किसानों के सामने फसल की सुरक्षा बनी चुनौती
-आवारा मवेशियों का आतंक बेरीकेडिंग करने को मजबूर हैं ग्रामीण विमल सिंह चौहान,निगोह
-आवारा मवेशियों का आतंक
बेरीकेडिंग करने को मजबूर हैं ग्रामीण
विमल सिंह चौहान,निगोहा
हाड़तोड़ मेहनत कर अनाज पैदा करने वाले किसानों की मौसम के साथ एक नई परेशानी सामने आकर खड़ी हो गई है। शहरी क्षेत्र के आवारा मवेशियों की आम ग्रामीण इलाकों में बढ़ने से फसल को आवारा मवेशियों से बचाने की चुनौती मुंह बाए खड़ी हो गई है। फसल कीमत तो पैदावार होने बाद पता चलेगी, लेकिन सुरक्षा के चलते बैरीकेडिंग के चक्कर में किसानों की जेबें खाली हो रही हैं।
किसानों का कहना है कि पिछले पांच से छह महीने के अंदर आवारा मवेशियों की संख्या बढ़ गई है। इसकी वजह से लोहे के एंगल में कंटीले तार लगाकर फसलों की सुरक्षा करनी पड़ रही है। एक लोहे के एंगल की कीमत 270 से 300 रुपये है। मौरंग, बालू सीमेंट के खर्च के अलावा मिस्त्री और मजदूरी का खर्च भी किसानों को देना पड़ रहा है। उतरावा गाव के रहने वाले हुकुम का कहना है कि बताते है कि एक बीघे में तकरीबन 8 से 10 क्विंटल गेहूं पैदा होगा। उसकी कीमत से कहीं अधिक फसल की सुरक्षा में खर्च आएगा। छोटे किसान इसे लेकर परेशान हैं। उन्होंने अधिकारियों से मवेशियों को रोकने का इंतजाम करने की मांग की है। उनका कहना है कि शहरी इलाके के मवेशी निगोहां व मोहनलालगंज की ओर से छोड़ दिए जा रहे हैं। चारे की तलाश में वह अब ग्रामीणों की मुसीबत बन गए हैं। धान की फसल तो कटने लगी है, लेकिन गेहूं को लेकर किसान परेशान हैं।