Building collapse: सुबह तक एंबुलेंस के सायरन से गूंजती रही वजीर हसन रोड, चीख पुकार सुन समझाती रही पुलिस

लखनऊ में मंगलवार शाम को अपार्टमेंट ग‍िरने के बाद बुधवार सुबह तक वजीर हसन रोड एंबुलेंस के सायरन से गूंजती रही। अबतक 14 लोगों को बचाया जा चुका है। कुछ लोग अभी भी फंसे हुए हैं। पुल‍िस फंसे हुए लोगों के स्‍वजनों को रह-रह कर समझा रही हैं।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Wed, 25 Jan 2023 08:52 AM (IST) Updated:Wed, 25 Jan 2023 08:52 AM (IST)
Building collapse: सुबह तक एंबुलेंस के सायरन से गूंजती रही वजीर हसन रोड, चीख पुकार सुन समझाती रही पुलिस
Lucknow Building collapse अभी भी जारी है राहत एवं बचाव कार्य

लखनऊ, जागरण संवाददाता। घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए दर्जनों एंबुलेंस के सायररन से वजीर हसन रोड घंटों गूंजती रही। जो भी सुनता की अलाया अपार्टमेंट गिर गया है, वह सीधे घटना स्थल पर पहुंचने के लिए चल पड़ता। गुरुवार शाम साढ़े सात बजे के आसपास हजारों की भीड़ से वजीर हसन रोड पट गया था। दो दर्जन एंबुलेंस प्राग नारायण रोड तक खड़ी थी। इनमें कुछ एंबुलेंस को ग्रांड भरावन अपार्टमेंट के परिसर में ले जाया गया, जहां से मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में आसानी हो रही थी। यहां भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस को कई बार पीछे हटने के लिए एनाउंस करके समझाना पड़ा।

लोगों को समझाने में पुल‍िस को करनी पड़ी मशक्‍कत

वहीं मीडिया का हुजुम होने से पुलिस को जेसीबी घटना स्थल पर पहुंचाने में काफी देकर भीड़ को नियंत्रित करना पड़ा। बाद में रस्सा बांध दिया गया, जिससे लोग परिसर के आसपास न आ सके। मलबे को हटाने के लिए आधा दर्जन जेसीबी भेजे गए थे, इनमें कुछ रोड पर जगह न होने के कारण खड़े रहे। वहीं रिश्तेदारों व परिजनों को जब पता चला कि उनके परिवार के लोग मलबे में फंसे हैं, वह सीधे अलाया अपार्टमेंट पहुंचकर तेज तेज रोने लगते और चि़ल्लाने लगते।

जैसे-जैसे मलबे में दबे लोग निकलते, वैसे-वैसे लोगों को राहत मिलती

महिला पुलिस उन्हें समझाने का प्रयास करती तो कुछ पुलिस अधिकारी समझाते कि टीमें आपके रिश्तेदारों को बचाने में लगी है। जैसे-जैसे मलबे में दबे लोग निकलते, वैसे-वैसे लोगों को राहत मिलती कि उनके भी परिचित जल्द ही निकलेंगे। सबसे बड़ी बात रही कि जितने लोग भी निकाले गए, सब सुरक्षित निकल रहे थे। बिजली विभाग द्वारा अलाया अपार्टमेंट के आसपास बिजली सप्लाई सुरक्षा दृष्टिकोण से काट दी गई थी, बाद में कई एलइडी लगाकर रोशनी की गई, जिससे रेस्क्यू को गति मिल सकी।

मोबाइल फोन पर पूछा पिताजी कैसे हैं आप

जिशान हैदर कभी दीवार पर सिर रखकर फफक पड़ते हैं तो कभी अपनों को हाल जानने की कोशिश करते हैं। माता पिता, पत्नी बच्चे समेत आठ लोग अपार्टमेंट में दबे थे। पिता अमीर हुसैन के मोबाइल फोन पर घंटी बजाई तो वह रिसीव हो गया तो राहत की सांस महसूस की। कुछ देर बाद सूचना आई कि पिता जी को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है लेकिन माता, पत्नी और बच्चों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही थी। रात नौ बजे जीशान की सास भी आ चुकीं थी और उनके आते ही फिर हर कोई रोता नजर आ रहा था। आंखों से बह रहे आंसूओं के बीच जीशान कहते हैं कि कल ही पिता जी को लेकर आया था। शादी की वर्षगांठ थी और आज ही यह हादसा हो गया। इसी दौरान उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक पहुंचे तो जीशान उनसे गले से लिपटकर रोने लगे। पाठक ने भी सब ठीक होने का आश्वासन दिया।

नसीन आंटी निकल आईं

एक बुजुर्ग महिला को मलबे से निकालकर बाहर लाया जा रहा था। स्टेचर पर लेटीं महिला को देखते ही कुछ ने कहा, नसीन आंटी ठीक हैं, बाहर लाई गई हैं। हर किसी ने ऊपर वाले का शुक्र अता किया लेकिन चच्चा की जानकारी न मिलने की उलझन चेहरे पर दिख रही थी।

इसलिए बच गए लोग

राहत व बचाव के शुरुआती दौर में बाहर निकाले लोग सकुशल थे। चेहरे पर मिट्टी लगी लेकिन कोई चोट नहीं दिख रही थी। आंखें भी खुली थी लेकिन चेहरे पर घबराहट थी। इस कारण यह रहा कि बिल्डिंग गिरते समय झुक गई थी और स्लेब ने कवच का ही काम किया। इस कारण हर कोई उसके नीचे आ गया और बच गया।

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