इलाहाबाद अधिवक्ता हत्याकांड की जांच का दायरा बढ़ा

इलाहाबाद कचहरी में बीती 11 मार्च को दारोगा शैलेन्द्र सिंह की गोली से अधिवक्ता नबी अहमद की हत्या और उसके बाद हुए बवाल की जांच इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की कमेटी ने मंगलवार से शुरू कर दी है। यह कमेटी सिर्फ इलाहाबाद ही नहीं प्रदेश की अन्य अदालतों

By Nawal MishraEdited By: Publish:Tue, 17 Mar 2015 04:32 PM (IST) Updated:Tue, 17 Mar 2015 09:11 PM (IST)
इलाहाबाद अधिवक्ता हत्याकांड की जांच का दायरा बढ़ा

लखनऊ। इलाहाबाद कचहरी में बीती 11 मार्च को दारोगा शैलेन्द्र सिंह की गोली से अधिवक्ता नबी अहमद की हत्या और उसके बाद हुए बवाल की जांच इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की कमेटी ने मंगलवार से शुरू कर दी है। यह कमेटी सिर्फ इलाहाबाद ही नहीं प्रदेश की अन्य अदालतों में हुए उपद्रव और हिंसक घटनाओं की भी जांच करेगी। इसके बाद तैयार रिपोर्ट में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए सुझाव दिए जाएंगे। कमेटी को निचली अदालतों की सुरक्षा के उपाय खोजने के लिए भी कहा गया है।

घटना स्थल का निरीक्षण करने के बाद मुख्य न्यायाधीश डा.डीवाई चंद्रचूड़ ने न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की अध्यक्षता में एक सदस्यीय कमेटी का गठन कर उसे जांच सौंपी थी। सूत्रों के अनुसार उन्होंने कमेटी की जांच का दायरा भी अब बढ़ा दिया है। सूत्रों के अनुसार इस क्रम में पहले लोगों के बयान और साक्ष्य लिए जाएंगे। इसके लिए कमेटी की ओर से सार्वजनिक सूचना एक-दो दिन में ही प्रकाशित कर दी जाएगी। इसमें संस्थाओं से इलेक्ट्रानिक माध्यम के साक्ष्य या दस्तावेज मांगे जाएंगे। कमेटी ने घटना से जुड़े अधिक से अधिक साक्ष्य एकत्रित करने के लिए आम लोगों से भी जानकारियां लेने का फैसला किया है। इसके तहत लोग बिना हलफनामा लगाए भी जानकारियां भेज सकेंगे। कमेटी अपने ईमेल और स्पीड पोस्ट के जरिए भी साक्ष्य एकत्र करेगी।

अदालतों की सुरक्षा के लिए याचिका

निचली अदालतों की सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में मंगलवार को अधिवक्ता आचार्य राजेश त्रिपाठी की ओर से याचिका दाखिल की गई। याचिका में अधिवक्ता हत्याकांड व बवाल की जांच की मानीटङ्क्षरग हाईकोर्ट द्वारा किए जाने की मांग की गई है। साथ ही निचली अदालतों की सुरक्षा केंद्रीय सुरक्षा बल को सौंपने तथा न्यायालय परिसर में शस्त्र लेकर प्रवेश को पूर्णतया प्रतिबंधित करने की प्रार्थना की गई है। याचिका में विगत वर्षों में जिला कचहरियों में हुई घटनाओं को आधार बनाया गया है। याची का कहना है कि 23 नवंबर 2007 को वाराणसी, फैजाबाद एवं लखनऊ जिला अदालतों में सीरियल बम ब्लास्ट की घटना पर राज्य सरकार ने अदालती सुरक्षा केंद्रीय पुलिस को सौंपने का प्रस्ताव किया था। गृह सचिव की अध्यक्षता में पुनर्विचार कमेटी गठित हुई थी किंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई। इस याचिका पर हाईकोर्ट ने 2011 में ही राज्य सरकार से जवाब मांगा था किंतु जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया गया। इसी जनहित याचिका में 2011 के बाद हुई घटनाओं का हवाला देते हुए अर्जी दाखिल की गई है।

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