में अनुसंधान केंद्र खोलें और उसे दक्षिण भारतीय लोगों से संचालित करायें। सरकार की नीति में पारदर्शिता, समयबद्धता व स्थायित्व भी होना चाहिए।

दक्षिण एशिया में इंटेल के सेल्स और मार्केटिंग ग्रुप की प्रबंध निदेशक देबजानी घोष कहती हैं कि छात्रों को लैपटॉप बाटना डिजिटल असमानता को खत्म करने की दिशा में अच्छा कदम है लेकिन कंप्यूटर साक्षरता और शिक्षा में गुणवत्ता भी जरूरी है।

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ई-गवर्नेस को लेकर विभागों के बीच समन्वय का अभाव है। हमें दूसरे राज्यों के अच्छे कार्यो को भी अपनाना चाहिए।

- राजेंद्र कुमार, संयुक्त सचिव, दूरसंचार व आइटी मंत्रालय, भारत सरकार

आइटी क्षेत्र को जिस तरह का टैलेंट चाहिए उसे विकसित करने के लिए सरकार और उद्योग को हाथ मिलाना चाहिए। -करन बाजवा, प्रबंध निदेशक, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया

सभी सरकारी महकमों में कंप्यूटरीकरण का निम्न स्तर है। आइटी के जरिए कार्यकुशलता बढ़ाने की भरपूर गुंजायश है।

-राजीव श्रीवास्तव, वाइस प्रेसीडेंट, प्रिंटिंग एंड पर्सनल सिस्टम्स, एचपी

शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्योग क्षेत्रों में आइटी का बुनियादी इस्तेमाल हो।

-रवि स्वामीनाथन, प्रबंध निदेशक, एएमडी

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उद्यमियों का सम्मान

ई-गवनर्ेंस के तहत संचालित जनसेवा केंद्रों के जरिये सरकारी सेवाओं के लिए सबसे ज्यादा ई-ट्राजेक्शन करने वाले तीन ग्राम स्तरीय उद्यमियों को भी मुख्य सचिव ने लैपटॉप देकर पुरस्कृत किया। पहला पुरस्कार महोबा की रुक्साना नाहिद को मिला जिन्होंने 30,054 ट्राजैक्शन किये थे। दूसरा पुरस्कार आगरा के नरेंद्र सिंह को, तीसरा पुरस्कार गाजीपुर के मदन सिंह को दिया गया। ई-गवर्नेस के जरिए सरकारी सेवाएं प्रदान करने में उत्कृष्टता के लिए गाजीपुर के पूर्व डीएम प्रभुनाथ सिंह व मौजूदा डीएम चंद्रपाल सिंह भी सम्मानित हुए। वहीं डेढ़ करोड़वां ई-प्रमाणपत्र जारी करने के क्रम में फैजाबाद के चांद बाबू, फर्रुखाबाद के रामचंद्र, बहराइच के रमेश कुमार, जौनपुर के जितेन्द्र नाथ यादव, फिरोजाबाद के केशवनाथ सिंह और संतकबीरनगर के राजेश मिश्र को भी पुरस्कृत किया गया।

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