पेचीदगी का फायदा उठाकर दो व्यापारियों ने जीएसटी को लगाया 60 करोड़ का चूना

एक ओर कुछ व्यापारी जीएसटी की पेचीदगी से परेशान हैैं तो कुछ ऐसे भी शातिर धंधेबाज हैैं, जिन्होंने पेचीदगी की बदौलत सरकार को ही तगड़ा चूना लगाया है।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Thu, 05 Jul 2018 09:57 PM (IST) Updated:Fri, 06 Jul 2018 08:10 AM (IST)
पेचीदगी का फायदा उठाकर दो व्यापारियों ने जीएसटी को लगाया 60 करोड़ का चूना
पेचीदगी का फायदा उठाकर दो व्यापारियों ने जीएसटी को लगाया 60 करोड़ का चूना

लखनऊ (जेएनएन)। एक ओर कुछ व्यापारी जीएसटी की पेचीदगी से परेशान हैैं तो कुछ ऐसे भी शातिर धंधेबाज हैैं, जिन्होंने इन पेचीदगी की ही बदौलत उल्टे सरकार को ही तगड़ा चूना लगा दिया है। जीएसटी की इंटेलीजेंस इकाई ने कानपुर के ऐसे ही दो कारोबारियों को पकड़ कर जेल भेजा है। इनके पास से अब तक 60 करोड़ रुपये के घोटाले के सबूत मिल चुके हैैं, जबकि जांच अधिकारियों को यह रकम और बढऩे की उम्मीद है।

बोगस बिलिंग बनी सहारा

जीएसटी इंटेलीजेंस की लखनऊ जोनल यूनिट के अधिकारियों ने बताया कि विभिन्न फर्में संचालित करने वाले कानपुर के दो कारोबारियों मनोज कुमार जैन व चंद्रप्रकाश तायल द्वारा बड़े पैमाने पर व्यापारियों को बोगस बिल दिए जाने की सूचना प्राप्त हुई थी। इस पर कानपुर में इन दोनों से जुड़ीं कई फर्मों के पतों पर छापे मारे गए और पड़ताल की गई। जांच में सामने आया कि दोनों लोग फर्जी बिलों के जरिये व्यापारियों को जीएसटी के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का लाभ दिलाने का नेटवर्क चला रहे थे। जांच अधिकारियों ने बताया कि इन दोनों व्यक्तियों का अपना कोई कारोबार नहीं पाया गया, बल्कि फर्जी बिल जारी करने को ही इन दोनों ने धंधा बना लिया था।

गलत तरीके से आइटीसी का लाभ 

अधिकारियों ने मुताबिक इन दोनों ने  एक साल में विभिन्न फर्मों से जुड़े करीब 400 करोड़ रुपये के बोगस बिल जारी कर 60 करोड़ रुपये के आइटीसी का लाभ गलत तरीके से हासिल किया। इस दौरान सीमेंट, तारकोल, रॉ हाइड्स, प्लास्टिक ग्रेन्युल्स, बीओपीपी फिल्म्स व मेटल के बिल तो बनाए गए, पर कोई सामान सप्लाई नहीं किया गया। अधिकारियों के मुताबिक व्यापारियों को केवल आइटीसी का लाभ दिलाने के लिए ही यह बोगस बिल जारी किए गए थे। इन दोनों कारोबारियों ने अपने जीएसटी रिटर्न में जिन वस्तुओं की खरीद दिखाते हुए आइटीसी क्लेम किया है, वास्तव में वह खरीद भी कभी नहीं की गई। जांच में यह भी सामने आया कि दोनों कारोबारियों ने ट्रांसपोर्टर से मिलीभगत कर बोगस बिल्टी व कंसाइनमेंट नोट प्राप्त किए और फर्जी ई-वे बिल भी बनाए, ताकि कागजों पर माल का आवागमन दिखाया जा सके। बोगस सप्लाई के बदले यह कारोबारी आरटीजीएस से भुगतान प्राप्त करते थे और अपना कमीशन काट कर बाकी रकम वापस कर देते थे। 

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