Sanatkada Lucknow Festival: हस्तशिल्प निर्माण की प्रक्रिया से रूबरू हो रहे कला प्रेमी
महिंद्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल में हर साल बड़ी संख्या में हस्तशिल्प कलाकारों और कारीगरों को कला प्रेमियों के सम्मुख उनकी कलाकृतियों के साथ प्रस्तुत करता रहा है लेकिन इस बार फेस्टिवल में हस्तशिल्प के निर्माण की प्रक्रिया भी लोगों के सामने आ रही।
लखनऊ, जेएनएन। महिंद्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल यूं तो हर साल बड़ी संख्या में हस्तशिल्प कलाकारों और कारीगरों को कला प्रेमियों के सम्मुख उनकी कलाकृतियों के साथ प्रस्तुत करता रहा है, लेकिन इस बार फेस्टिवल में हस्तशिल्प के निर्माण की प्रक्रिया भी लोगों के सामने आ रही। फेस्टिवल के दूसरे दिन मंगलवार को हड्डी पर नक्काशी और मधुबनी जैसी कलाओं के कलाकारों ने कला प्रेमियों को हस्तशिल्प निर्माण की प्रक्रिया से अवगत कराया।
हड्डी पर नक्काशी की कला यूं तो हमारे देश में काफी पुरानी है लेकिन इस कला को एक नई लोकप्रियता देने वाले जलालुद्दीन और अकील अख्तर ने जूम मीट के जरिए कला प्रेमियों को इस कला के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया। अकील अख्तर ने बताया कि इस कला को देश से ज्यादा विदेश में प्रोत्साहन और सराहना मिलती है। उन्होंने बताया कि इस हस्तशिल्प में भैंस की हड्डियों का इस्तेमाल किया जाता है, हालांकि इसके कारण भारतीय समाज में इसे लेकर थोड़े असमंजस की स्थिति भी रहती है। उन्होंने कहा की इसी कारण अब एक्रेलिक की सहायता से उत्पाद तैयार की जा रहे हैं। मधुबनी कला की प्रसिद्ध कलाकार हीरा देवी ने अपनी लोक कला से जुड़े अनुभव सांझा किए। उन्होंने बताया कि लोक कला का उपयोग लोग घरों की सजावट में खूब करने लगे हैं। उन्होंने बताया कि इस कला में विभिन्न प्रकार से कागज तथा अन्य वस्तुओं का उपयोग कर त्रिआयामी प्रभाव उत्पन्न किया जा रहा है।
फेस्टिवल की संयोजिका माधवी कुकरेजा ने बताया कि सोमवार से शुरू हुए इस फेस्टिवल में बड़ी संख्या में हस्तशिल्पी और कारीगर भाग ले रहे हैं। ऑनलाइन सेल बाजार के जरिए बड़ी संख्या में कला प्रेमी हस्तशिल्प से जुड़ रहे हैं ।इसके साथ ही फेस्टिवल के दौरान लोग अवधी व्यंजनों का भी आनंद उठा रहे हैं।