यूपी जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में शानदार जीत ने 'मिशन-2022' के लिए बढ़ाया भाजपा का मनोबल

Zila Panchayat Adhyaksh Election Result 2021 उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष की 75 में 67 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी की जीत मिशन-2022 के लिए सत्ताधारी दल की रीति-नीति और रणनीति पर भरोसे की मुहर लगाने वाली है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Sat, 03 Jul 2021 10:30 PM (IST) Updated:Sun, 04 Jul 2021 05:24 PM (IST)
यूपी जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में शानदार जीत ने 'मिशन-2022' के लिए बढ़ाया भाजपा का मनोबल
जिला पंचायतों में भाजपा का दबदबा, 75 में से 67 पर जीत।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ : UP Zila Panchayat Result 2021: गांवों में कोरोना की महामारी और कृषि कानूनों से नाराजगी...। ये अटकलें आखिरकार भारतीय जनता पार्टी के विजय-रथ का रोड़ा नहीं बन सकीं। क्षेत्रीय व व्यक्तिगत प्रभाव के किले ढहते गए और उत्तर प्रदेश की जिला पंचायतों पर भाजपा ने परचम लहरा दिया। जिला पंचायत अध्यक्ष की 75 में 67 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी की जीत मिशन-2022 के लिए सत्ताधारी दल की रीति-नीति और रणनीति पर भरोसे की मुहर लगाने वाली है। वहीं, गांवों में मजबूत कही जा रही सपा के लिए महज पांच सीटों पर सिमट जाना बड़ा झटका है। इसी तरह कांग्रेस रायबरेली में एकमात्र प्रत्याशी को भी नहीं जिता सकी। उधर, जाट लैंड बागपत में एक जीत ने राष्ट्रीय लोकदल के चौधरी का मान जरूर रख लिया।

जिला पंचायत अध्यक्ष की 22 सीटों पर पहले ही निर्विरोध निर्वाचन हो गया था, जिसमें से 21 भाजपा तो एक सपा के खाते में गई। शेष 53 सीटों के लिए शनिवार को मतदान और मतगणना हुई। भाजपा की बढ़त की संभावना जरूर थी, लेकिन नतीजे उम्मीद से बढ़कर सामने आए। शुरुआत में '65 प्लस' का दमदार दावा कर रहा सत्ताधारी दल भी कई सीटों पर सपा के साथ कांटे की टक्कर मान रहा था। खास तौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कृषि कानून विरोधी आंदोलन के असर, विरोधी दलों के प्रभावशाली नेताओं के निर्वाचन क्षेत्र और पूर्वांचल में बाहुबल को लेकर कुछ आशंकाएं थीं। फिर नतीजे आना शुरू हुए तो स्थिति पूरी तरह साफ होती गई कि भाजपा की राह में फिलहाल कोई कांटें नजर नहीं आ रहे।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 14 में से 13 सीटों पर भाजपा को विजय मिली। कृषि कानून विरोधी आंदोलन के झंडाबरदार राकेश टिकैत के मुजफ्फरनगर सहित आसपास की बाकी सीटों पर भाजपा की जीत के मायने हैं कि कृषि कानून विरोधी आंदोलन पूरी तरह बेअसर है। अवध क्षेत्र भगवा खेमे का अभेद्य किला साबित हुआ, जहां सभी 13 सीटें जीत लीं। कानपुर-बुंदेलखंड की 14 में से मात्र एक इटावा सीट सपा के खाते में गई, जबकि 13 पर भाजपा ने कब्जा जमाया है।

पूर्वांचल की आजमगढ़, संतकबीरनगर और बलिया सहित बृज क्षेत्र की एटा पर सपा मुखिया अखिलेश यादव की रणनीति कारगर रही। यह सभी सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित थीं। हालांकि, पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव के लोकसभा क्षेत्र मैनपुरी सहित सपाई गढ़ माने जाने वाले कन्नौज, फीरोजाबाद व बदायूं में भाजपा की जीत, सपा के लिए झटका है। राष्ट्रीय लोकदल भी अपने गढ़ बागपत की एक सीट जीत सकी। भाजपा ने अपने सहयोगी अपना दल के लिए जौनपुर और सोनभद्र सीट छोड़ी थी, जिसमें से सोनभद्र अपना दल ने जीत ली, जबकि जौनपुर निर्दल प्रत्याशी ने छीन ली।

प्रतापगढ़ में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी उतारने की बजाए जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के प्रत्याशी को समर्थन दिया। यह सीट जनसत्ता दल लोकतांत्रिक ने जीत ली। वहीं, बसपा तो पहले ही इस लड़ाई से किनारा कर चुकी थी, जबकि कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन के दावे करती रही, जिला पंचायत सदस्य ही इतने कम जीते कि अध्यक्ष पद पर रायबरेली के अलावा कहीं भी प्रत्याशी उतारने की हिम्मत नहीं जुटा सकी। हालांकि, कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में भी साफ हो गई।

किस दल को कितनी सीटें

भाजपा : 67 (अपना दल की एक सीट सहित) सपा : पांच रालोद : एक जनसत्ता दल लोकतांत्रिक : एक निर्दलीय : एक

2016 में यह रहे थे नतीजे

सपा : 63 भाजपा : पांच बसपा : चार कांग्रेस : एक रालोद : एक (नोट- 74 सीटों पर चुनाव हुआ था।)

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