Defence Expo 2020: विमान नहीं, हाईजैकर पर निशाना साधेगी फ्रेंजीबिल बुलेट, डीआरडीओ का आविष्कार

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने एंटी हाईजैक के लिए इजाद की बुलेट। टारगेट मिस होने पर हवाई जहाज को नहीं होगा नुकसान।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 06 Feb 2020 07:41 AM (IST) Updated:Thu, 06 Feb 2020 07:41 AM (IST)
Defence Expo 2020: विमान नहीं, हाईजैकर पर निशाना साधेगी फ्रेंजीबिल बुलेट, डीआरडीओ का आविष्कार
Defence Expo 2020: विमान नहीं, हाईजैकर पर निशाना साधेगी फ्रेंजीबिल बुलेट, डीआरडीओ का आविष्कार

लखनऊ [ज्ञान बिहारी मिश्र]। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने प्लेन हाईजैक के दौरान आतंकियों से निपटने के लिए नई बुलेट का इजाद किया है। इस बुलेट का नाम फ्रेंजीबिल बुलेट रखा गया है। इसे खास तौर पर हाईजैकर के लिए बनाया गया है। इसकी खासियत ये है कि प्लेन हाईजैक के दौरान फायङ्क्षरग में अगर टारगेट मिस हो जाता है जो जहाज को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। फ्रेंजीबिल से बुलेट न केवल आतंकियों का खात्मा किया जा सकता है बल्कि जहाज को क्षति न पहुंचाकर यात्रियों की जान भी बचाई जा सकेगी।

कंधार हाईजैक के बाद उठी थी मांग

डीआरडीओ के वैज्ञानिक अनिल कुमार ने बताया कि कंधार प्लेन हाइजैक के बाद सेना ने इस तरह के बुलेट को तैयार करने की मांग की थी। सेना की मांग पर डीआरडीओ ने इसे तैयार किया है। 

ऐसे किया बुलेट का अविष्कार

डीआरडीओ ने नाइन एमएम फ्रेंजीबिल बुलेट बनाई है। यह कॉपर और टीन पाउडर को मिक्स कर बनाया गया है। इस गोली के लगने से इंसान की मौत हो जाएगी। हालांकि जहाज की बॉडी से टकराने पर यह बुलेट नष्ट हो जाती है। डिफेंस एक्सपो में बुधवार को पहली बार इसकी प्रदर्शनी लगाई गई।

दंगाइयों को खदेड़ेगी नई गोली

फ्रेंजीबिल के अलावा एक नई प्लास्टिक बुलेट तैयार की गई है। यह 50 से 100 मीटर रेंज में खड़े दंगाइयों को खदेडऩे में मददगार साबित होगी। कश्मीर में पिछले दिनों लगातार हो रहे प्रदर्शन और बलवे के मद्देनजर सेना ने ऐसी बुलेट की मांग की थी। वैज्ञानिक अनिल कुमार ने बताया कि इस बुलेट से चोट तो लगेगी, लेकिन मौत नहीं होगी। यह लक्ष्य पर जाकर ही लगेगी और इसका निशाना इधर-उधर नहीं जाएगा।

डोर ब्रिचिंग डिवाइस से आसान होगा रेस्क्यू ऑपरेशन

मुंबई में ताज हमले में सेना को आतंकियों से निपटने और बंधक बनाए गए लोगों को रेस्क्यू करने में काफी समस्या आई थी। इसका कारण यह था कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि बंद दरवाजे के पीछे कौन और कितने लोग हैं। दरवाजे को विस्फोटक से तोडऩे के दौरान बंधक बनाए गए लोगों की जान का खतरा भी रहता था। ऐसे में डीआरडीओ ने रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान किसी भी प्रकार के दरवाजे को तोडऩे के लिए रिमोट से संचालित होने वाली डोर ब्रिचिंग डिवाइस तैयार की। इस डिवाइस की मदद से जरूरत के हिसाब से दरवाजे के किसी हिस्से को तोड़ा जा सकता है। इससे भीतर मौजूद लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा और वहां की गतिविधि का अंदाजा भी लग जाएगा।

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