केंद्र के फैसले का यूपी में भी असर, छिन जाएगी सबकी लाल-नीली बत्ती!

केंद्र सरकार ने वाहनों में लाल-नीली बत्ती के इस्तेमाल को नियंत्रित करते हुए पहली मई से इस पर अमल के निर्देश दिए हैैं। साथ ही मोटर वेहिकल एक्ट में भी संशोधन की तैयारी है।

By Ashish MishraEdited By: Publish:Thu, 20 Apr 2017 03:49 PM (IST) Updated:Thu, 20 Apr 2017 06:27 PM (IST)
केंद्र के फैसले का यूपी में भी असर, छिन जाएगी सबकी लाल-नीली बत्ती!
केंद्र के फैसले का यूपी में भी असर, छिन जाएगी सबकी लाल-नीली बत्ती!

लखनऊ (जेएऩएऩ)। गांवों के खेत-खलिहान से लेकर शहरों के व्यस्त बाजारों तक में पूरी ठसक के साथ गाड़ी पर लाल बत्ती लगाकर रौब गांठने वाले वीआइपी अब जल्द ही गुजरे जमाने की बात हो सकते हैैं। महज हजार-दो हजार रुपये के खर्च पर बिना पद या अधिकार के वीआइपी बत्ती का लुत्फ लेने वाले छुटभैये नेता हों या निजी वाहनों पर भी लाल-नीली बत्ती लगाने के आदी हो चुके हाकिम और हुक्मरान हों, केंद्र सरकार की तरह प्रदेश में भी नियम बदले तो लाल बत्ती गुजरे जमाने की बात हो जाएगी। केंद्रीय कैबिनेट फैसले का सम्मान करते हुए प्रदेश की मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने अपनी सरकारी गाड़ी से लाल बत्ती हटवा दी है।

केंद्र सरकार ने वाहनों में लाल-नीली बत्ती के इस्तेमाल को नियंत्रित करते हुए पहली मई से इस पर अमल के निर्देश दिए हैैं। साथ ही मोटर वेहिकल एक्ट में भी संशोधन की तैयारी है। बुधवार को दिन में फैसले की जानकारी होने के बाद यहां प्रदेश में भी परिवहन विभाग से लेकर राजनीतिक व प्रशासनिक गलियारों में हलचल मची रही। दरअसल लाल-नीली बत्ती के इस्तेमाल को लेकर प्रदेश में नियम और अधिकार तो तय हैैं, लेकिन नियमों के पालन को लेकर यदा-कदा चलने वाले छिटपुट अभियानों के अलावा कड़ाई नहीं की गई।

नतीजा यह हुआ कि नियमों को दरकिनार कर धड़ल्ले के साथ बिक्री से लेकर इस्तेमाल तक शुरू हो गया। एक ओर सरकारी वाहनों में इन वीआइपी बत्तियों का इस्तेमाल बढ़ गया तो ऐसी लाइट वाले निजी वाहन भी कई गुना हो गए। अब अगर रोक लगी और सख्ती से अमल हुआ तो वाहनों की वीआइपी पहचान गायब होने में देर नहीं लगेगी।

सिर्फ फ्लैशर लाल बत्ती की मांग

वैसे तो शासन ने तय कर रखा है कि किसकी लाल बत्ती फ्लैशर वाली होगी और किसकी बिना फ्लैशर की, लेकिन राजधानी में लालबाग स्थित आटोमोबाइल मार्केट के एक दुकानदार बताते हैैं कि सबकी मांग फ्लैशर वाली लाल बत्ती की ही होती है, इसलिए बिना फ्लैशर की लाइट अब स्टॉक में रखते ही नहीं हैैं। दुकानदार ने बताया कि लाल बत्ती लगवाने वालों में निजी वाहनों की संख्या अधिक रहती है।

इन्हें है लाल बत्ती का अधिकार

फ्लैशरयुक्त : राज्यपाल, मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, विधान परिषद सभापति व विधानसभा अध्यक्ष तथा दोनों सदनों के नेता विरोधी दल, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति व अन्य न्यायाधीश तथा प्रदेश सरकार के मंत्री।

बिना फ्लैशर की लाल बत्ती : विधान परिषद उपसभापति, विधानसभा उपाध्यक्ष, प्रदेश के राज्य मंत्री व उप मंत्री, मुख्य सचिव, राज्य निर्वाचन आयुक्त, उप्र अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष, उप्र अनुसूचित जाति व जनजाति अध्यक्ष, उप्र लोक सेवा आयोग अध्यक्ष, महाधिवक्ता व राजकीय निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक।

नीली बत्ती के अधिकारी

 फ्लैशरयुक्त : राजस्व परिषद अध्यक्ष, औद्योगिक विकास आयुक्त, कृषि उत्पादन आयुक्त, सभी प्रमुख सचिव व सचिव, सभी पुलिस महानिदेशक व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, मंडलायुक्त, पुलिस महानिरीक्षक व उप महानिरीक्षक, जिला न्यायाधीश व उनके समकक्ष उच्चतर न्यायिक सेवा के अधिकारी, जिला मजिस्ट्रेट, जिलों के प्रभारी एसएसपी व एसपी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिलों में तैनात अपर जिला मजिस्ट्रेट, नगर मजिस्ट्रेट, उप जिला मजिस्ट्रेट व कार्यकारी मजिस्ट्रेट, जिलों में तैनात प्रभारी निरीक्षक, थानाध्यक्ष क्षेत्राधिकारी व अपर पुलिस अधीक्षक, प्रवर्तन संबंधी ड्यूटी पर तैनात परिवहन, आबकारी व व्यापार कर विभाग के अधिकारी तथा वन क्षेत्र में वन विभाग के संबंधित प्रवर्तन अधिकारी, चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट व चीफ ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट।

यह भी हैं नियम

अन्य प्रदेशों से आने वाले इन श्रेणियों के अधिकारियों को भी प्रदेश में भ्रमण के दौरान इसी अनुसार लाल-नीली बत्ती की सुविधा अनुमन्य होगी।वाहन में जब उच्च पदस्थ व्यक्ति सवार नहीं होगा, तब लाल-नीली बत्ती का प्रयोग नहीं किया जाएगा। बत्ती को काले आवरण से ढक दिया जाएगा।लाल-नीली बत्ती की अनुमन्यता सिर्फ शासकीय वाहनों के लिए होगी।

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