Ayodhya disputed structure case: सभी आरोपी CBI कोर्ट में तलब, इनकी गवाही होगी खास

विवादित ढांचा ध्वंस मामले में दाखिल सीबीआई के दोनो आरोप पत्र में गवाह रहे हैं महेंद्र त्रिपाठी। लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत में आज तलब किए गए हैं सभी आरोपी।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Wed, 03 Jun 2020 08:46 PM (IST) Updated:Thu, 04 Jun 2020 07:20 AM (IST)
Ayodhya disputed structure case: सभी आरोपी CBI कोर्ट में तलब, इनकी गवाही होगी खास
Ayodhya disputed structure case: सभी आरोपी CBI कोर्ट में तलब, इनकी गवाही होगी खास

अयोध्या, (रघुवरशरण)। गुरुवार को अयोध्या का विवादित ढांचा ढहाये जाने के आरोपी अदालत में तलब किए गए हैं। इसी के साथ उनके भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जाने लगी हैं। सीबीआई ने इस मामले में अयोध्या के ही निवासी पत्रकार महेंद्र त्रिपाठी को गवाह बनाया था। उनकी गवाही निर्णय की दिशा में अहम मानी जा रही है। छह दिसंबर 1992 को ढांचा ढहाये जाने के दौरान त्रिपाठी का वहां न केवल फोटो स्टूडियो था बल्कि तत्कालीन गतिविधियों को कैमरे में कैद करने के लिए वे प्रशासन की ओर से अधिकृत किए गए थे। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर सीबीआई ने अपने दोनों आरोप पत्र में त्रिपाठी को गवाह बनाया था।

सरकार बनाम पवन पांडेय के मामले में सीबीआई की ओर से आरोप तय किया गया कि ढांचा ढहाये जाने के दौरान शिवसेना के तत्कालीन विधायक पवन पांडेय, गोंडा से तत्कालीन भाजपा सांसद बृजभूषणशरण सिंह, शिवसेना नेता संतोष दुबे आदि ने ढहाये जाने के दौरान ढांचा के खजाने में लूट-पाट की। सीबीआई ने यह आरोप जिन आधारों पर तय किया, उनमें त्रिपाठी द्वारा लिए गए फोटोग्राफ्स भी थे। हालांकि घटना के 22 वर्ष बाद लखनऊ की सीबीआई अदालत में गवाही की बारी आने पर त्रिपाठी ने कहा, सीबीआई ने जो फोटोग्राफ प्रस्तुत किए हैं, वह हैं तो उन्हीं के खींचे, पर इसमें शामिल लोगों को वे पहचान नहीं सकते।

त्रिपाठी के अनुसार घटना दशकों पूर्व की थी और वे घटनाओं को कैमरे में कैद कर रहे थे, पर इस ओर उनका ध्यान नहीं था कि इसमें कौन-कौन लोग शामिल थे। सरकार बनाम लालकृष्ण आडवाणी के दूसरे मामले में त्रिपाठी उन लोगों में शामिल थे, जिनकी गवाही से आडवाणी समेत डॉ. मुरलीमनोहर जोशी, उमाभारती, विनय कटियार जैसे कद्दावर नेताओं पर ढांचा गिराने और भड़काऊ भाषण का आरोप सिद्ध होना है।

त्रिपाठी ने रायबरेली की विशेष अदालत में पांच साल पूर्व अपनी गवाही में कहा, मौके पर बहुत शोर-गुल था इसलिए वे आरोपित नेताओं के भाषण नहीं सुन सके थे और अत्यधिक भीड़ होने के कारण वे यह भी नहीं देख सके थे कि ढांचा ढहाए जाने वालों में कौन लोग थे। अब, जब देश के इस सर्वाधिक चर्चित मुकदमे का पटाक्षेप होने को है, त्रिपाठी अपनी अहमियत को लेकर गौरवांवित हैं और कहते हैं, मुझे सत्य कहने और सत्य का साथ देने के प्रति अपार संतोष है। विधि विशेषज्ञों के अनुसार इस तरह के मामले में गवाह के होस्टाइल होने के गहन निहितार्थ हैं और इसका असर मुकदमे के परिणाम पर पडऩे से इंकार नहीं किया जा सकता।  

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