एजेंडा 2019 : इलनेस से ज्यादा वेलनेस पर करें बात और प्रयास

राजधानी में चिकित्सा से जुड़े कई पहलुओं पर बात करने और समाधान तलाशने के लिए चिकित्सा क्षेत्र के कई प्रतिष्ठित चेहरे शुक्रवार को दैनिक जागरण कार्यालय में जुटे।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 21 Dec 2018 06:02 PM (IST) Updated:Sun, 23 Dec 2018 08:55 AM (IST)
एजेंडा 2019 : इलनेस से ज्यादा वेलनेस पर करें बात और प्रयास
एजेंडा 2019 : इलनेस से ज्यादा वेलनेस पर करें बात और प्रयास

लखनऊ, जेएनएन। दक्षता किसी का जीवन बचा सकती है लेकिन बेहतर चिकित्सक संवाद और संबंध भी बनाते हैं। संवाद चिकित्सकों का मरीजों से और संबंध नर्स का तीमारदारों से। डॉक्टरों के कर्तव्य के साथ मरीजों की जिम्मेदारी पर बात हुई तो सरकार के प्रयासों को जनता के सहयोग की जरूरत महसूस हुई। स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ गईं हैं फिर मरीजों और डॉक्टरों के बीच टकराव क्यों। जांच व दवाएं मुफ्त हुईं लेकिन मरीजों को फिर भी इलाज न मिलने की शिकायत है।

प्राइवेट अस्पतालों में निर्धारित दर से अधिक पैसा वसूली आखिरी कैसे जारी है...समस्याएं कईं थीं तो विशेषज्ञों के पास सुझावों की भी कमी नहीं दिखी। चर्चा की शुरुआत डॉ विनीता दास ने जागरुकता की जरूरत से जुड़े उदाहरणों से की, कि प्रसूति रोग से संबंधित केस हमेशा देरी से आते हैं। डॉ. तूलिका चंद्रा ने डॉक्टर और मरीज के बीच ट्रस्ट रिलेशनशिप डेवलप करने की जरूरत महसूस की। डॉ. राकेश कपूर के साथ सभी ने एकमत होकर इलनेस से ज्यादा वेलनेस पर बात और प्रयास करने पर जोर दिया।

स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ीं, फिर क्यों बढ़ रहे मरीजों-डॉक्टरों में टकराव

राजधानी में पिछले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ी हैं, लोहिया अस्पताल दूसरे मेडिकल विश्वविद्यालय के रूप में आकार ले रहा है। सरकारी अस्पतालों में भी सुपरस्पेशियलिटी सुविधाएं बढ़ी हैं, जांच व दवाएं मुफ्त हुई हैं, लेकिन मरीजों को फिर भी इलाज न मिलने की शिकायत है। मरीजों और डाक्टरों के बीच टकराव बढ़ रहे हैं। प्राइवेट अस्पतालों में निर्धारित दर से अधिक पैसा वसूली की शिकायतें हैं। अर्बन हेल्थ पोस्ट सेंटर, पीएचसी, सीएचसी सिर्फ रेफरल सेंटर बने हैं। कैसे सुधरेंगे सूरते हाल। नए साल से क्या हैं उम्मीदें और योजनाएं?

प्रमुख बिंदु (मंथन का अमृत) बच्‍चे के टीकाकरण के बाद ही बीमा कराया जाय। मरीजों और डॉक्टरों के बीच ट्रस्ट रिलेशनशिप डेवलप हो। अस्पतालों में इमरजेंसी फंड उपलब्ध कराया जाय जिससे ट्रॉमा में आने वाले मरीजों के लिए तत्काल इलाज संभव हो सके। प्राइमरी और सेकेंड्री सेक्टरों में मानव संसाधनों को अपग्रेड करने की जरूरत है। इलाज की सभी विधाओं में आपसी समन्वय से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। निजी क्षेत्र के सहयोग से चिकित्सा क्षेत्र को नए आयाम मिल सकते हैं। राजधानी में काबिल डॉक्टरों की कमी नहीं है लेकिन पैरा मेडिकल स्टाफ को भी दक्ष बनाने की जरूरत है। केवल इमारतें बनाने से कुछ नहीं होगा, हर स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने की जरूरत है।

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