लखनऊ के आशियाना गैंग रेप केस में दस वर्ष बाद आरोप तय

देश में काफी चर्चित लखनऊ के आशियाना सामूहिक दुष्कर्म कांड में मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला पर कल फास्ट ट्रैक कोर्ट में आरोप तय कर दिए गए हैं। कोर्ट ने ने इस मामले में गवाही के लिए 30 नवंबर की तिथि नियत की है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2015 04:43 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2015 04:48 PM (IST)
लखनऊ के आशियाना गैंग रेप केस में दस वर्ष बाद आरोप तय

लखनऊ। देश में काफी चर्चित लखनऊ के आशियाना सामूहिक दुष्कर्म कांड में मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला पर कल फास्ट ट्रैक कोर्ट में आरोप तय कर दिए गए हैं। कोर्ट ने ने इस मामले में गवाही के लिए 30 नवंबर की तिथि नियत की है।

इससे पहले कोर्ट में आरोपी गौरव शुक्ला अधिवक्ता के साथ उपस्थित हुआ। गौरव शुक्ला पर आरोप है कि दो मई 2005 की शाम 6:45 बजे पराग डेरी आशियाना अंतर्गत 15 वर्षीय नाबालिग लड़की का तीन साथियों के साथ अपहरण किया एवं साथियों के साथ कार में सामूहिक दुष्कर्म किया। घटना के दौरान अभियुक्त गौरव शुक्ला ने पीडि़ता को लाइटर से जलाया एवं मारपीट कर धमकी दी। मामले में मूल पत्रवली न मिलने के कारण आठ माह से आरोपी गौरव शुक्ला पर आरोप तय नहीं हो पा रहे थे।

न्यायमूर्ति सुधीर कुमार सक्सेना ने 16 नवंबर को इस मामले में सजा पाए आरोपी अमन बक्शी की अपील पर सुनवाई के बाद गौरव के मामले को तीन माह में निस्तारित करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट के आदेश के बाद मूल पत्रवली फास्ट ट्रैक कोर्ट पहुंच गई है। 27 मार्च को सत्र अदालत ने आरोपी गौरव शुक्ला को बालिग ठहराया था। इस मामले में तीन आरोपियों को सजा हो चुकी है। दो किशोर अपचारी की मृत्यु हो चुकी है।

क्या था मामला

दो मई 2005 शाम को आशियाना इलाके में झाडू-पोछा लगाने वाली एक नाबालिग लड़की काम निपटाकर अपने भाई के साथ वापस घर लौट रही थी। इसी दौरान नागेश्वर मंदिर के पास पराग डेयरी की तरफ से सेंट्रो कार आकर रूकी। कार से तीन लोग उतरकर आए और नाबालिग को जबरन पकड़कर गाड़ी से लेकर चले गए। वापस घर लौटकर लड़की के भाई ने इस घटना की जानकारी अपने पिता को दी। उन्होंने थाने जाकर रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसके बाद मामले की विवेचना में विक्टिम के साथ गैंगरेप की पुष्टि हुई।

कार्रवाई : सभी छह आरोपियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार। इनमें चार आरोपितों ने किया खुद के नाबालिग होने का दावा।

18 अक्टूबर 2005 : मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला सहित आसिफ सिद्दीकी व सौरभ जैन को किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग घोषित कर बाल गृह भेजा। बाद में आरोपी आसिफ सिद्दीकी व सौरभ जैन जमानत पर छूटे और दोनों की दुर्घटना में मौत हो गई।

पांच सितंबर 2007 : बालिग आरोपी कैसरबाग निवासी अमन बख्शी और डालीगंज निवासी भारतेंदु मिश्र को सेशन कोर्ट से दस साल कैद व 10-10 हजार रुपये जुर्माने की सजा।

20 अप्रैल 2006 : एक अन्य आरोपी फैजान उर्फ फज्जू को बालिग घोषित कर मामला विचारण के लिए सत्र अदालत को सौंपा गया।

8 अप्रैल 2010 : अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) लखनऊ ने किशोर न्याय बोर्ड को पुन: निर्देशित किया कि जांच कर साक्ष्यों के आधार पर आरोपितों की आयु का निर्धारण करें।

15 जनवरी 2013 : आरोपी गौरव शुक्ला को किशोर न्याय बोर्ड ने व्यस्क घोषित किया। (आरोपित की ओर से सत्र न्यायाधीश केके शर्मा के समक्ष इस फैसले के विरुद्ध अपील की गई।

22 जनवरी 2013 : आरोपी फैजान उर्फ फज्जू को सत्र आदलत से उम्रकैद व जुर्माने की सजा।

21 मार्च 2013 : जुवेनाइल कोर्ट से बालिग घोषित मुख्य आरोपी ने सेशन कोर्ट में अपील की कि मुङो सुना नहीं गया। इस पर दो माह का समय देकर केस वापस जुवेनाइल कोर्ट भेजा गया। बाद में मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट पहुंची।

21 मार्च 2014 : किशोर न्याय बोर्ड ने मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला को बालिग करार दिया।

11 मार्च 2015 : फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला को बालिग करार देने के किशोर न्याय बोर्ड के फैसले की वैद्यता को चुनौती देने वाली अपील को खारिज किया।

16 नवंबर 2015 : हाई कोर्ट का इस प्रकरण देरी होने एवं तीन माह के भीतर इस मामले की सुनवाई के निर्देश

26 नवंबर 2015 : कोर्ट में मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल।

इन धाराओं में केस दर्ज

गौरव शुक्ला पर धारा 365 (नाबालिग की किडनैपिंग) लगाई गई है। इसके तहत दबरन बंधक बनाए रखने का केस बनता है। इस धारा में अतिकतम 7 साल की कैद और जुर्माना का प्रावधान है।

अपने साथियों के साथ कार में नाबालिग से गैंगरेप करने के आरोप में गौरव शुक्ला पर धारा 376 (2) (छ) लगाई गई है। इसमें कम से कम 10 साल की सजा और अधिकतम उम्रकैद का प्रावधान है।

गैंगरेप के बाद पीडि़ता को लाइटर से जलाने और जान से मारने की धमकी देने पर गौरव शुक्ला पर धारा 506 लगाई गई है। उसे 2 साल कैद या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं।

पीडि़ता ने कहा इंसाफ मिलने पर दुनिया को बताऊंगी

दो मई 2005 को एक 13 वर्ष की लड़की को अगवा कर सामूहिक दुष्कर्म के बाद लहूलुहान हालत में सड़क किनारे फेंक दिया गया। दिन गुजरे, माह बीते और इस घटना को 10 वर्ष से ज्यादा हो गए, लेकिन दुष्कर्म पीडि़ता को अभी तक न्याय नहीं मिल सका। इसे कानून-व्यवस्था का दांव-पेच कहें या फिर रुपये की ताकत। वजह जो भी हो, लेकिन दुष्कर्म के मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला के खिलाफ महज आरोप पत्र दाखिल करने में 10 साल, छह माह और 24 दिन लग गए। फिलहाल कल मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल हो गया। दुष्कर्म पीडि़ता को इसकी जानकारी हुई तो उसका चेहरा खुशी से खिल उठा, लेकिन पल भर में ही वह गंभीर हो गई। उसने कहा जिंदगी का मकसद आरोपी को सजा दिलाना है। जो मेरे साथ हुआ वह किसी और के साथ न हो। मैंने ठोकर खाकर मुश्किलों से लडऩा सीखा है। इंसाफ मिलने के बाद दुनिया को अपने संघर्ष की कहानी बताऊंगी। एडवा की मधु गर्ग ने कहा मामले की सोमवार से सुनवाई होगी। तीन माह के भीतर फैसला आने की उम्मीद है। उन्होंने पुलिस से पीडि़ता की सुरक्षा की मांग की है।

कर रही कंप्यूटर कोर्स

पीडि़ता इस समय कंप्यूटर कोर्स कर रही है और उसने दसवीं की पढ़ाई भी पूरी कर ली है। उसने बताया कि उसका सपना जज बनना है, लेकिन वह जानती है कि इस ख्वाब को पूरा करना आसान नहीं। पीडि़ता ने बताया कि मुश्किल के दौर ने उसके भीतर से डर को दूर कर दिया। हर वक्त कोई उसके साथ नहीं रह सकता।

निर्धारित हो न्याय का समय

पीडि़ता ने कहा कि अपराधी थोड़े समय में वारदात को अंजाम देकर निकल जाते हैं और खुलेआम घूमते हैं। पीडि़ता का आरोप है कि उसको न्याय मिलने में देरी का कारण कानून व्यवस्था है। न्याय के लिए सीमित समय का निर्धारण कर दिया जाए तो शायद किसी और दुष्कर्म पीडि़ता को हर रोज पीड़ा से न गुजरना पड़े।

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