'सीता जी टेस्ट ट्यूब बेबी थीं' के बयान के बाद डॉ. दिनेश शर्मा को अमित शाह की संभल कर बोलने की सलाह

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के निर्देश पर पार्टी महासचिव भूपेंद्र यादव ने कल डॉ. दिनेश शर्मा से बात की। पार्टी की तरफ से दिनेश शर्मा को संभल कर बयान देने की सलाह दी गई है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Sat, 02 Jun 2018 10:13 AM (IST) Updated:Sat, 02 Jun 2018 12:42 PM (IST)
'सीता जी टेस्ट ट्यूब बेबी थीं' के बयान के बाद डॉ. दिनेश शर्मा को अमित शाह की संभल कर बोलने की सलाह
'सीता जी टेस्ट ट्यूब बेबी थीं' के बयान के बाद डॉ. दिनेश शर्मा को अमित शाह की संभल कर बोलने की सलाह

लखनऊ (जेएनएन)। शिक्षण के बाद सक्रिय राजनीति में कदम रखने वाले उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा की कौशल विकास के कार्यक्रम में आज के दौर से रामायण काल की तुलना अब भारी पड़ रही है। डॉ. शर्मा के बयान 'सीता जी टेस्ट ट्यूब बेबी थीं' को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने काफी गंभीरता से लिया है।

उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा का एक बयान इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है। लखनऊ में कौशल विकास मिशन की कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में दिनेश शर्मा ने कहा है कि सीता जी का जन्म मिट्टी के बर्तन से हुआ था, जो कि सिद्ध करता है कि उस समय भी टेस्ट ट्यूब से बच्चे पैदा करने का कॉन्सेप्ट था। दिनेश शर्मा के इस बयान पर बवाल मचने के बाद अब पार्टी नेतृत्व ने एक्शन लिया है।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के निर्देश पर पार्टी महासचिव भूपेंद्र यादव ने कल डॉ. दिनेश शर्मा से बात की। पार्टी की तरफ से दिनेश शर्मा को इस तरह के मुद्दे पर संभल कर बयान देने की सलाह दी गई है। गौरतलब है इस बयान के आने के बाद से ही सोशल मीडिया पर दिनेश शर्मा को ट्रोल किया जा रहा था

क्या बोले थे दिनेश शर्मा

दरअसल, लखनऊ में एक कार्यक्रम में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सीता जी का जन्म मिट्टी के बर्तन से हुआ था, यानी उस समय भी टेस्ट ट्यूब से बच्चे पैदा करने का कॉन्सेप्ट था। दिनेश शर्मा ने कहा कि सीता जी भी टेस्ट ट्यूब बेबी हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि रामायण काल में माता सीता का जन्म एक मिट्टी के बर्तन यानी घड़े से हुआ था, यानी रामायण के समय में टेस्ट ट्यूब बेबी की तकनीक रही होगी। दिनेश शर्मा ने अपने भाषण में महाभारत और रामायण काल की तकनीक का भी जमकर बखान किया। इसी दौरान उन्होंने कहा कि भगवान नारद पहले पत्रकार थे। पत्रकारिता अब से नहीं बल्कि काफी पहले से जारी है। 

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