परिक्रमा के पक्ष में एएमयू से उठे स्वर, रोक गलत

लखनऊ। अयोध्या में विहिप की 84 कोसी परिक्रमा के पक्ष में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) से स्वर

By Edited By: Publish:Tue, 27 Aug 2013 01:08 AM (IST) Updated:Tue, 27 Aug 2013 01:09 AM (IST)
परिक्रमा के पक्ष में एएमयू से उठे स्वर, रोक गलत

लखनऊ। अयोध्या में विहिप की 84 कोसी परिक्रमा के पक्ष में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) से स्वर उठ रहे हैं। फोरम फॉर मुस्लिम स्टडीज एंड एनालिसिस (एफएमएसए) की सोमवार को आपात बैठक में विहिप नेताओं को तत्काल रिहा करने की मांग की गई। एफएमएसए ने कहा, सपा सरकार ने धार्मिक आजादी पर पाबंदी लगाई है, जो कि अनुचित है। ऐसा करने से सूबे का साम्प्रदायिक सौहार्द खराब हुआ है। इसमें मात्र 200 संत शामिल होने थे लेकिन रोक से विहिप के प्रति देश में सहानुभूति पैदा हो गई।

फोरम अध्यक्ष व एएमयू के प्रो. रजाउल्लाह खान ने कहा कि सपा सरकार को विहिप को अपनी परिक्रमा सुनियोजित तरीके से निकालने की छूट देनी चाहिए थी। सपा सुप्रीमो के फैसले ने प्रदेश के साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ दिया। फोरम के सचिव जसीम मोहम्मद ने कहा कि एक ओर तो सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव विहिप नेताओं से बातचीत करते हैं और दूसरी ओर उनकी परिक्रमा पर अचानक पाबंदी लगा देते हैं? यह नूराकुश्ती सुनियोजित है। इससे सपा का साम्प्रदायिक चेहरा भी उजागर हो गया है।

उन्होंने सवाल किया कि अखिलेश-राज में प्रदेश में 19 दंगे हुए। वहां क्या कार्रवाई हुई। प्रो. हुमायूं मुराद ने कहा कि सूबे के हिंदू शांतिपूर्ण हैं। उन्होंने विहिप का साथ भी नहीं दिया। सरकार पाबंदी नहीं लगाती तो विहिप नेताओं को मुलायम से भी मिलने की जरूरत न होती।

प्रो. शहाबुददीन इराकी ने कहा कि धार्मिक अनुष्ठान व परिक्रमा सभी का संवैधानिक अधिकार है। सरकार को रोक लगाने के बजाय सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने थे। मो. शाहिद ने कहा कि सपा पाबंदी लगाकर राजनीतिक रोटियां सेंक रही है। मुसलमान उनकी बातों में फंसने वाले नहीं हैं।

डॉ. फातिमा जेहरा ने कहा, जिस अंदाज में विहिप नेताओं की गिरफ्तारी की गई, उससे आतंक-सा फैल गया है। यह निदंनीय है। बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करके अखिलेश सरकार की भ‌र्त्सना की गई। फोरम ने दूसरे प्रस्ताव में विहिप नेताओं को तुरंत रिहा करने की मांग उठाई। बैठक में डॉ. दौलतराम, आदिल समेत आदि भी मौजूद थे।

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