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सीईपीसी चुनाव आते ही भदोही और मीरजापुर बना केंद्र बिंदु, कालीन नगरी पर टिकी निर्यातकों की नजर; समिति में होते हैं 18 सदस्य

18 सदस्यों वाली सीईपीसी समिति 10 सदस्य उत्तर प्रदेश से निर्वाचित होते हैं जिसमें भदोही के कम से कम आठ सदस्य होते हैं। जबकि मीरजापुर व आगरा की भागीदारी एक-एक सदस्य की होती है। यही कारण है कि चुनाव के समय जनपद रणभूमि में तब्दील हो जाता है। पूरे देश के निर्यातकों की नजर भदोही पर आकर टिक जाती है।

By Jitendra Upadhyay Edited By: Riya Pandey Published: Sat, 27 Apr 2024 05:06 PM (IST)Updated: Sat, 27 Apr 2024 05:06 PM (IST)
सीईपीसी चुनाव आते ही कालीन नगरी पर टिकी निर्यातकों की नजर

जागरण संवाददाता, भदोही। कालीन निर्यात सवंर्धन परिषद (सीईपीसी) की प्रशासनिक समिति का चुनाव आते ही भदोही और मीरजापुर जिला केंद्र बिंदु बन गया। निर्यातक सदस्यों की बात करें तो परिषद की वर्तमान सूची में देश में 1746 निर्यातक सदस्य (मतदाता) हैं इसमें 1020 भदोही व मीरजापुर जिले के निवासी हैं।

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18 सदस्यों वाली समिति 10 सदस्य उत्तर प्रदेश से निर्वाचित होते हैं जिसमें भदोही के कम से कम आठ सदस्य होते हैं। जबकि मीरजापुर व आगरा की भागीदारी एक-एक सदस्य की होती है। यही कारण है कि चुनाव के समय जनपद रणभूमि में तब्दील हो जाता है।

पूरे देश के निर्यातकों की नजर भदोही पर आकर टिक जाती है। यहां तक जम्मू कश्मीर व शेष भारत के दावेदारों का निर्वाचन भी भदोही के निर्यातकों पर ही निर्भर होता है।

नौ को घोषित होगा परिणाम

यह अलग बात है कि चुनाव के बाद चेयरमैन पद की कुर्सी पर अन्य राज्य के निर्यातक काबिज हो जाते हैं। कारण जनपद के निर्यातकों में आपसी तालमेल व सांमजस्य का अभाव इसका प्रमुख कारण है। इसके लिए एक मई से आनलाइन वोटिंग शुरू होगी। नौ को घोषित परिणाम घोषित होगा।

इससे पहले भदोही के निर्यातक दिल्ली व जम्मू कश्मीर के निर्यातकों के नेतृत्व में चुनाव लड़ते थे। यही कारण है कि निर्वाचन के बाद नेतृत्वकर्ता को ही वरीयता दी गई। हालांकि इस बार ऐसा नहीं है। इस बार दोनों गुटों के नेतृत्वकर्ता भदोही जनपद के निवासी है।

दोनों गुटों के कई दिग्गज चुनाव में

संजय गुट की कमान जहां रवि पाटोदिया व संजय गुप्ता के हाथ में है वहीं दूसरा गुट सूर्यमणि तिवारी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहा है। ऐसे में इस बार निर्वाचन के बाद चेयरमैन की कुर्सी पर भदोही के निर्यातक के बैठने की उम्मीदें अधिक हैं। हालांकि यह चुनाव परिणाम पर निर्भर है। क्योंकि दोनों गुटों से कई दिग्गज इस बार चुनाव लड़ रहे हैं।

सूर्यमणि तिवारी गुट में जहां पूर्व चेयरमैन महावीर प्रताप शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं तो संजय गुट में कुलदीप राजवाटल व ओपी गर्ग भी मैदान में हैं। यह दोनों दावेदार परिषद के पूर्व चेयरमैन रह चुके हैं।

18 पद के लिए 34 दावेदार हैं मैदान में

परिषद के 18 सदस्यीय समिति के लिए हो रहे चुनाव में 34 दावेदार मैदान में हैं। इसमें संजय गुट के 18 व सूर्यमणि तिवारी गुट के 16 दावेदारों के बीच मुकाबला है। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार एक मई से आनलाइन मतदान शुरू हो जाएगा तो नौ मई तक जारी रहेगा।

इसके अलावा किन्ही कारणों से आनलाइन वोटिंग से वंचित निर्यातकों को नौ मई सुबह दस बजे से दोपहर दो बजे तक बैलेट पेपर के माध्यम से वोटिंग करने की सुविधा दी जाएगी। उसी दिन मतों की गिनती कर परिणाम घोषित कर दिया जाएगा।

सीईपीसी निर्यात को कैसे देती है बढ़ावा

कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के 18 सदस्य एक चेयरमैन चुनते है। वह पूरे देश के कालीन व्यापार में आ रही समस्याएं, सुविधाओं, निर्यात बढ़ाने, अन्य देशों से व्यापारिक समझौता, देश में होने वाले मेलों आदि आदि के लिए भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय में बात रखता है। साथ ही जिस क्षेत्र में ज्दा उत्पादन होता है वहां सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सीईपीसी के प्रस्ताव मंत्रालय सहयोग करता है।

निर्यातक काशीनाथ के अनुसार, कालीन उत्पादन से लेकर निर्यात तक सर्वाधिक भागीदारी भदोही की है। निर्यातक सदस्यों की संख्या के मामले में भी भदोही की भागीदारी 70 प्रतिशत है। ऐसे में चेयरमैन भी भदोही का निवासी हो तो उद्योग के लिए बेहतर होगा। इस बार के चुनाव की स्थिति भिन्न है। निर्वाचित सदस्यों को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

निर्यातक बसंत चांडक का कहना है कि सीईपीसी के 42 साल के इतिहास में अधिकतर समय परिषद की बागडोर जम्मू कश्मीर व रेस्ट आफ इंडिया के हाथ में रही। जबकि परिषद में भदोही के सदस्यों की सर्वाधिक संख्या है। चेयरमैन भदोही का निवासी होगा तो यहां कि समस्याओं के समाधान को लेकर गंभीर होगा। शासन में दमदारी के साथ उद्योग की समस्याएं रखकर समाधान भी करा सकता है।

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