गोवध निवारण अध्यादेश में संशोधन से आरोपितों की मुश्किलें बढ़ीं, इस साल 3867 हो चुके गिरफ्तार

यूपी पुलिस ने इस वर्ष गोकशी के जिन मामलों में आरोपपत्र नहीं दाखिल किए हैं और विवेचना चल रही है उनमें भी वह नए अध्यायादेश के तहत शिकंजा कस सकती है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Thu, 11 Jun 2020 01:26 AM (IST) Updated:Thu, 11 Jun 2020 01:27 AM (IST)
गोवध निवारण अध्यादेश में संशोधन से आरोपितों की मुश्किलें बढ़ीं, इस साल 3867 हो चुके गिरफ्तार
गोवध निवारण अध्यादेश में संशोधन से आरोपितों की मुश्किलें बढ़ीं, इस साल 3867 हो चुके गिरफ्तार

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश गोवध निवारण (संशोधन) अध्यादेश 2020 के बाद अब इन मामलों में पुलिस और प्रभावी कार्रवाई कर सकेगी। यूपी पुलिस ने इस वर्ष गोकशी के जिन मामलों में आरोपपत्र नहीं दाखिल किए हैं और विवेचना चल रही है, उनमें भी वह नए अध्यायादेश के तहत शिकंजा कस सकती है। पुलिस अधिकारी भी मानते हैं कि जो अपराध लॉकडाउन की अवधि में भी नहीं थमा था, उस पर अब प्रभावी अंकुश लगेगा।

उत्तर प्रदेश में इस वर्ष अब तक गोवध और गोवंश की तस्करी के मामलों में 1324 मुकदमे दर्ज किए गए हैं और उनमें 3867 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया। इन अपराधों की पुनरावृत्ति करने वाले 2197 आरोपितों के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट व 1823 के विरुद्ध गुंडा एक्ट के तहत भी कार्रवाई की गई। लगातार कार्रवाई के बाद भी गोकुशी की घटनाएं लगातार चुनौती बनी हुई हैं। अब कानून में सख्ती के बाद जरूर आरोपितों के लिए पकड़े जाने के बाद बच निकलना आसान नहीं होगा। एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि गोकुशी व गोवंश तस्करी के मामलों में और प्रभावी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। कानून में बदलाव के बाद अब इन मामलों में प्रभावी अंकुश लगेगा।

बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट की ऑनलाइन बैठक उत्तर प्रदेश गो-वध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 2020 के प्रारूप को स्वीकृति दे दी गई। यूपी में 1956 में लागू हुए गोवध निवारण अधिनियम में बदलाव कर सजा को और सख्त करने का फैसला योगी सरकार ने किया है। सात साल तक के कारावास को आधार बनाकर गोकश जमानत पर रिहा न हो सकें, इसलिए कारावास को बढ़ाकर अधिकतम दस वर्ष, जबकि जुर्माने को तीन से बढ़ाकर पांच लाख रुपये तक कर दिया गया है।

यही नहीं, अब यूपी में गोकशी और गोतस्करी से जुड़े अपराधियों के फोटो भी सार्वजनिक रूप से चस्पा किए जाएंगे। सीएम योगी ने कहा कि इस अध्यादेश का उद्देश्य उत्तर प्रदेश गो-वध निवारण अधिनियम, 1955 को और अधिक संगठित व प्रभावी बनाना है। गोवंशीय पशुओं की रक्षा और गोकशी की घटनाओं से संबंधित अपराधों को पूरी तरह रोकना है।

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