सेंट्रल एक्साइज ने ज्वैलर्स से मांगा हिसाब, कितना और किसको बेचा सोना

डीजीसीईआइ को जानकारी मिली कि आठ नवंबर की रात को पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों के चलन से बाहर होते ही ज्वैलर्स और बुलियन कारोबार में निवेश कर उसे सफेद करने में लगे हैं।

By Ashish MishraEdited By: Publish:Sat, 12 Nov 2016 10:30 AM (IST) Updated:Sat, 12 Nov 2016 11:56 AM (IST)
सेंट्रल एक्साइज ने ज्वैलर्स से मांगा हिसाब, कितना और किसको बेचा सोना
सेंट्रल एक्साइज ने ज्वैलर्स से मांगा हिसाब, कितना और किसको बेचा सोना

कानपुर (जेएनएन)। ज्वैलर्स और बुलियन कारोबारियों के माध्यम से काले धन को सफेद करने की भनक लगते ही आयकर विभाग के साथ सेंट्रल एक्साइज विभाग भी सक्रिय हो गया है। डायरेक्टर जनरल आफ सेंट्रल एक्साइज इंटेलीजेंस (डीजीसीईआइ) के लखनऊ मुख्यालय को जानकारी मिली कि आठ नवंबर की रात को पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों के चलन से बाहर होते ही प्रदेश में जिन लोगों के पास काला धन है, वे ज्वैलर्स और बुलियन कारोबार में निवेश कर उसे सफेद करने में लगे हैं।

इसी चक्कर में 30 हजार रुपये प्रति 10 ग्र्राम वाला सोना और ज्वैलरी 40-50 हजार रुपये प्रति 10 ग्र्राम की दर तक बिक गया। इसी खबर पर आयकर विभाग की टीमें भी सक्रिय हो गई थीं। उनकी जानकारी में यह भी आया कि कुछ राजनेताओं ने 50- 55 करोड़ रुपये लखनऊ और कानपुर के ज्वैलर्स व बुलियन कारोबारियों के यहां निवेश किए हैं।

डीजीसीईआइ की टीमों ने कानपुर व लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में इन कारोबारियों के यहां पहुंच कर कहा कि वे सात नवंबर के बाद से 11 नवंबर की रात तक की खरीद और बिक्री का पूरा ब्योरा विभाग को 12 नवंबर की शाम तक उपलब्ध कराएं। आयकर के बाद डीजीसीईआइ की टीमों की सक्रियता से ज्वैलर्स के बीच बेचैनी बढ़ गई है और वे हिसाब-किताब बनाने में जुट गए हैं।

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