Independence Day Special: क्रांति ने अवध में दी विद्रोह को हवा Lucknow News

बेगम हजरत महल ने खोला अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा। अवध में महिलाएं भी उठी खड़ी हुई क्रांति के लिए।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 15 Aug 2019 12:57 PM (IST) Updated:Fri, 16 Aug 2019 08:35 AM (IST)
Independence Day Special: क्रांति ने अवध में दी विद्रोह को हवा Lucknow News
Independence Day Special: क्रांति ने अवध में दी विद्रोह को हवा Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। सन् 1857 की क्रांति... जिसमें पूरा करीब-करीब पूरा देश अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ खड़ा था। मेरठ की क्रांति से बरतानिया हुकूमत की नींव हिल रही थी। अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ देशवासियों के सब्र का बांध अब टूट चुका था। अंग्रेजों से युद्ध करने के इस बिगुल की आवाज भले ही मेरठ से उठी हो, लेकिन बहुत जल्द ही यह आवाज अवध सहित आसपास में भी सुनाई देने लगी थी। 

अवध पर अंग्रेजों का कब्जा हुए अभी एक ही साल हुआ था, लेकिन इस क्रांति ने राज्य में विद्रोह को और हवा देने का काम किया। अब यहां भी अंग्रेजों से युद्ध आग भड़क चुकी थी। अवध में 1857 की क्रांति का नेतृत्व बेगम हजरत महल ने संभाला। अपने नाबालिक पुत्र को गद्दी पर बिठाकर उन्होंने अंग्रेजी सेना का स्वयं मुकाबला किया। बेगम हजरत महल में संगठन की अभूतपूर्व क्षमता थी। इसीलिए अवध के अधिकांश जमींदार, किसान व सैनिक उनके नेतृत्व में आगे बढ़ते रहे। आलमबाग की लड़ाई के दौरान अपने जांबाज सिपाहियों का भरपूर हौसला बढ़ाया। हाथी पर सवार होकर बेगम हजरत महल रात-दिन अंग्रेजों से मोर्चा लिया। ब्रिटिश आयुक्त सर हेनरी लॉरेंस ने अपने वफादार सिपाहियों के साथ रेजीडेंसी में 1700 पुरुषों के साथ शरण ली। क्रांतिकारियों द्वारा 90 दिनों की घेराबंदी के बाद सर हेनरी लॉरेंस तक पहुंच सके। युद्ध में उसके वफादारों की संख्या लगातार घटने लगी। अब उसके पास केवल 300 वफादर सिपाही, 350 ब्रिटिश सैनिकों व 550 गैर लड़ाके ही बचे थे।

बाद में बेगम हजरत महल अवध के देहातों में चली गई। वहां भी उन्होंने क्रांति की चिंगारी सुलगाई। इस दौरान बेगम हजरत महल के सैनिक दल में तमाम महिलाएं शामिल हुईं। उस समय लखनऊ में बेगम हजरत महल की महिला सैनिक दल का नेतृत्व रहीमी के हाथों में था, जिसमें फौजी वेश अपनाकर तमाम महिलाओं को तोप और बंदूक चलाना सिखाया। रहीमी की अगुवाई में इन महिलाओं ने अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया। गदर में लखनऊ की हैदरीबाई ने भी अपनी देशभक्ति से अंग्रेजों की सूचनाएं क्रांतिकारियों को देने में अहम भूमिका निभाई। हैदरीबाई के पास आने वाले तमाम अंग्रेज अफसर आपस में खूफियां बातें करते थे, हैदरीबाई उनकी योजनाओं का पता लगाती थी। बाद में हैदरीबाई भी रहीमी के सैनिक दल में शामिल हो गई। 

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