अखिलेश ने कहा- उत्तर प्रदेश में अपने कारनामों से हारी भाजपा, हम सामने लाए कारनामे

योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर के साथ उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लोकसभा सीट गंवाने वाली भारतीय जनता पार्टी अपने कारनामे के कारण हारी है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Sat, 17 Mar 2018 02:09 PM (IST) Updated:Sat, 17 Mar 2018 05:04 PM (IST)
अखिलेश ने कहा- उत्तर प्रदेश में अपने कारनामों से हारी भाजपा, हम सामने लाए कारनामे
अखिलेश ने कहा- उत्तर प्रदेश में अपने कारनामों से हारी भाजपा, हम सामने लाए कारनामे

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर के साथ उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लोकसभा सीट गंवाने वाली भारतीय जनता पार्टी अपने कारनामे के कारण हारी है। यह मानना है समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का। एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में अखिलेश यादव ने कहा कि हमने भाजपा के कारनामों को पकड़ा और जनता के सामने लेकर आ गए। जिसका उनको परिणाम मिल गया।

अखिलेश यादव ने कहा कि गोरखपुर व फूलपुर लोकसभा उप चुनाव जीतने में हमारा कोई योगदान नहीं है। इन दोनों जगह से मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री हारे हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी की जीत में हमारा कोई योगदान नहीं है, खुद भाजपा अपने कारनामों की वजह से हारी है। उन्होंने यह भी कहा कि इस जीत में बहुजन समाज पार्टी का महत्वपूर्ण सहयोग जरूर रहा। इस जीत में मायावती ने सहयोग दिया, उनके समर्थन से उत्साह मिला और वोटबैंक में ज्यादा इजाफा हो गया। उन्होंने कहा कि भाजपा को पकौड़ा पॉलिटिक्स ने हराया है। उनको तो यहां पकौड़ा राजनीति ने हरा दिया। हमने चाय पर नहीं सच्चाई पर बात कर दी, इसलिए हम जीत गए।

अखिलेश यादव ने कहा कभी हमें दूसरों से भी सीखना चाहिए। हमने तो इस बार भाजपा से से भी सीखा। देश में भाजपा ने धर्म के आधार पर सबसे ज्यादा राजनीति की है। हम समाजवादी लोग कभी विकास का रास्ता भूलने वाले नहीं हैं। अगर भाजपा एथिक्स की बात करे तो बेहद अच्छी बात है। अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा हमें एथिक्स न सिखाए। अब तो मन करता है कि अगर हम कहीं से निकले और पता चल जाए कि सामने खड़ा शख्स भाजपाई है तो हम तो तुरंत उसके सामने लाल टोपी पहन लें।

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन पर अखिलेश ने कहा कि मैंने तो हमेशा बसपा की मुखिया मायावती को बुआ की तरह सम्मान दिया। हम चाहते हैं कि रिश्ते बने रहें। हम उत्तर प्रदेश की राजनीति में ज्यादा रूचि ले रहे हैं, देश की नहीं। अखिलेश यादव से जब पूछा गया कि यदि 2019 में सपा-बसपा एक साथ आ जाएं तो भाजपा को 50 सीटों का नुकसान हो सकता है। ऐसे में आप क्या तीसरे मोर्चे की संकल्पना को देख रहे हैं। क्या उसकी अगुआई के लिए तैयार हैं। इस पर अखिलेश ने कहा कि वह इतने ऊंचे सपने नहीं देखते। वह फिलहाल यूपी की सियासत में ही मशरूफ हैं। इससे ज्यादा कुछ नहीं सोच रहे हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश के उपचुनाव की बात करें तो हमारी पार्टी पिछले काफी समय से जमीनी स्तर पर काम कर रही थी। इसको देखकर इस बार जनता ने समाजवादियों की मदद की, क्योंकि हमने उन्हें मदद की थी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली पर अखिलेश यादव ने चुटकी लेते हुए कहा कि योगी जी की रफ्तार बहुत तेज है। यदि इसी तरह से वह चलते रहे तो जल्द ही पीएम मोदी को ओवरटेक कर जाएंगे। अब तो हम भी चाहते हैं कि वह इसी तरह चलते रहें ताकि हमको भी आशीर्वाद मिलता रहे। उन्होंने कहा कि गोरखपुर के साथ फूलपुर का चुनाव हारने के बाद से ही हालांकि सीएम योगी आदित्यनाथ की भाषा बदल गई है। उसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि समाजवादियों ने भाजपा का झूठ को पकड़ लिया है।

ईवीएम पर सवाल

जब उनसे सवाल पूछा गया कि अब दो उपचुनावों को जीतने के बाद आप ईवीएम पर दोष देना तो बंद कर देंगे तो अखिलेश यादव ने कहा कि जहां तक ईवीएम का सवाल है तो मेरा यह कहना है कि जब ईवीएम में खराबी आती है तो उसको ठीक किया जा सकता है। इसी तरह यदि यह ठीक है तो उसको खराब भी किया जा सकता है। जब बैलेट सामने पड़ेगा और उस पर ठप्पा लगाकर वोट डलेगा, तब जनता का गुस्सा निकलेगा। गोरखपुर-फूलपुर के नतीजों को लेकर अखिलेश यादव ने कहा कि जहां दो-दो सीएम हरा दिए गए हों, उससे बड़ा जनआंदोलन क्या होगा।

नेताजी अब नाराज नहीं होते

अखिलेश यादव से यह भी पूछा गया कि आपने पहले कहा था कि पिता मुलायम सिंह यादव से आपने केवल 300 दिनों के लिए अध्यक्ष की कुर्सी ली है और तय समय के बाद आप उनको यह पद लौटा देंगे। अखिलेश ने मुस्कुराते हुए कहा कि मुलायम सिंह ने अब मुझे आशीर्वाद दे दिया है। वह अब त्याग के रास्ते पर हैं। सत्ता जाने के बाद अब नेताजी नाराज भी नहीं होते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि पुरानी बातों को भूलकर ही नई बातें की जाती हैं। अब नेताजी (मुलायम सिंह यादव) नाराज नहीं होते हैं, क्योंकि अब सरकार नहीं हैं। उपचुनाव में जीतने के बाद सब खुश थे। नेताजी भी काफी खुश थे।

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