Next President: कोविंद का गंगा तीरे बचपन और अब जमुना तीरे आसन

कानपुर में गंगा किनारे अपना काफी वक्त गुजारने वाले रामनाथ कोविंद अब यमुना किनारे बसी दिल्ली में देश के सबसे ऊंचे आसन पर बैठने जा रहे हैं।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Thu, 20 Jul 2017 06:01 PM (IST) Updated:Fri, 21 Jul 2017 07:28 PM (IST)
Next President: कोविंद का गंगा तीरे बचपन और अब जमुना तीरे आसन
Next President: कोविंद का गंगा तीरे बचपन और अब जमुना तीरे आसन

लखनऊ (जेएनएन)।  बचपन में शांत मन से गंगा किनारे अधिकतर वक्त बिताने वाले रामनाथ कोविंद अब यमुना किनारे बसी दिल्ली में देश के सबसे ऊंचे आसन पर बैठने जा रहे हैं। जिंदगी की ऋतु अब पूरी तरह बदली बदली है लेकिन बचपन के सावन की बदली और इस सावन की बदली में बदलाव साफ नजर आ रहा है।

गंगा से उनके लगाव ने गंगा उद्धार की उम्मीदों को हिलोरें दी हैं। प्रारंभिक शिक्षा कानपुर देहात के परौंख गांव में हासिल करने वाले रामनाथ कोविंद आगे की पढ़ाई के लिए कानपुर नगर आ गए थे। यहां बीएनएसडी इंटर कॉलेज में कक्षा नौ में दाखिला लेने वाले कोविंद अपनी बड़ी बहन पार्वती देवी के घर मैकरॉबर्टगंज की लाल इमली कॉलोनी नंबर 42 में रहते थे। 

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बचपन की यादें

उनके साथ रहे भांजे कानपुर के काकादेव निवासी रामशंकर कोविंद ने उनकी बचपन की यादें साझा कीं। अपने मामा के राष्ट्रपति निर्वाचित होने से उत्साहित रामशंकर ने बताया कि मामा अक्सर गंगा किनारे जाकर बैठते थे। उनका अध्यात्म के प्रति बचपन से ही झुकाव रहा। सावन के महीने में तो उनकी दिनचर्या ही बदल जाती थी। एक बार सुबह गंगा किनारे जाते थे, उसके बाद शाम को परमट स्थित गंगा छवि घाट जाकर पथिक जी के सत्संग में शामिल होते थे। अब वही रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति के रूप में यमुना किनारे बसी दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में रहेंगे। ऐसे में कानपुर के बाशिंदों को पूरी उम्मीद है कि गंगा के प्रति इतना लगाव रखने वाले कोविंद की नजर गंगा की बदहाली पर भी होगी और सरकार को इशारा इसके उद्धार के कार्य में तेजी लाने का भी मिलेगा।

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तब दिल्ली में नहीं था ठिकाना

ये वही रामनाथ कोविंद हैं, जिनके पास कभी दिल्ली में रहने तक का ठिकाना नहीं था। उनके भांजे रामशंकर कोविंद ने बताया कि डीएवी कॉलेज से बीकॉम एलएलबी करने के बाद मामा वर्ष 1968 में दिल्ली चले गए। वह हमेशा कहते थे कि आइएएस बनना है। यहां से सिविल सर्विसेज की तैयारी की बात कहकर ही गए थे। मगर, वहां जाकर उन्होंने एसएन दासगुप्ता कॉलेज में एमकॉम एलएलबी में दाखिला ले लिया। परिवारीजन के पूछने पर उन्होंने बताया था कि तैयारी तो आइएएस की ही करनी है लेकिन, रहने की कोई जगह नहीं, इसलिए हॉस्टल के लालच में कॉलेज में एडमिशन ले लिया। वही कोविंद अब देश के सबसे बड़े सरकारी बंगले में रहेंगे।

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