यूपी में स्वास्थ्य विभाग में हुए तबादलों पर मची रार, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने ही उठाए सवाल

उत्‍तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा क‍ि व‍िभाग में स्थानांतरण नीति का पूरी तरह पालन नहीं हुआ है। ब्रजेश पाठक ने अमित मोहन प्रसाद से मांगा डाक्टरों के स्थानांतरण का स्पष्ट कारण।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Mon, 04 Jul 2022 10:44 PM (IST) Updated:Mon, 04 Jul 2022 10:44 PM (IST)
यूपी में स्वास्थ्य विभाग में हुए तबादलों पर मची रार, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने ही उठाए सवाल
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में तबादलों को लेकर मची खींचतान

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के दावे के साथ उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक खूब दौड़-भाग कर रहे हैं और यहां उनकी नाक के नीचे बैठे अफसरों ने ही तबादलों में गड़बड़झाला कर डाला। खुद उन्होंने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद को पत्र लिखकर कहा है कि वर्तमान सत्र में जो भी स्थानांतरण किए गए हैं, उनमें स्थानांतरण नीति का पूर्णत: पालन नहीं किया गया है। पाठक ने साफ कह दिया है कि जिन-जिन का स्थानांतरण किया गया है, उनके तबादले का कारण स्पष्ट करते हुए पूरा विवरण उपलब्ध कराएं।

सरकार ने 15 जून को तबादला नीति जारी की थी जिसके तहत तबादले करने की अंतिम तिथि 30 जून थी। लगभग सभी विभागों में अंतिम दिन ही थोक तबादले किए गए। चर्चा तो कई विभागों में तबादलों में मनमानी और गड़बड़ियों की है, लेकिन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में इस मुद्दे को लेकर मची खींचतान सामने आ चुकी है। इस विभाग की जिम्मेदारी उपमुख्यमंत्री पाठक के पास है। सबसे गंभीर बात यह कि विभाग में हुए स्थानांतरणों पर उन्होंने खुद प्रश्न खड़े किए हैं।

सोमवार को अपर मुख्य सचिव को इसे लेकर उन्होंने विस्तार से पत्र लिखा। उसमें तबादला नीति के पूर्णत: पालन न होने की बात कहने के साथ ही लिखा है कि लखनऊ सहित प्रदेश के अन्य जिलों के बड़े अस्पतालों में जहां विशेषज्ञ डाक्टरों की अत्यंत आवश्यकता है, वहां से बड़ी संख्या में डाक्टरों को हटा दिया गया है। उनके स्थान पर किसी अन्य विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं की गई है।

लखनऊ का उदाहरण दिया है कि यह प्रदेश की राजधानी है। यहां वैसे भी विशेषज्ञ डाक्टरों की पहले से ही कमी है और प्रदेश के हर जिले से गंभीर मरीजों को लखनऊ के लिए रेफर किया जाता है, ताकि उनका समुचित इलाज संभव हो सके। ऐसे में इतने महत्वपूर्ण व बड़े अस्पतालों व अन्य जिलों के बड़े अस्पतालों से इतनी संख्या में डाक्टरों का स्थानांतरण कर दिया। उनके स्थान पर किसी को तैनात नहीं किया गया है। ऐसे में चिकित्सा व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए क्या किया जा रहा है, पूरा विवरण उपलब्ध कराया जाए।

पाठक ने पत्र में लिखा है कि जिन-जिन डाक्टरों का स्थापनांतरण किया गया है, क्या यह सत्यापित कर लिया गया है कि स्थानांतरित डाक्टरों की अवधि से अधिक अवधि वाला कोई भी चिकित्साधिकारी उस जिले, मंडल या अस्पताल में अब कार्यरत नहीं है? कितने चिकित्साधिकारी विभिन्न स्थानों पर संबद्ध हैं और उनके संबद्धीकरण पर निर्णय कब किया जाएगा? संबद्ध चिकित्साधिकारियों के विवरण सहित उनकी सूची उपलब्ध कराई जाए। इस पत्र के बाद स्वास्थ्य विभाग में तबादलों में गड़बड़ी और अधिकारियों की मनमानी की बू तो आ रही है, साथ ही यह भी इशारा मिल रहा है कि अपर मुख्य सचिव और विभागीय मंत्री के बीच तालमेल भी ठीक नहीं है।

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