बच्चों के स्वभाव में बदलाव के लिए अभिभावक भी जिम्मेदार Lucknow News

दैनिक जागरण के कार्यक्रम प्रश्न पहर में यूनीसेफ के चाइल्ड प्रोटेक्शन विशेषज्ञ मोहम्मद आफताब प्रश्न से चाइल्ड सायकोलॉजी पर खास बातचीत।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Wed, 09 Oct 2019 06:46 PM (IST) Updated:Thu, 10 Oct 2019 06:59 AM (IST)
बच्चों के स्वभाव में बदलाव के लिए अभिभावक भी जिम्मेदार Lucknow News
बच्चों के स्वभाव में बदलाव के लिए अभिभावक भी जिम्मेदार Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। बच्चों के स्वभाव में आ रहे बदलाव के लिए खुद वह अकेला जिम्मेदार नहीं है। माता-पिता को समाज के हर पहलु को व्यापक पैमाने पर समझने की जरूरत है। अभिभावक की डांट का भय और उनकी अपेक्षाएं बच्चों में तनाव पैदा करती हैं। यदि अभिभावक यह चाहते हैं कि उनका बच्चा मोबाइल फोन की लत को छोड़े तो इसके लिए पहल अभिभावकों को ही करना होगा। बच्चों के लिए अभिभावकों को उनका रोल मॉडल बनना होगा।

उनके साथ संवाद स्थापित करना होगा। साथ ही घर के हर महत्वपूर्ण कामों में भी उनको शामिल किया जा सकता है। उनकी रुचि को जानना जरूरी है। दिनभर की उनकी गतिविधियों पर खुलकर बात करनी चाहिए। इन दिनों बच्चों और अभिभावकों के बीच संवाद की कमी कई घटनाओं का कारण बन रही है। लखनऊ सहित आसपास के जिलों के अभिभावकों ने अपने बच्चों को लेकर दैनिक जागरण के प्रश्न पहर कार्यक्रम में कई सवाल पूछे। जिनका जवाब यूनीसेफ के चाइल्ड प्रोटेक्शन विशेषज्ञ मोहम्मद आफताब ने दिए। 

सवाल : 20 साल का बेटा है मेरा कहना नहीं मानता। अपने मन की बात नहीं बताता है। डर बना रहता है।

[रमेश कुमार, बाराबंकी] 

जवाब : आप और आपकी पत्नी बेटे से संवाद बनाएं। बाजार और अन्य जगह घूमने जाते समय उसे साथ ले जाएं। घर की हर छोटी बातों में उसकी सलाह लें। उसकी तुलना कभी किसी दूसरे से न करें। 

सवाल : छह साल का बच्चा है। कहना नहीं मानता। पिछली पढ़ाई भूल जाता है।

[सुरभि शर्मा, लखनऊ] 

जवाब : इतनी कम उम्र में पिछली बातें भूलना सामान्य है। आप उसको जो भी पढ़ाएं हर तीन दिन में उसका ओरल या लिखित रिवीजन करवाएं। इससे बच्चे को 50 प्रतिशत तक याद रहेगा। आगे बढ़कर 90 प्रतिशत हो जाए तो इतना ठीक है। 

सवाल : बच्चा शुरू से कम बोलता है। स्कूल के बारे में कुछ नहीं बताता। 

[स्नेहा द्विवेदी, लखनऊ] 

जवाब : कुछ बच्चे बोलते कम हैं। उनकी अभिव्यक्ति सीमित हो जाती है।  वह घर आए तो आप प्रश्नवाचक शैली न अपनाएं। स्कूल में क्या किया जैसे सीधे तीखे सवाल पूछने से बेहतर है कि उससे स्कूल में दोस्तों और खेल के बारे में बात करें। इससे बच्चा आपसे स्कूल की गतिविधियां शेयर करेगा। तब आप बच्चे से और जानकारी हासिल कर सकते हैं। 

सवाल : देर रात तक बच्चा मोबाइल फोन इस्तेमाल करता है। मना करने पर गुस्सा होता है। 

[नितिन सक्सेना, सीतापुर] 

उत्तर : देखिए बच्चे के लिए समय से सोना और सुबह उठना बहुत जरूरी है। बच्चा आपको देखकर मोबाइल फोन का इस्तेमाल सीखता है। आपको रोल मॉडल बनना होगा। शाम 7:30 बजे तक खाना खाकर मोबाइल फोन को एक किनारे रख दीजिए। जब बच्चा सो जाए तब ही वापस आप मोबाइल फोन का इस्तेमाल करें। आपको अपने सामने मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करते देख वह भी इसकी जिद नहीं करेगा। 

सवाल : बच्चे के मन में एक अजीब सा डर बना रहता है। पूछने पर वह कुछ नहीं बताता है।

[राहुल सचान, गोंडा]  

जवाब : प्राय: अभिभावक बच्चे को कोई गलती करने पर सीधे डांट देते हैं। यह डर बच्चे के मन में जगह बना लेता है। बेहतर होगा कि यदि कोई गलती बच्चे से हो जाए तो पहले उसको प्यार से पूछे कि कुछ हुआ तो नहीं है। इसके बाद बताएं कि यदि ऐसा करते तो यह गलती न होती। यह शिक्षण पद्वति बच्चे के लिए बहुत असरदार है। 

सवाल : स्कूल में अभिभावक शिक्षक मीटिंग के दिन बच्चे का स्वभाव बदला रहता है। 

[शिवांगी गुप्ता, लखनऊ] 

जवाब : स्कूल में इस बैठक के दौरान बच्चे की कल्पना दूसरे बच्चों से न करें। हो सकता है आपके बच्चे के नंबर कुछ कम हों, लेकिन वह जिस क्षेत्र में आगे कॅरियर बनाना चाहता हैं उसमें उसके अच्छे अंक मिले हो। कई अभिभावक टीचर के सामने बच्चों को डांट देते हैं। यह तुलनात्मक रवैया बच्चों में तनाव लाता है। 

सवाल : पढ़ाई बहुत करता है फिर भी उम्मीद के मुताबिक अंक नहीं मिल पाते हैं। 

[एश्वर्य धीमान, लखनऊ] 

जवाब : जिस विषय में बच्चे के अधिक अंक आए हों उसके लिए उसका हौसला बढ़ाएं। फिर पूछें कि इस विषय में ऐसी क्या दिक्कत है। वह जिस दिक्कत को बताए उस तरफ प्रयास करें। 

सवाल : हर वक्त बच्चा घर में रहता है। बाहर ही नहीं निकलता है। 

[मीनाक्षी श्रीवास्तव, लखनऊ] 

जवाब : ओवर प्रोटेक्शन के तहत बच्चों को बाहर जाने से न रोकें। खेलकूद की गतिविधियों में उनको अधिक शामिल करें। 

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