अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को पीएम मोदी ने भेंट की मथुरा की सांझी कलाकृति, सीएम योगी ने जताया आभार

पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा क्वाड समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को मथुरा की सांझी कलाकृति भेंट करने पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने आभार जताया है। सांझी कान्हा की नगरी मथुरा की प्रसिद्ध लोककला है जिसमें पेपर पर हाथ से कटिंग कर डिजाइन बनाई जाती है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Tue, 24 May 2022 11:16 PM (IST) Updated:Tue, 24 May 2022 11:19 PM (IST)
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को पीएम मोदी ने भेंट की मथुरा की सांझी कलाकृति, सीएम योगी ने जताया आभार
पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति को मथुरा की सांझी कलाकृति भेंट करने पर सीएम योगी ने आभार जताया है।

लखनऊ, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टोक्यो में मंगलवार को क्वाड शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को मथुरा के ठुकरानी घाट की थीम पर आधारित जटिल सांझी कला की कलाकृति भेंट की है। इसे राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कलाकार ने बनाई है। इसके लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी प्रदेशवासियों की ओर से पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया है। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि 'प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को लीलाधर भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली, मथुरा की प्रसिद्ध 'सांझी' कलाकृति भेंट कर जनपद की लोक कला को वैश्विक पटल पर गौरवभूषित किया है। इसके लिए समस्त प्रदेश वासियों की ओर से आपका हृदय से आभार प्रधानमंत्री जी।'

आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने अमेरिका के माननीय राष्ट्रपति श्री @JoeBiden जी को लीलाधर भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली, मथुरा की प्रसिद्ध 'सांझी' कलाकृति भेंट कर जनपद की लोक कला को वैश्विक पटल पर गौरवभूषित किया है।

समस्त प्रदेश वासियों की ओर से आपका हृदय से आभार प्रधानमंत्री जी! pic.twitter.com/wj3Dnoetsb

— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) May 24, 2022

सांझी कान्हा की नगरी मथुरा की प्रसिद्ध लोककला है, जिसमें पेपर पर हाथ से कटिंग कर डिजाइन बनाई जाती है। टोक्यो में मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को पीएम नरेन्द्र मोदी ने ब्रज की प्राचीन कला सांझी की कृति भेंट कर इसे नई ऊंचाई दी है। पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को मथुरा के ठुकरानी घाट की थीम पर आधारित जटिल सांझी कला की तस्वीर भेंट की। इसे राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कलाकार ने बनाई है।

सांझी ब्रज की ठेठ प्राचीन कला है। भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ी यह कला पूरी तरह से विलुप्त हो रही थी। करीब तीन दशक से मंदिरों तक सीमित रह गई इस कला को जीवंत करने के लिए द ब्रज फाउंडेशन ने करीब दस साल पहले प्राचीन ब्रह्मकुंड पर सांझी मेला का आयोजन किया। वृंदावन में सांझीकारों में राधारमण मंदिर और राधावल्लभ मंदिर के सेवायतों के अलावा भट्ट घराना जुड़ा है। विलुप्त होती कला को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को विश्व पटल पर नई पहचान दिलाई।

ये है ब्रज का सांझी : ब्रज के मंदिरों, कुंज और आश्रमों में मिट्टी के ऊंचे अठपहलू धरातल पर रखकर छोटी-छोटी पोटलियों में सूखे रंग भर कर इस कला का चित्रण किया जाता है। शहरी इलाकों में रंग व फूल, जल की सांझी बनाई जाती है। श्राद्धपक्ष में ठा. राधावल्लभ मंदिर, राधारमण मंदिर में नित नए तरीके की सांझी बनाई जाती है। पुराणों में उल्लेख है कि द्वापर में शाम के समय जब भगवान श्रीकृष्ण गोचारण करके आते थे, तो ब्रजगोपियां उनके स्वागत के लिए फूलों की चित्रकला (सांझी) सजाकर स्वागत करती थीं। तभी से ब्रज में सांझी कला की शुरुआत पड़ी। श्राद्ध पक्ष में जब कोई उत्सव नहीं होते, तब ब्रज में सांझी उत्सव मनाया जाता है। ग्रामीण अंचलों में गोबर से सांझी बनाकर महोत्सव मनाया जाता है।

ब्रज संस्कृति का अंग गोबर सांझी : वृंदावन शोध संस्थान के शोध अध्येयता डा. राजेश शर्मा ने बताया कि ग्रामीण अंचलों में ये सांझी गाय के गोबर से बनाई जाती थी। शोध संस्था में संकल्पित पांडुलिपियों के अनुसार, ब्रज लोक संस्कृति में गोबर से बनने वाली सांझी में वीरन बेटी का कथानक प्रचलित है, जो पितृ पक्ष में ससुराल से मायके आती है। पूरी कथा के प्रतीक के रूप 16 दिनों तक अलग-अलग अंकन दीवार पर गोबर से किए जाते हैं। समापन पर कोट बनाया जाता है, फूल-पत्ती, रंगीन कागज और कौड़ी आदि से सजाया जाता है। शाम को कुंवारी कन्याएं सांझी का पूजन करती हैं और पारंपरिक गीत गाती हैं।

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